बिहार में जमीन-मकान खरीदना होगा महंगा, जानें कारण

पटना। बिहार में जमीन और मकान खरीदने वालों के लिए एक बड़ी खबर सामने आई है। राज्य सरकार निबंधन दरों (Minimum Value Register – एमवीआर) में संशोधन करने की तैयारी कर रही है। यह कदम करीब एक दशक बाद उठाया जा रहा है और इसका उद्देश्य जमीन और फ्लैट की वास्तविक बाजार कीमतों के करीब निबंधन दर तय करना है।

एमवीआर पुराने समय से पीछे

सरकारी अधिकारियों का मानना है कि वर्तमान एमवीआर जमीनी हकीकत से काफी पीछे है। बीते नौ-दस वर्षों में कई ग्रामीण इलाके शहरी निकायों में शामिल हो चुके हैं। जमीन की प्रकृति बदल गई, आवासीय और व्यावसायिक गतिविधियां बढ़ गई हैं, लेकिन एमवीआर पुराने स्तर पर ही कायम रहा। इससे राज्य सरकार को निबंधन के माध्यम से राजस्व प्राप्ति में नुकसान उठाना पड़ रहा है। शहरी क्षेत्रों में अंतिम बार एमवीआर 2016 में संशोधित हुई थी, जबकि ग्रामीण इलाकों में यह 2013 में अपडेट हुई थी। उस समय दरों में 10 से 40 प्रतिशत तक वृद्धि की गई थी।

जिलों की जिम्मेदारी

सरकार ने सभी जिलों में गठित जिला मूल्यांकन समितियों को निर्देश दिया है कि वे वर्तमान बाजार भाव का आकलन करें। समितियों में जिलाधिकारी की अध्यक्षता में जिला अवर निबंधक सचिव, राजस्व के अपर समाहर्ता, भूमि सुधार उप समाहर्ता, अंचलाधिकारी और राजस्व पदाधिकारी शामिल होंगे।

आकलन में विभिन्न प्रकार के भूखंडों का मूल्यांकन किया जाएगा। विकसित, विकासशील और सामान्य क्षेत्रों के साथ मुख्य सड़क, प्रधान सड़क और शाखा सड़क से जुड़े भूखंडों के लिए अलग-अलग दरों का सुझाव तैयार किया जाएगा। इस रिपोर्ट के आधार पर राज्य सरकार एमवीआर में संशोधन को अंतिम रूप देगी।

खरीदारों पर पड़ेगा असर

एमवीआर बढ़ने का सबसे सीधा असर जमीन और फ्लैट खरीदने वालों पर होगा। निबंधन दर बढ़ने से स्टांप ड्यूटी और रजिस्ट्री शुल्क भी बढ़ जाएंगे। इसका मतलब है कि खरीदारों को अब वर्तमान से अधिक राशि चुकानी पड़ेगी।

राजस्व में बढ़ोतरी

राज्य सरकार का लक्ष्य है कि नए एमवीआर से निबंधन से होने वाली राजस्व आय में भी वृद्धि हो। यह कदम न सिर्फ खरीदारों और विक्रेताओं को बाजार मूल्य के करीब लाएगा, बल्कि राज्य के वित्तीय संसाधनों को भी मजबूत करेगा।

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