हेल्थ डेस्क: मेडिकल साइंस की बात करें तो डिलीवरी का समय महिलाओं के लिए सबसे खास होता हैं। इस समय महिलाओं के वजाइना में कई तरह के बदलाव देखने को मिलते हैं। इन बदलाव के बारे में सभी महिलाओं को सही जानकारी होनी चाहिए। आज इसी विषय में जानने की कोशिश करेंगे डिलीवरी के दौरान वजाइना में होने वाले बदलाव के बारे में। तो आइये इसके बारे में जानते हैं विस्तार से।
1 .मेडिकल साइंस के अनुसार डिलीवरी के दौरान वजाइना का साइज थोड़ा बड़ा हो जाता है। ताकि बच्चा जन्म के दौरान बाहर आ सके। ये प्रक्रिया महिलाओं के शरीर में नॉर्मल होती हैं। इसलिए महिलाओं को इससे ज्यादा चिंतित नहीं होनी चाहिए।
2 .आपको बता दें की सर्विक्स ह्यूमन फीमेल वजाइना का एक रिप्रोडक्टिव पार्ट होता है। डिलीवरी के दौरान यह अपने नैचरल साइज से 10 गुना तक बड़ा हो जाता है। इसलिए प्रसव के दौरान गर्भवती महिला को थोड़ा पुश करने के लिए कहा जाता है ताकि बच्चा आराम से बाहर आ सके।
3 .एस्ट्रोजन हॉर्मोन महिलाओं को डिलीवरी के दौरान होनेवाले दर्द को सहने में मदद करता है। इसी मदद से वजाइना जरूरत के अनुसार फैल जाती है और बच्चा सहजता से बाहर आ पाता है। लेकिन पेल्विक मसल्स पर भी यह बात बहुत अधिक निर्भर करती है कि वजाइना का साइज कितना फैलेगा और कितना नहीं।
4 .डिलीवरी के दौरान वजाइना में जो बदलाव होते हैं। उनके बाद वजाइना को फिर से अपनी नॉर्मल कंडीशन में आने में वक्त लगता है। बच्चे के जन्म के बाद वजाइना अपनी नैचरल शेप में आने लगता है लेकिन कुछ समय तक स्वेलिंग या बर्निंग की समस्या हो सकती है। इससे छुटकारा पाने के लिए डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए।
5 .मेडिकल साइंस के अनुसार डिलीवरी के दौरान वजाइना में एस्ट्रोजन का लेवल काफी बढ़ जाता है। इसका एक काम वजाइनल लूब्रिकेंट्स की तरह वजाइना को सॉफ्ट और स्मूद रखना भी होता है।
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