रुपये में व्यापार को बढ़ावा मिलने से भारतीय निर्यातकों को सबसे बड़ा लाभ यह हुआ है कि उनकी डॉलर पर निर्भरता कम होने लगी है। फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गेनाइजेशन के सहायक निदेशक अलोक श्रीवास्तव के अनुसार, भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा 2022 में लागू किए गए नए नियमों के बाद रुपये में अंतरराष्ट्रीय लेनदेन को प्रोत्साहन मिला। इसका परिणाम यह रहा कि हर साल रुपये में कारोबार करने वाले देशों की संख्या बढ़ती चली गई।
वैश्विक स्तर पर डॉलर की अनिश्चितता भी इस बदलाव का एक बड़ा कारण रही है। रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद जब कई रूसी बैंकों पर अमेरिकी और यूरोपीय देशों ने प्रतिबंध लगाए, तब अंतरराष्ट्रीय भुगतान प्रणाली में अस्थिरता देखने को मिली। काउंसिल फॉर लेदर एक्सपोर्ट के क्षेत्रीय अध्यक्ष असद इराकी का मानना है कि इसी दौर में कई देशों को यह एहसास हुआ कि केवल डॉलर पर निर्भर रहना जोखिम भरा हो सकता है। ऐसे में भारत द्वारा रुपये में व्यापार को बढ़ावा देने का निर्णय समयानुकूल साबित हुआ।
रुपये में लेनदेन का एक बड़ा फायदा यह है कि बार-बार मुद्रा रूपांतरण की आवश्यकता नहीं रहती। इससे न केवल करेंसी कन्वर्ज़न चार्ज बचते हैं, बल्कि विनिमय दरों में उतार-चढ़ाव से होने वाला जोखिम भी काफी हद तक कम हो जाता है। निर्यातकों के लिए यह सीधा लाभ है, जो पहले डॉलर आधारित व्यापार में संभव नहीं था।
इन देशों के साथ रुपये में बढ़ा व्यापार।
आज भारत आर्मेनिया, ऑस्ट्रेलिया, बांग्लादेश, बेलारूस, बेल्जियम, बोत्सवाना, मिस्र, फिजी, जर्मनी, गुयाना, इंडोनेशिया, इस्रेल, केन्या, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, मालदीव, मॉरीशस, मैगनोलिया, म्यांमार, न्यूजीलैंड, ओमान, कतर, रूस, सेशेल्स, सिंगापुर, श्रीलंका, तंजानिया, संयुक्त अरब अमीरात, युगांडा सहित 34 देशों के साथ रुपये में व्यापार कर रहा है। यह सूची लगातार बढ़ रही है, जो इस बात का प्रमाण है कि भारतीय रुपया धीरे-धीरे वैश्विक व्यापार में अपनी मजबूत पहचान बना रहा है।

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