प्राइवेट कंपनियों के नियंत्रण में आने से जहां एक ओर सेवाओं में सुधार की उम्मीद जताई जा रही है, वहीं दूसरी ओर कर्मचारियों के हितों की सुरक्षा भी एक बड़ा सवाल बनकर उभर रहा है। कर्मचारियों के लिए इस बदलाव के बाद नए नियम लागू किए गए हैं, जिनमें स्थानांतरण, अनुबंध की अवधि, और नौकरी की सुरक्षा को लेकर सख्त प्रावधान जोड़े गए हैं।
इस बदलाव का सबसे बड़ा असर सरकारी और आउटसोर्स कर्मचारियों पर पड़ेगा, जिनके लिए नए दिशा-निर्देश और शर्तें लागू होंगी।
पहला वर्ष: पहले वर्ष में सभी कर्मचारियों को निजी कंपनी के साथ काम करना होगा, यानी वे सरकार की जगह निजी कंपनियों में काम करेंगे।
दूसरा वर्ष: दूसरे वर्ष के दौरान एक-तिहाई कर्मचारियों को ही दूसरे डिस्कॉम में स्थानांतरित होने का मौका मिलेगा।
वीआरएस (स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति योजना): एक वर्ष बाद वीआरएस का विकल्प दिया जाएगा, जिससे कर्मचारी स्वेच्छा से सेवानिवृत्त हो सकते हैं।
आउटसोर्स कर्मियों का भविष्य: आउटसोर्स कर्मचारियों के लिए स्थिति और भी मुश्किल है क्योंकि उनका कार्यकाल केवल उनके वर्तमान अनुबंध तक सीमित रहेगा। अनुबंध समाप्त होने के बाद, निजी कंपनियां तय करेंगी कि उन्हें रखा जाए या नहीं, और कंपनी को कामकाजी दक्षता के आधार पर कर्मचारियों को हटाने का अधिकार भी होगा। इस कारण आउटसोर्स कर्मियों का भविष्य अनिश्चित हो गया है।
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