भारत ने कर दिया खेल, ट्रंप के उड़े होश, रूस खुश!

नई दिल्ली। वैश्विक राजनीति और आर्थिक दबावों के दौर में भारत ने अपनी ऊर्जा नीति को लेकर एक बार फिर स्पष्ट संदेश दे दिया है। रूस से कच्चे तेल की खरीद में भारत ने नया कीर्तिमान स्थापित किया है, जिससे न केवल रूस को राहत मिली है, बल्कि अमेरिका के होश ठिकाने आ गए हैं। रिपोर्ट बतलाती है की भारत ने अपनी जरूरतों और राष्ट्रीय हितों को प्राथमिकता देते हुए रूसी तेल आयात को लगातार बढ़ाया है।

रूसी तेल का सबसे बड़ा समुद्री खरीदार बना भारत

ताज़ा अनुमानों के अनुसार दिसंबर महीने में भारत का रूस से कच्चे तेल का आयात छह महीनों के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया है। इसके साथ ही भारत समुद्री मार्ग से रूसी तेल खरीदने वाला दुनिया का सबसे बड़ा आयातक बन गया है। यह बढ़ोतरी ऐसे समय पर हुई है, जब अमेरिका भारत पर रूसी तेल की खरीद घटाने का लगातार दबाव बना रहा है।

अमेरिकी सख्ती, लेकिन भारत अडिग

रूसी तेल को लेकर अमेरिका का रुख कठोर है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत से अमेरिका जाने वाले उत्पादों पर 25 प्रतिशत अतिरिक्त टैरिफ लगाने का ऐलान किया, जिससे भारतीय निर्यात पर कुल कर बोझ करीब 50 प्रतिशत तक पहुंच गया है। इसके बावजूद भारत ने अपने फैसले में कोई बदलाव नहीं किया और ऊर्जा सुरक्षा को सर्वोपरि रखते हुए रूस से तेल आयात जारी रखा।

तेल आयात में लगातार बढ़ोतरी

शिप ट्रैकिंग डेटा के आधार पर अनुमान है कि दिसंबर में भारत प्रतिदिन लगभग 1.85 मिलियन बैरल रूसी कच्चा तेल आयात कर सकता है। यह नवंबर के स्तर से भी अधिक है और लगातार तीसरा महीना है जब रूस से तेल खरीद बढ़ी है। अक्टूबर में जहां आयात अपेक्षाकृत कम था, वहीं नवंबर और दिसंबर में इसमें तेज उछाल देखा गया। यह आंकड़ा जून 2025 के बाद सबसे ऊंचे स्तर के करीब माना जा रहा है।

रूस का तेल वैश्विक बाजार में कायम

ऊर्जा विशेषज्ञों का मानना है कि पश्चिमी देशों द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों का रूस के तेल निर्यात पर कोई निर्णायक असर नहीं पड़ा है। विशेषज्ञों के अनुसार, रूस लंबे समय से प्रतिबंधों के बीच कारोबार करने का अनुभव रखता है और उसने वैकल्पिक बाजारों व आपूर्ति मार्गों के जरिए अपनी तेल बिक्री को बनाए रखा है। यही कारण है कि रूसी तेल आज भी दुनिया के कई हिस्सों तक पहुंच रहा है।

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