जमीन रिकॉर्ड की आधार से सीडिंग क्यों ज़रूरी?
राज्य सरकार का मानना है कि जमीन की खरीद-बिक्री और स्वामित्व को लेकर बढ़ते फर्जीवाड़ों और विवादों पर लगाम लगाने के लिए आधार लिंकिंग बेहद जरूरी कदम है। अधिकारियों के अनुसार, जब जमीन का रिकॉर्ड आधार से जुड़ जाएगा, तब कोई व्यक्ति एक ही जमीन को बार-बार नहीं बेच सकेगा। इसके साथ ही यह भी साफ हो जाएगा कि एक व्यक्ति के नाम पर कितनी भूमि है।
कैसे कराएं अपनी भूमि की आधार से सीडिंग?
यदि आप बिहार में अपनी जमीन को आधार से लिंक कराना चाहते हैं, तो इसके लिए राजस्व और भूमि सुधार विभाग के पोर्टल पर ऑनलाइन आवेदन करना होगा। आवेदन के साथ निम्नलिखित दस्तावेज देने होंगे: भूमि की रजिस्ट्री की कॉपी, जमाबंदी नंबर, रसीद (यदि उपलब्ध हो तो), आधार कार्ड की प्रति आदि। ऑनलाइन आवेदन के बाद, संबंधित अंचल कार्यालय में आपके दस्तावेज़ों की जांच की जाएगी। जांच के बाद, अंचल स्तर से ही आपकी भूमि को आधार से लिंक कर दिया जाएगा।
13 लाख लोगों की हो चुकी है सीडिंग
राजस्व विभाग के आंकड़ों के अनुसार, अब तक 17 लाख से अधिक लोगों ने आधार सीडिंग के लिए आवेदन किया है, जिनमें से 13 लाख से अधिक भूमि रिकॉर्ड पहले ही आधार से लिंक किए जा चुके हैं। शेष आवेदनों की जांच तेजी से चल रही है। पटना सहित कई जिलों में यह कार्य लगभग अंतिम चरण में है।
क्या होगा अगर सीडिंग नहीं कराई?
यदि निर्धारित समय सीमा — 31 मई 2025 — तक जमीन का रिकॉर्ड आधार से लिंक नहीं कराया गया, तो भविष्य में उस भूमि से जुड़ी खरीद-बिक्री या अन्य कार्यों में बाधा आ सकती है। विभागीय सूत्रों के अनुसार, बिना आधार सीडिंग के जमीन का रिकॉर्ड अधूरा माना जाएगा, और ऐसे मामलों में विधिक प्रक्रिया में भी देरी हो सकती है।
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