केंद्र सरकार का बड़ा फैसला: कराई जाएगी जातिगत जनगणना

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में बुधवार सुबह हुई केंद्रीय कैबिनेट की अहम बैठक में केंद्र सरकार ने एक ऐतिहासिक फैसला लेते हुए देशभर में जातिगत जनगणना कराने का ऐलान किया है। केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बैठक के बाद मीडिया को जानकारी देते हुए कहा कि यह निर्णय देश के सामाजिक ताने-बाने को बेहतर समझने और न्यायसंगत नीति निर्धारण की दिशा में एक बड़ा कदम है।

1947 के बाद पहली बार होगी जाति आधारित जनगणना

अश्विनी वैष्णव ने कहा कि आज़ादी के बाद 1947 से अब तक जातिगत जनगणना नहीं कराई गई थी। उन्होंने कांग्रेस सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि "मनमोहन सिंह सरकार ने जातिगत जनगणना की बात तो जरूर की थी, लेकिन उसे केवल राजनीतिक फायदे के लिए इस्तेमाल किया।" वैष्णव ने यह भी स्पष्ट किया कि जाति जनगणना केवल केंद्र सरकार का विषय है और अब यह मूल जनगणना प्रक्रिया में ही शामिल की जाएगी।

सामाजिक संतुलन का रखा जाएगा ध्यान

केंद्रीय मंत्री ने यह भी बताया कि इस प्रक्रिया को बेहद संवेदनशीलता और संतुलन के साथ अंजाम दिया जाएगा ताकि देश के सामाजिक ताने-बाने को कोई ठेस न पहुंचे। उन्होंने यह स्वीकार किया कि कुछ राज्यों ने पहले भी जातिगत आंकड़े जुटाने की कोशिश की है और उन अनुभवों से केंद्र सरकार भी सीख ले रही है।

क्या है जातिगत जनगणना?

जातिगत जनगणना में देश की आबादी को विभिन्न जातियों और उप-जातियों के आधार पर वर्गीकृत किया जाता है। इससे यह जानकारी मिलती है कि देश में कौन-सी जाति कितनी संख्या में मौजूद है, उनकी सामाजिक-आर्थिक स्थिति क्या है और किन वर्गों को विशेष सरकारी योजनाओं और आरक्षण का लाभ मिलना चाहिए।

राजनीतिक और सामाजिक असर

जातिगत जनगणना का फैसला भारतीय राजनीति में नए सामाजिक विमर्श की शुरुआत मानी जा रही है। यह न केवल नीति निर्धारण में सहायक होगा बल्कि वंचित और पिछड़े वर्गों को मुख्यधारा में लाने की दिशा में भी प्रभावी कदम साबित हो सकता है।

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