लखनऊ। उत्तर प्रदेश सरकार ने चित्रकूट कोषागार में उजागर हुए 43.13 करोड़ रुपये के पेंशन घोटाले के बाद पेंशन सिस्टम में बड़े स्तर पर सुधार करने का फैसला लिया है। सात वर्षों (2018–2025) तक चले इस फर्जीवाड़े ने न केवल पेंशन व्यवस्था की कमियां उजागर कीं, बल्कि सरकार को पेंशन भुगतान प्रक्रिया को पूरी तरह सुरक्षित बनाने के लिए नए कदम उठाने पर मजबूर किया है।
क्या बदलेगी अब पेंशन भुगतान व्यवस्था?
सरकार ने निर्णय लिया है कि अब पेंशन और पेंशन एरियर का भुगतान एक साथ नहीं किया जाएगा। दोनों की भुगतान तिथियां अलग-अलग होंगी। इस बदलाव का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि किसी भी पेंशनर के खाते में एरियर के नाम पर अतिरिक्त या गलत धनराशि न पहुंच सके। एनआईसी अब पेंशन संबंधित सॉफ़्टवेयर में सुरक्षा को बढ़ाते हुए बदलाव करेगा, ताकि भविष्य में किसी तरह की हेराफेरी की गुंजाइश न बचे।
घोटाले का मूल कारण, सिस्टम की खामी
चित्रकूट कोषागार में एरियर और पेंशन को एक साथ जारी किए जाने की व्यवस्था का लाभ उठाकर घोटाला किया गया। इसी खामी के कारण 93 पेंशनरों के बैंक खातों में गलत ढंग से करोड़ों रुपये भेजे गए। अब यह व्यवस्था पूरी तरह बदल दी जाएगी।
अब तक की कार्रवाई
जिन 93 खातों में एरियर के नाम पर धन भेजा गया था, उन्हें फ्रीज कर दिया गया है। अब तक 3.62 करोड़ रुपये वापस मिल चुके हैं। कुल 97 लोगों पर मुकदमा दर्ज हुआ है—इसमें 93 पेंशनर, 2 सहायक लेखाकार, 1 सहायक कोषाधिकारी, 1 सेवानिवृत्त सहायक कोषाधिकारी और कुछ बिचौलिये शामिल हैं। पुलिस अब तक 32 लोगों को गिरफ्तार कर चुकी है। आरोपियों में से एक सहायक लेखाधिकारी की मौत भी हो चुकी है।
सभी कोषागारों में होगी विशेष जांच
घोटाले के बाद, शासन ने वर्ष 2014 से अब तक सभी कोषागारों का विशेष ऑडिट कराने का निर्णय लिया है। मुख्य कोषाधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि वे अपने-अपने जिलों में पेंशन खातों की पूरी जांच कराएं। सरकार ने स्पष्ट किया है कि कोषागार सॉफ़्टवेयर की सभी कमियों को दूर किया जाएगा। इसके लिए तकनीकी सुरक्षा बढ़ाई जाएगी, ताकि किसी भी स्तर पर गलत प्रविष्टि, फर्जी एरियर या अवैध ट्रांजेक्शन संभव न हो सके।
.png)
0 comments:
Post a Comment