इस योजना की खास बात यह है कि अब तीन से छह वर्ष तक की उम्र के स्कूल पूर्व शिक्षा प्राप्त कर रहे 52,82,132 बच्चों को जीविका दीदियों के माध्यम से हर साल दो सेट पोशाक दी जाएगी। समाज कल्याण विभाग ने इस महत्वाकांक्षी योजना की पूरी तैयारी कर ली है और इसके लिए 211.28 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे।
बच्चों को एक जैसी पोशाक, सेविका-सहायिका को भी यूनिफॉर्म
विभाग के अनुसार, पहले पोशाक के लिए राशि सीधे डीबीटी (Direct Benefit Transfer) के जरिए बच्चों के अभिभावकों के खातों में भेजी जाती थी। लेकिन विभागीय जांच में यह सामने आया कि अधिकांश मामलों में वह राशि बच्चों की ड्रेस के बजाय अन्य जरूरतों में खर्च हो रही थी। अब यह जिम्मेदारी जीविका समूहों को सौंपी गई है, जिससे ना सिर्फ पारदर्शिता बढ़ेगी बल्कि महिलाओं को आत्मनिर्भरता की दिशा में भी एक और मजबूत कदम मिलेगा।
इस योजना के तहत आंगनबाड़ी केंद्रों पर कार्यरत सेविकाओं और सहायिकाओं को भी जीविका के माध्यम से एक जैसी साड़ियाँ दी जाएंगी। इससे केंद्र का पूरा वातावरण एक आदर्श स्कूल की तरह दिखेगा, जहां बच्चे और देखभाल करने वाले एक समान पोशाक में होंगे।
प्ले स्कूल जैसा माहौल: पढ़ाई, खेल और पोषण एक साथ
सरकार की मंशा है कि आंगनबाड़ी केंद्र केवल पोषण वितरण केंद्र न रहकर बच्चों के लिए प्ले स्कूल का वातावरण बनें। इसके तहत इन केंद्रों पर शिक्षा-संबंधी गतिविधियां, रंग-बिरंगे चित्रों से सजी दीवारें, खेल-कूद की सामग्रियाँ और पौष्टिक भोजन उपलब्ध कराया जाएगा। यह बदलाव बच्चों के शुरुआती विकास को सशक्त बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है।
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