गन्ना सर्वे की प्रक्रिया में एक संयुक्त टीम शामिल होगी, जिसमें राजकीय गन्ना पर्यवेक्षक, चीनी मिल के कर्मचारी और संबंधित किसान शामिल होंगे। इस सर्वेक्षण के दौरान, किसानों से ऑनलाइन घोषणापत्र भरवाना अनिवार्य होगा। सरकार का कहना है कि जिन किसानों ने ऑनलाइन घोषणा पत्र नहीं भरा, उनका सट्टा आगामी पेराई सत्र में कभी भी बंद किया जा सकता है।
सर्वे का तरीका और टीम की कार्यशैली
गन्ना सर्वे के लिए सरकार ने एक विशेष योजना बनाई है। सर्वे 1 मई से लेकर 30 जून तक चलेगा। सर्वे टीम की सभी गतिविधियों की सूचना तीन दिन पहले किसानों को एसएमएस के जरिए दी जाएगी, जिसमें टीम के इंचार्ज का नाम और मोबाइल नंबर भी होगा। इस प्रक्रिया के दौरान, किसानों को खेत पर उपस्थित रहना अनिवार्य होगा ताकि सर्वेक्षण सटीक तरीके से किया जा सके।
सर्वे में जीपीएस तकनीक का इस्तेमाल किया जाएगा और रजिस्टर में सभी विवरण दर्ज किए जाएंगे। इसके अतिरिक्त, मानसून, शरदकालीन और बसंतकालीन गन्ना बोआई वाले खेतों का भी विशेष ध्यान रखा जाएगा। ड्रिप इरिगेशन वाले खेतों और सहफसली खेती के तहत गन्ना उगाने वाले किसानों का विवरण भी इस सर्वे में अंकित किया जाएगा।
नियुक्त किए जाएंगे सर्किल इंचार्ज
प्रत्येक सर्किल के लिए एक सर्किल इंचार्ज नियुक्त किया जाएगा, जो सर्वे कार्य की निगरानी करेगा। यदि किसी सर्किल में राजकीय गन्ना पर्यवेक्षकों की कमी होती है, तो उस कमी को पूरा करने के लिए संबंधित समितियों के कर्मचारी नियुक्त किए जाएंगे। सर्वे के अंत में, गन्ना क्षेत्रफल का सारांश तैयार किया जाएगा और इस पर सर्वे टीम, चीनी मिल के कर्मचारियों और विभागीय अधिकारियों के हस्ताक्षर किए जाएंगे। इससे आंकड़ों की शुद्धता सुनिश्चित की जाएगी।
गन्ना विकास और कृषि नीति का महत्वपूर्ण कदम
यह नीति किसानों के लिए एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकती है, क्योंकि इससे गन्ना उत्पादकों को बेहतर योजना बनाने और मिलों के साथ पारदर्शी संबंध स्थापित करने का अवसर मिलेगा। इसके साथ ही, सरकार का उद्देश्य गन्ने के उत्पादन और पेराई के कार्यों को सुव्यवस्थित और प्रभावी बनाना है।
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