8वें वेतन आयोग: रेलवे कर्मचारियों के लिए बड़ी खबर

नई दिल्ली। केंद्र सरकार के कर्मचारियों के लिए प्रस्तावित आठवें वेतन आयोग को लेकर भारतीय रेलवे ने अभी से रणनीति बनानी शुरू कर दी है। रेलवे प्रबंधन का फोकस इस बात पर है कि जब नया वेतनमान लागू हो, तब बढ़ने वाले वेतन और पेंशन के बोझ से उसकी वित्तीय सेहत पर ज्यादा असर न पड़े। इसी उद्देश्य से रेलवे कई क्षेत्रों में खर्च को तर्कसंगत बनाने की दिशा में कदम उठा रहा है।

खर्च नियंत्रण पर रेलवे का जोर

रेलवे में मेंटेनेंस, खरीद प्रक्रिया और ऊर्जा खपत जैसे बड़े खर्च वाले सेक्टरों में लागत घटाने के उपाय अपनाए जा रहे हैं। अधिकारियों का कहना है कि तकनीक के बेहतर इस्तेमाल, स्मार्ट खरीद और ऊर्जा दक्षता बढ़ाकर लंबे समय में बड़ी बचत संभव है। इससे भविष्य में वेतन आयोग की सिफारिशें लागू होने पर अतिरिक्त खर्च को आसानी से संभाला जा सकेगा।

8वें वेतन आयोग का गठन

आठवें केंद्रीय वेतन आयोग का गठन हो गया है और इसकी अध्यक्षता सुप्रीम कोर्ट की पूर्व न्यायाधीश रंजना प्रकाश देसाई कर रही हैं। यह आयोग केंद्र सरकार के कर्मचारियों और पेंशनर्स के वेतन, भत्तों और पेंशन की व्यापक समीक्षा करेगा। आयोग को 18 महीने के भीतर अपनी रिपोर्ट सौंपनी है, हालांकि जरूरत पड़ने पर अंतरिम रिपोर्ट भी दी जा सकती है।

रेलवे की मौजूदा वित्तीय स्थिति

रेलवे के वित्तीय आंकड़े बताते हैं कि वित्त वर्ष 2024-25 में उसका ऑपरेटिंग रेशियो 98.90 प्रतिशत रहा, जिससे उसे लगभग ₹1,341 करोड़ की शुद्ध आय हुई। आने वाले वर्ष 2025-26 के लिए रेलवे ने ऑपरेटिंग रेशियो को घटाकर 98.42 प्रतिशत तक लाने का लक्ष्य रखा है। यदि यह लक्ष्य हासिल होता है तो अनुमानित शुद्ध आय ₹3,041 करोड़ तक पहुंच सकती है।

वेतन बोझ से निपटने की रणनीति

रेलवे का किसी नए शॉर्ट-टर्म कर्ज लेने की योजना नहीं है। उनका भरोसा है कि जब 2027-28 में नए वेतनमान का पूरा असर दिखाई देगा, तब तक फ्रेट कारोबार से रेलवे की सालाना कमाई में करीब ₹15,000 करोड़ की बढ़ोतरी हो जाएगी। यह अतिरिक्त आय बढ़े हुए वेतन खर्च को संतुलित करने में अहम भूमिका निभाएगी।

0 comments:

Post a Comment