योजना का उद्देश्य और लाभ
अमृत धारा स्कीम के अंतर्गत, प्रदेश में दो प्रमुख वर्गों के लिए वित्तीय सहायता का प्रावधान किया गया है। पहला वर्ग छोटे किसानों और पशुपालकों के लिए है, जिनके पास दो से दस गायें हैं। इस वर्ग के लिए योजना के तहत 10 लाख रुपये तक का ऋण दिया जाएगा, जिसमें से 3 लाख रुपये का ऋण बिना किसी गारंटी के मिलेगा। इस ऋण का मुख्य उद्देश्य किसानों को गाय पालन में मदद देना और उन्हें आर्थिक दृष्टि से सशक्त बनाना है।
इसके अलावा, योजना में एक और महत्वपूर्ण पहलू है—दुग्ध उत्पादन और जैविक खेती को बढ़ावा देना। इसमें किसानों को उनके बैंक खातों के माध्यम से सीधे भुगतान की सुविधा भी दी जाएगी, जिससे पारदर्शिता और सुगमता बनी रहेगी। साथ ही, इस योजना में 2 लाख रुपये तक का बीमा कवर भी दिया जाएगा, जो किसान को प्राकृतिक आपदाओं या अन्य अप्रत्याशित घटनाओं से सुरक्षा प्रदान करेगा।
बड़े चिलिंग सेंटर और दुग्ध संयंत्र
अमृत धारा स्कीम का दूसरा वर्ग बड़े चिलिंग सेंटर और दुग्ध प्रसंस्करण संयंत्रों के लिए है। इस वर्ग के तहत ऋण देने का उद्देश्य बड़े पैमाने पर दूध प्रसंस्करण और विपणन की प्रक्रिया को सशक्त बनाना है। इससे न केवल छोटे किसानों और गोपालकों को अप्रत्यक्ष लाभ मिलेगा, बल्कि दूध की गुणवत्ता में भी सुधार होगा, जो बाजार में उत्पाद की प्रतिस्पर्धा को बढ़ाएगा।
किसानों के लिए बेहतर अवसर
यह योजना छोटे और मझोले किसानों के लिए एक नई राह खोलती है, जहां उन्हें बिना गारंटी के ऋण की सुविधा मिल रही है। इससे किसान ऋण लेने से डरेंगे नहीं और गाय पालन में निवेश करने के लिए प्रेरित होंगे। इस योजना से किसान न केवल अपनी गायों की संख्या बढ़ा सकेंगे, बल्कि दूध उत्पादन को भी बढ़ावा दे पाएंगे, जो उनकी आय का एक स्थिर स्रोत बन सकता है।
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