प्रस्तावित योजना के तहत मिहींपुरवा विकास खंड के लौकाही और गौरा पिपरा, चित्तौरा विकास खंड के रेवली तथा पयागपुर विकास खंड के खजुरी गांव में आयुर्वेदिक अस्पताल बनाए जाएंगे। प्रत्येक अस्पताल चार बेड की सुविधा से युक्त होगा, जहां सामान्य के साथ-साथ गंभीर रोगियों को भर्ती कर उपचार किया जा सकेगा। इससे ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को अपने ही इलाके में इलाज की सुविधा मिल सकेगी।
इन अस्पतालों के लिए जमीन की उपलब्धता सुनिश्चित कर ली गई है। जिला आयुर्वेदिक एवं यूनानी अधिकारी द्वारा जिलाधिकारी को भेजे गए प्रस्ताव के बाद संबंधित उपजिलाधिकारियों ने भूमि चिन्हित कर विभाग को स्थानांतरित कर दी है। एक अस्पताल के निर्माण पर लगभग 35 लाख रुपये खर्च होने का अनुमान है, जिसमें चिकित्सक कक्ष, फार्मासिस्ट आवास, मरीजों के लिए वार्ड, इमरजेंसी कक्ष, शौचालय और बरामदे जैसी बुनियादी सुविधाएं शामिल होंगी। इस प्रकार चारों अस्पतालों पर कुल लगभग 1 करोड़ 40 लाख रुपये की लागत आएगी।
इन अस्पतालों के बनने से करीब डेढ़ लाख से अधिक आबादी को सीधा लाभ मिलने की उम्मीद है। अभी तक ये आयुर्वेदिक अस्पताल निजी भवनों में संचालित हो रहे हैं, जिनका किराया सरकार को वहन करना पड़ता है। स्थायी भवन बनने से न केवल सरकारी राजस्व की बचत होगी, बल्कि मरीजों को बेहतर और व्यवस्थित स्वास्थ्य सुविधाएं भी मिलेंगी।
ग्रामीण लोगों को इलाज के लिए जिला मुख्यालय या दूर-दराज के ब्लॉकों में भटकना नहीं पड़ेगा। आयुर्वेदिक उपचार को बढ़ावा मिलने से पारंपरिक और प्राकृतिक चिकित्सा पद्धति पर लोगों का भरोसा भी और मजबूत होगा। जिला यूनानी एवं आयुर्वेदिक अधिकारी डॉ. सरोज शंकर राम के अनुसार, वर्ष 2026 के फरवरी या मार्च तक बजट जारी होने की संभावना है।

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