सर्वर का डिजिटलीकरण और फायदें
सर्वे निदेशालय की तकनीकी शाखा ने यह सुनिश्चित किया है कि अब प्रत्येक जिले का सर्वर पूरी तरह से अलग-अलग कार्य करेगा। इसके माध्यम से डिजिटाइज्ड और स्कैन किए गए डेटा को संग्रहित करने में कोई समस्या नहीं होगी। पहले कई जिलों में डेटा संग्रहण की प्रक्रिया में जटिलताएँ थीं, लेकिन अब यह समस्या खत्म हो गई है। जिलों के लिए नया विकल्प उपलब्ध होगा, जिससे यूजर्स अपनी जानकारी उस विशेष प्रमंडल के सर्वर में अपलोड कर सकते हैं, और उनका डेटा सुरक्षित रूप से संरक्षित हो जाएगा।
बंदोबस्त पदाधिकारियों से संवाद
भू-अभिलेख एवं परिमाप निदेशक, कमलेश कुमार सिंह ने शास्त्री नगर स्थित सर्वे भवन से ऑनलाइन माध्यम से सभी 38 जिलों के बंदोबस्त पदाधिकारियों से संवाद किया। इस बैठक में उन्होंने यह सुनिश्चित किया कि सर्वर के अलग-अलग कार्य करने के बावजूद, जमीन सर्वेक्षण से संबंधित कोई भी तकनीकी समस्या बची है या नहीं। सभी पदाधिकारियों ने यह पुष्टि की कि अब कोई समस्या नहीं है और सर्वर प्रणाली के कार्य करने से डेटा अपलोड और डिजिटाइजेशन की प्रक्रिया में तेजी आएगी।
भूमि सर्वे में पारदर्शिता और सटीकता
इस नए बदलाव से न केवल प्रशासनिक पारदर्शिता बढ़ेगी, बल्कि यह भी सुनिश्चित होगा कि सभी भूमि दस्तावेज़ पूरी तरह से सही और सुरक्षित रूप से डिजिटली उपलब्ध हों। यह कदम किसानों के लिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि अब उन्हें अपने भूमि दस्तावेजों को सुरक्षित रखने और भविष्य में किसी भी कानूनी समस्या से बचने के लिए बार-बार भटकने की आवश्यकता नहीं होगी। इसके अलावा, राज्य सरकार के लिए यह सुनिश्चित करना भी आसान होगा कि भूमि रिकॉर्ड सही और अद्यतन हैं।
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