भूमि अधिग्रहण में अड़चनें
मुजफ्फरपुर के सरैया और सारण जिले के कई प्रखंडों में जमीन अधिग्रहण का काम अभी भी लंबित है। जमीन उपलब्ध न होने के कारण निर्माण कार्य अभी तक शुरू नहीं हो पाया है। प्रारंभिक स्तर पर पूमरे ने ड्रोन से टोपोग्राफिकल सर्वेक्षण कराया था, जिस पर यातायात और भूमि अधिग्रहण का अध्ययन पूरा किया गया। अब नए सर्वेक्षण के बाद परियोजना का डीपीआर रेलवे बोर्ड को भेजा जाएगा, और इसके आधार पर आगे की निर्माण प्रक्रिया तय होगी।
परियोजना का इतिहास
यह रेलखंड परियोजना 2008 में केंद्र सरकार से मंजूर हुई थी। उस समय अनुमानित लागत 400 करोड़ रुपये थी, जो अब बढ़कर 2600 करोड़ रुपये से अधिक हो गई है। नई लाइन लगभग 84.65 किलोमीटर लंबी होगी और वर्तमान मुजफ्फरपुर-हाजीपुर-सोनपुर-छपरा मार्ग से लगभग 28 किलोमीटर कम दूरी का विकल्प प्रदान करेगी, जिससे यात्रा का समय कम होगा।
निर्माण में रुकावटें
परियोजना में जमीन अधिग्रहण की जटिल प्रक्रिया, मुआवजा विवाद और प्रशासनिक देरी के कारण कार्य बाधित रहा है। इसके अलावा, निर्माण कार्यों के संवेदक (कॉन्ट्रैक्टर) ने भी परियोजना पर काम करने में असमर्थता जताई है। रिपोर्ट के अनुसार योजना पुरानी हो चुकी है और आवश्यक दस्तावेज उपलब्ध न होने के कारण संवेदक ने अपना टेंडर रद्द करने के लिए आवेदन दिया है। रेलवे प्रशासन ने अभी तक संवेदक के आवेदन पर कोई औपचारिक कार्रवाई नहीं की है। परियोजना की प्रगति में यह मुद्दा भी बड़ी बाधा बन रहा है।
भविष्य की संभावना
समीकरण यह है कि भूमि सर्वेक्षण पूरा होने के बाद ही परियोजना की गति बढ़ सकती है। विशेषज्ञों का मानना है कि नए सर्वेक्षण के बाद जमीन अधिग्रहण और निर्माण कार्यों में तेजी आने की संभावना है। इससे मुजफ्फरपुर-छपरा रेलखंड के वर्षों से चले आ रहे इंतजार को एक नई दिशा मिल सकती है।

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