भारत ने फिर कर दिया कमाल, देखते रह गए ट्रंप!

नई दिल्ली। वैश्विक चुनौतियों और अमेरिकी टैरिफ जैसे दबावों के बावजूद भारत ने अंतरराष्ट्रीय व्यापार के मोर्चे पर अपनी मजबूती साबित की है। नवंबर के ताज़ा सरकारी आंकड़े इस बात का संकेत देते हैं कि भारत न सिर्फ नए व्यापारिक साझेदारों के साथ आगे बढ़ रहा है, बल्कि पारंपरिक बाजारों में भी अपनी पकड़ बनाए हुए है।

नवंबर में निर्यात का ऐतिहासिक प्रदर्शन

नवंबर में भारत का निर्यात लगभग 19.4 प्रतिशत की तेज़ बढ़त के साथ 38.13 अरब डॉलर तक पहुंच गया। यह बीते दस वर्षों का सबसे ऊंचा मासिक स्तर है। खास बात यह रही कि अक्टूबर में आई गिरावट की भरपाई नवंबर के मजबूत प्रदर्शन से हो गई। इसके उलट आयात में हल्की कमी दर्ज की गई और यह घटकर 62.66 अरब डॉलर रहा। अप्रैल से नवंबर की अवधि को देखें तो भारत का कुल निर्यात करीब 292 अरब डॉलर के पार पहुंच गया, जबकि आयात लगभग 515 अरब डॉलर रहा। इससे साफ है कि वैश्विक अनिश्चितताओं के बीच भी भारतीय निर्यातकों ने अपनी गति बनाए रखी है।

व्यापार घाटे में भी आई बड़ी राहत

नवंबर में व्यापार घाटे के मोर्चे पर भी सकारात्मक संकेत मिले। जहां बाजार विशेषज्ञों को 30 अरब डॉलर से अधिक के घाटे की आशंका थी, वहीं वास्तविक आंकड़ा घटकर लगभग 24.5 अरब डॉलर रहा। यह पिछले पांच महीनों में सबसे कम व्यापार घाटा है। इस गिरावट का बड़ा कारण सोना, कच्चा तेल और कोयले के आयात में कमी को माना जा रहा है, जिससे आयात बिल पर दबाव घटा।

अमेरिका को निर्यात में भी बढ़ोतरी

अमेरिका द्वारा लगाए गए ऊंचे टैरिफ के बावजूद भारत का वहां निर्यात बढ़ना एक अहम संकेत है। नवंबर में अमेरिका को भारतीय निर्यात लगभग 6.9 अरब डॉलर रहा, जो पिछले महीने की तुलना में करीब 10 प्रतिशत अधिक है। साल-दर-साल आधार पर यह वृद्धि 20 प्रतिशत से भी ज्यादा रही। इससे साफ है कि भारतीय उत्पाद अमेरिकी बाजार में अपनी प्रासंगिकता बनाए हुए हैं।

सेवाओं के क्षेत्र से भी सहारा

माल निर्यात के साथ-साथ सेवाओं का क्षेत्र भी भारत के लिए ताकत बना हुआ है। नवंबर में सेवाओं के निर्यात का अनुमान लगभग 36 अरब डॉलर लगाया गया, जबकि आयात करीब 18 अरब डॉलर रहा। इससे सेवा व्यापार में बड़ा अधिशेष देखने को मिला, जिसने कुल व्यापार संतुलन को और मजबूत किया।

सरकार के कदम और रणनीति

केंद्र सरकार ने वैश्विक टैरिफ दबाव के असर को कम करने के लिए कई नीतिगत कदम उठाए हैं। इनमें उपभोक्ता करों में राहत, निर्यात प्रोत्साहन पैकेज और श्रम सुधार जैसे उपाय शामिल हैं। साथ ही, अमेरिका के साथ उच्च स्तर पर बातचीत जारी है ताकि प्रमुख निर्यात क्षेत्रों में भारत को राहत मिल सके।

0 comments:

Post a Comment