क्या है न्यूक्लियर ट्रायड?
न्यूक्लियर ट्रायड वह स्थिति होती है जब किसी देश के पास परमाणु हथियार ज़मीन (Land-based missiles), हवा (Strategic bombers), और समुद्र (Submarine-launched ballistic missiles - SLBMs) — इन तीनों माध्यमों से दागे जा सकें। इससे देश की परमाणु जवाबी कार्रवाई क्षमता कहीं अधिक मजबूत और सुरक्षित हो जाती है, क्योंकि दुश्मन किसी एक माध्यम को नष्ट करके देश की पूरी परमाणु शक्ति को खत्म नहीं कर सकता।
भारत की ट्रायड ताकत
भारत ने INS Arihant के सफल संचालन और INS Arighat की तैनाती के साथ अपनी समुद्री परमाणु क्षमताओं को भी सशक्त बना लिया है। ये दोनों परमाणु पनडुब्बियाँ K-15 और K-4 जैसी मिसाइलों से लैस हैं, जो दुश्मन के ठिकानों पर सटीक और घातक वार कर सकती हैं। इसके अलावा, भारत के पास Agni श्रृंखला की ज़मीन आधारित मिसाइलें और परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम लड़ाकू विमान जैसे Mirage-2000 और Su-30 MKI भी हैं।
पाकिस्तान क्यों पीछे है?
पाकिस्तान भले ही परमाणु शक्ति संपन्न देश हो, लेकिन वह अब भी न्यूक्लियर ट्रायड से वंचित है। उसके पास ज़मीन और हवा से परमाणु हमला करने की क्षमता तो है, लेकिन समुद्र आधारित प्रणाली अब भी विकास के शुरुआती चरणों में है। पाकिस्तान ने हाल के वर्षों में सबमरीन लॉन्च क्रूज़ मिसाइल का परीक्षण किया है, लेकिन यह प्रणाली अभी पूर्ण परिचालन स्थिति में नहीं मानी जाती।
रणनीतिक बढ़त और भविष्य की दिशा
भारत की यह क्षमता न केवल देश की रक्षा नीति को मजबूत करती है, बल्कि यह दक्षिण एशिया में सामरिक संतुलन में भी एक अहम भूमिका निभाती है। न्यूक्लियर ट्रायड के चलते भारत अब एक विश्वसनीय सेकंड-स्ट्राइक क्षमता (Second Strike Capability) वाला राष्ट्र बन चुका है — यानी अगर दुश्मन पहला हमला करे, तब भी भारत परमाणु जवाब देने की स्थिति में रहेगा।
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