नए नियम लाने की जरूरत क्यों पड़ी?
देशभर में केंद्र और राज्य सरकार के करोड़ों कर्मचारी नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS) से जुड़े हैं, वहीं आम नागरिक अटल पेंशन योजना (APY) के जरिए रिटायरमेंट के लिए बचत करते हैं। PFRDA का मानना है कि अब तक निवेश से जुड़ी गाइडलाइंस अलग-अलग सर्कुलर में थीं, जिससे भ्रम की स्थिति बनती थी। नए नियमों से यह स्पष्ट हो जाएगा कि पेंशन फंड्स किस तरह और कितनी सीमा तक निवेश कर सकते हैं। इसका सीधा फायदा यह होगा कि जोखिम घटेगा और रिटायरमेंट फंड की सुरक्षा बढ़ेगी।
सरकारी बॉन्ड पर रहेगा ज्यादा भरोसा
नए फ्रेमवर्क के तहत पेंशन फंड्स को सुरक्षित निवेश विकल्पों को प्राथमिकता देनी होगी। अब कुल फंड का अधिकतम 65 प्रतिशत हिस्सा सरकारी सिक्योरिटीज में लगाया जा सकेगा। सरकारी बॉन्ड को सबसे सुरक्षित निवेश माना जाता है, इसलिए यह फैसला कर्मचारियों की जमा पूंजी को सुरक्षित रखने की दिशा में अहम कदम है।
कॉरपोरेट बॉन्ड में निवेश पर सख्ती
पेंशन फंड्स को कॉरपोरेट बॉन्ड और अन्य डेट इंस्ट्रूमेंट्स में अधिकतम 45 प्रतिशत तक निवेश की अनुमति दी गई है। हालांकि, इसके लिए न्यूनतम क्रेडिट रेटिंग से जुड़े सख्त मानदंड तय किए गए हैं। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि फंड्स कमजोर या जोखिमभरे बॉन्ड में पैसा न लगाएं।
इक्विटी निवेश पर तय सीमा
शेयर बाजार में उतार-चढ़ाव को देखते हुए PFRDA ने इक्विटी निवेश की सीमा 25 प्रतिशत तक सीमित कर दी है। फंड्स IPO, FPO, OFS और इंडेक्स आधारित साधनों के जरिए इक्विटी में निवेश कर सकेंगे। इससे रिटर्न की संभावना बनी रहेगी, लेकिन जोखिम नियंत्रण में रहेगा।
अन्य निवेश विकल्पों पर भी कैप
मनी मार्केट इंस्ट्रूमेंट्स में अधिकतम 10 प्रतिशत तक निवेश की छूट दी गई है। वहीं REITs, InvITs और वैकल्पिक निवेश फंड्स (AIFs) जैसे विकल्पों में केवल 5 प्रतिशत तक निवेश की अनुमति होगी। इन सीमाओं का मकसद हाई-रिस्क निवेश से पेंशन फंड्स को दूर रखना है।
कर्मचारियों को क्या होगा फायदा?
इन नए नियमों से सरकारी कर्मचारियों और APY के लाभार्थियों की रिटायरमेंट सेविंग्स ज्यादा सुरक्षित और स्थिर होंगी। निवेश प्रक्रिया में पारदर्शिता बढ़ेगी और यह साफ रहेगा कि पैसा कहां लगाया जा रहा है। कुल मिलाकर, यह बदलाव पेंशन सिस्टम को मजबूत बनाने और कर्मचारियों के भविष्य को सुरक्षित करने की दिशा में एक बड़ा कदम है।

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