हेल्थ डेस्क: आज के वर्तमान समय में बहुत से लोग ऐसे हैं जिन्हे हार्ट फेल और हार्ट अटैक की समस्या होती हैं। लेकिन लोगों को इसके बारे में सही जानकारी नहीं होती हैं की हार्ट फेल और हार्ट अटैक में क्या अंतर हैं। आज इसी विषय में मेडिकल साइंस के एक अध्ययन के अनुसार जानने की कोशिश करेंगे हार्ट फेल और हार्ट अटैक के अंतर के बारे में। तो आइये इसके बारे में जानते हैं विस्तार से।
हार्ट अटैक :
मेडिकल साइंस के एक अध्ययन के अनुसार जब हार्ट मसल्स के एक सेग्मेंट की डेथ हो जाती है तो उसे हार्ट अटैक माना जाता हैं। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि हार्ट के इस हिस्से में किसी कारण से रक्त प्रवाह नहीं हो रहा होता है।
आपको बता दें की जब किसी आर्टरी में ब्लड क्लॉट के कारण हार्ट के उस हिस्से में खून की सप्लाई बंद हो जाती है। जबकि हार्ट फेल्यॉर में हार्ट की मसल्स इतनी कमजोर और सख्त हो जाती है कि ठीक प्रकार से काम नहीं कर पाती हैं और इस स्थिति में हार्ट खून को उतनी मात्रा में पंप नहीं कर पाता है जितनी मात्रा में हमारे शरीर को जरूरत होती है।
हार्ट फेल्यॉर :
अगर बात हार्ट फेल्यॉर की करें तो हार्ट फेल्यॉर की मुख्य वजहों में कोरोनरी आर्टरी से संबंधित बीमारियां, जैसे हाइपरटेंशन, डायबिटीज मेलिटस, वेल्युलर हार्ट डिजीज और कॉनजेनिटल हार्ट डिजीज जैसे कारण शामिल होते हैं। हार्ट फेल्यॉर होने पर सांस लेने में दिक्कत होने लगती है। ऐसा लंग्स में फ्लूइड के जमा होने के कारण हो सकता है। इससे शरीर में बेचैनी आने लगता हैं और इंसान खुद को चिड़चिड़ा महसूस करता हैं। ऐसी समस्या होने पर तुरंत डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए।
एक आंकड़ों के अनुसार भारत में 80 लाख से 1 करोड़ के बीच हार्ट फेल्यॉर के मरीज हैं। इनमें से 23 प्रतिशत लोग इस बीमारी की पहचान होने के एक साल के अंदर ही मृत्यु का शिकार हो जाते हैं।
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