धान खरीद में ऐतिहासिक प्रगति
राज्य भर में धान की खरीद के लिए 4600 से अधिक क्रय केंद्र स्थापित किए गए हैं, ताकि किसानों को अपनी उपज बेचने में किसी तरह की परेशानी न हो। 13 दिसंबर तक 3 लाख 15 हजार से ज्यादा किसानों से लगभग 19 लाख मीट्रिक टन धान की खरीद की जा चुकी है। अब तक किसानों को 4500 करोड़ रुपये से अधिक की राशि सीधे उनके बैंक खातों में भेजी जा चुकी है, जिससे बिचौलियों की भूमिका लगभग खत्म हो गई है।
पंजीकरण में रिकॉर्ड बढ़ोतरी
इस साल किसानों का रुझान सरकारी खरीद की ओर पहले से कहीं अधिक बढ़ा है। जहां पिछले खरीफ सीजन में धान बिक्री के लिए करीब 6.7 लाख किसानों ने पंजीकरण कराया था, वहीं इस बार यह संख्या 7.8 लाख के पार पहुंच चुकी है। यह बढ़ोतरी इस बात का संकेत है कि किसानों को अब भुगतान में देरी या अनियमितता का डर नहीं रहा।
श्री अन्न की ओर बढ़ता कदम
धान के साथ-साथ श्री अन्न यानी बाजरा, ज्वार और मक्का की खरीद में भी जबरदस्त उछाल देखने को मिला है। खासतौर पर बाजरा उत्पादक किसानों की संख्या में बड़ा इजाफा हुआ है। इस वर्ष 35 हजार से अधिक किसानों को बाजरा बेचने के बदले 421 करोड़ रुपये से ज्यादा का भुगतान किया जा चुका है, जो पिछले वर्ष की तुलना में दोगुना से भी अधिक है। राज्य में श्री अन्न की खरीद 1 अक्टूबर से शुरू हुई थी और यह 31 दिसंबर तक जारी रहेगी। बाजरा 33 जिलों में, मक्का 25 जिलों में और ज्वार 11 जिलों में खरीदा जा रहा है, जिससे विविध फसलों को बढ़ावा मिल रहा है।
न्यूनतम समर्थन मूल्य से मिली राहत
सरकार द्वारा तय किए गए MSP ने किसानों को बाजार की अनिश्चितताओं से सुरक्षा दी है। धान, बाजरा, ज्वार और मक्का सभी के लिए घोषित समर्थन मूल्य किसानों की लागत और मेहनत को ध्यान में रखकर तय किए गए हैं। इससे किसानों को अपनी फसल का उचित दाम मिलने की गारंटी मिल रही है।
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