न्यूज डेस्क: भारतीय जनता पार्टी के लगभग सभी लोकसभा चुनाव के घोषणा पत्र में समान नागरिक संहिता यानि यूनिफॉर्म सिविल कोड का मुद्दा शामिल था। लेकिन जिस प्रकार मोदी सरकार अपने सभी वादों को पूरा कर रही हैं। देश में इस बात की चर्चा शुरू हो गयी हैं की क्या मोदी सरकार यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू कर सकती हैं। आज इसी विषय में जानने की कोशिश करेंगे विस्तार से।
यूनिफॉर्म सिविल कोड क्या?
आपको बता दें की यूनिफॉर्म सिविल कोड का मतलब है देश में हर नागरिक के लिए एक समान कानून का होना। फिर भले ही वो किसी भी धर्म या जाति से ताल्लुक क्यों न रखता हो। अभी वर्तमान समय में सभी धर्मो के लोगों के लिए अलग-अलग कानून हैं। चाहें शादी को लेकर कानून हो या जमीन संपत्ति को लेकर कानून हो, तलाक का कानून हो।
यूनिफॉर्म सिविल कोड क्यों है जरूरी?
1 .भारत जैसे बड़े देश में विभिन्न धर्मों के विभिन्न कानून से न्यायपालिका पर बोझ पड़ता है। कॉमन सिविल कोड आ जाने से इस मुश्किल से निजात मिलेगी और न्यायालयों में वर्षों से लंबित पड़े मामलों के निपटारे जल्द होंगे। साथ ही साथ न्याय जल्दी मिलेगा।
2 .सभी के लिए कानून में एकसमानता से एकता को बढ़ावा मिलेगा और इस बात में कोई दो राय नहीं है कि जहां हर नागरिक समान हो, उस देश का विकास तेजी से होता है। दुनिया के ज्यादा तर विकसित देश में एक कानून हैं।
3 .यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू होने से मुस्लिम महिलाओं की स्थिति बेहतर होगी। साथ ही साथ वो भी पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर आगे बढ़ेगी।
4 .हर भारतीय पर एक समान कानून लागू होने से राजनीति में भी बदलाव आएगा या यू कहें कि वोट बैंक और ध्रुवीकरण की राजनीति पर लगाम लगेगी।
5 .महिलाओं का अपने पिता की संपत्ति पर अधिकार और गोद लेने जैसे मामलों में भी एक समान नियम लागू होंगे।
आपको बता दें की संविधान के अनुच्छेद 44 में यूनिफॉर्म सिविल कोड का पक्ष लिया गया है, लेकिन ये डायरेक्टिव प्रिंसपल हैं। यानी की इसे लागू करना या न करना पूरी तरह से सरकार पर निर्भर करता है। आज के समय में गोवा में कॉमन सिविल कोड लागू है।
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