न्यूज डेस्क: आज के वर्तमान समय में नासा दुनिया की सबसे बड़ी स्पेस रिसर्च एजेंसी हैं जो दुनिया में बड़े बड़े रिसर्च के लिए जानी जाती हैं। कुछ दिन पहले नासा ने सूर्य के अध्ययन के लिए एक मिशन भेजा हैं। जिसकी चर्चा पूरी दुनिया में हो रही हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं की इस मिशन की जमीन एक भारतीय वैज्ञानिक ने तैयार किया था। आज इसी विषय में जानेंगे विस्तार से।
साल 1958 में चंद्रशेखर ने 'सौर पवन' के अस्तित्व के प्रस्ताव वाले रिसर्च को अपने जर्नल में प्रकाशित किया था। आज इसी रिसर्च के दम पर नासा सौर पवन का अध्ययन कर रहा हैं। जिसमे नासा को कामयाबी भी प्राप्त हो रही हैं।
60 साल पहले अगर खगोल भौतिकशास्त्री चंद्रशेखर ने 'सौर पवन' के अस्तित्व के प्रस्ताव वाले रिसर्च का प्रकाशन अपने जर्नल में करने का साहस न दिखाया होता तो शायद आज नासा को सूर्य के अध्ययन करने में कामयाबी नहीं हासिल होती।
'सौर पवन' सूर्य से बाहर वेग से आने वाले आवेशित कणों या प्लाज़्मा की बौछार को नाम दिया गया है। इसके बारे में सबसे पहले भारतीय वैज्ञानिक चंद्रशेखर ने बताया था की ये कण अंतरिक्ष में चारों दिशाओं में फैलते जाते हैं। ये कण मुख्य रूप से प्रोटॉन और इलेक्ट्रॉन से बने होते हैं, जिनकी ऊर्जा लगभग एक किलो इलेक्ट्रॉन वोल्ट (KEV) हो सकती है।
आपको बता दें की नासा का पार्कर सोलर प्रोब स्पेसक्राफ्ट सूर्य के काफी करीब हैं जो सूर्य के चारों ओर चक्कर लगा रहा हैं और सूर्य से मिली जानकारी को लेकर धरती पर नासा के रिसर्च सेंटर भेज रहा हैं। जिस पर वैज्ञानिक रिसर्च कर रहे हैं।
0 comments:
Post a Comment