लखनऊ: उत्तर प्रदेश में अब ड्राइविंग लाइसेंस (DL) बनाने की प्रक्रिया को लेकर नए दिशा-निर्देश लागू किए गए हैं, जिनसे फर्जीवाड़े की संभावनाएं समाप्त हो जाएंगी। यह कदम राज्य सरकार ने उठाया है ताकि सिर्फ योग्य व्यक्ति ही स्थाई लाइसेंस प्राप्त कर सकें और सिस्टम में होने वाले भ्रष्टाचार पर रोक लग सके।
बिना गाड़ी चलाए नहीं मिलेगा लाइसेंस
अब तक यूपी में ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने के लिए कई लोग बिना गाड़ी चलाए ही टेस्ट पास कर लेते थे। यह प्रक्रिया दलालों द्वारा संचालित होती थी, जो आवेदकों से मोटी रकम लेकर बिना टेस्ट के लाइसेंस बनवा देते थे। लेकिन अब नई व्यवस्था के तहत ड्राइविंग टेस्ट की वीडियो रिकॉर्डिंग की जाएगी, जिससे अगर भविष्य में कोई शिकायत या संदेह उत्पन्न होता है, तो विभाग उसे रिकॉर्डिंग के जरिए सत्यापित कर सकेगा।।
वीडियो रिकॉर्डिंग: पारदर्शिता का एक कदम
नई व्यवस्था के तहत ड्राइविंग टेस्ट की वीडियो रिकॉर्डिंग का मुख्य उद्देश्य पारदर्शिता सुनिश्चित करना है। अगर कोई आवेदक नियमों का पालन नहीं करता है या टेस्ट के दौरान किसी तरह की धांधली की जाती है, तो वह वीडियो में कैद हो जाएगी। इस रिकॉर्डिंग को देखकर एआरटीओ अधिकारी किसी भी शिकायत की जांच कर सकते हैं और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई कर सकते हैं।
यूपी में स्थाई लाइसेंस के लिए टेस्ट की प्रक्रिया
लर्निंग लाइसेंस मिलने के छह महीने बाद आवेदक स्थाई लाइसेंस के लिए आवेदन कर सकता है। स्थाई लाइसेंस के लिए आवेदन को एआरटीओ कार्यालय जाकर ड्राइविंग टेस्ट देना होता है। पहले लोग केवल दो पहिया वाहन चलाकर यह टेस्ट पास कर लेते थे और उन्हें चार पहिया वाहन चलाने का लाइसेंस भी मिल जाता था। अब इस प्रक्रिया को कड़ा कर दिया गया है और टेस्ट की वीडियो रिकॉर्डिंग से किसी भी तरह की अनियमितता को पकड़ा जा सकेगा। इस व्यवस्था के लागू होने से ये उम्मीद की जा रही है कि राज्य में ड्राइविंग लाइसेंस से जुड़े भ्रष्टाचार और धोखाधड़ी की घटनाओं में कमी आएगी।
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