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अब एआई होगा हीरो-हीरोइन! पहली AI फिल्म का ट्रेलर रिलीज

नई दिल्ली: बॉलीवुड में हमेशा से ही सितारे और उनकी शानदार एक्टिंग को सबसे अधिक सराहा जाता है। लेकिन अब समय बदल रहा है, और तकनीकी विकास के साथ सिनेमा की दुनिया में भी नई क्रांतियाँ देखने को मिल रही हैं। बॉलीवुड में अब एआई (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) की एंट्री हो चुकी है, और इस बदलाव का सबसे पहला उदाहरण है 'नाइशा' फिल्म। 

यह बॉलीवुड की पहली एआई-पावर्ड फिल्म है, जो पूरी तरह से एआई तकनीक पर आधारित है। हाल ही में इस फिल्म का ट्रेलर रिलीज किया गया है, जिसने दर्शकों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया है। ऐसे में सवाल है की तो क्या एआई तकनीक बॉलीवुड को एक नई दिशा दे पाएगी? यह सवाल फिल्म के ट्रेलर को देखने के बाद कुछ हद तक हल हो सकता है।

'नाइशा' का एआई जादू

बॉलीवुड फिल्मों में हमें हमेशा ही हीरो-हीरोइन की शानदार केमिस्ट्री देखने को मिलती है, जहां एक्टर-एक्ट्रेस अपनी एक्टिंग से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर देते हैं। लेकिन 'नाइशा' में यह सब कुछ अलग है। इस फिल्म में मुख्य पात्रों, नाइशा बोस और जैन कपूर, को एआई (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) द्वारा जेनरेट किया गया है। 

इसका मतलब यह है कि फिल्म में जो किरदार दिखाई देंगे, वे इंसान नहीं, बल्कि पूरी तरह से डिजिटल और एआई-पावर्ड होंगे। ट्रेलर में इन दोनों के बीच एक दिलचस्प प्रेम कहानी देखने को मिली है, जो दर्शकों को आकर्षित करती है। इस फिल्म में एआई-जनरेटेड कैरेक्टर्स के जरिए एक नई दुनिया को जन्म दिया गया है, जो सिनेमा की पारंपरिक परिभाषाओं को चुनौती देता है।  इसका रोमांस, संवाद, और जटिल भावनाएँ दर्शकों को एक नई सिनेमाई अनुभव प्रदान करती हैं। फिल्म का संवाद “मुझे लोग सस्ता बादशाह कहते हैं” जैसी बातें ट्रेलर को मजेदार और आकर्षक बनाती हैं, जो कि दर्शकों की उत्सुकता को और बढ़ा देती हैं।

क्या एआई बॉलीवुड के स्टार्स को टक्कर दे पाएगा?

अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या एआई आधारित फिल्में पारंपरिक बॉलीवुड फिल्मों को टक्कर दे पाएंगी, जो बड़े-बड़े स्टार्स, आकर्षक गाने और महंगी प्रोडक्शन वैल्यू के साथ आती हैं? आज भी बॉलीवुड का मुख्य आकर्षण उसके सितारे और उनकी फिल्मों में दिखाई गई अभिनय क्षमता ही है। फिर भी, 'नाइशा' जैसी एआई आधारित फिल्में नए तरह के दर्शकों और सिनेमा प्रेमियों को आकर्षित करने में सक्षम हो सकती हैं, जो तकनीकी बदलावों में रुचि रखते हैं।

यूपी में बिजली चोरी को लेकर सख्त कार्रवाई शुरू

न्यूज डेस्क: उत्तर प्रदेश में बिजली चोरी की समस्या एक गंभीर मुद्दा बन चुकी है, जो न केवल राज्य की अर्थव्यवस्था पर असर डालती है, बल्कि बिजली आपूर्ति में भी बाधा उत्पन्न करती है। इस समस्या को हल करने के लिए राज्य सरकार और बिजली विभाग की तरफ से लगातार सख्त कदम उठाए जा रहे हैं। हाल ही में कन्नौज और इटावा जिलों में बिजली चोरी को लेकर छापेमारी अभियान तेज कर दिया गया है, जिसमें बड़ी संख्या में अवैध कनेक्शन और बिजली चोरी करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की गई।

कन्नौज में बिजली बिल अधिभार छूट

कन्नौज जिले में बिजली बिल अधिभार छूट योजना की अंतिम तिथि 28 फरवरी, शुक्रवार है, जिसके चलते अधीक्षण अभियंता ने एक कैंप लगाया। इस कैंप के माध्यम से 238 बकायेदारों के बिजली कनेक्शन काटे गए और नौ लाख रुपये की वसूली की गई। इस कार्यवाही के दौरान विभाग ने उपभोक्ताओं को चेतावनी दी कि यदि समय रहते उनके बकाए का भुगतान नहीं किया गया, तो उनका कनेक्शन स्थायी रूप से काट दिया जाएगा। यह छूट योजना उन उपभोक्ताओं के लिए थी, जिन्होंने बकाए का भुगतान नहीं किया था और विभाग ने उन्हें छूट देने का प्रस्ताव रखा था।

इटावा में बिजली चोरी की सख्त कार्रवाई

इटावा जिले में भी बिजली चोरी पर कड़ी नजर रखी जा रही है। यहां पर बिजली चोरी करते हुए पांच लोगों को पकड़ा गया, जिन पर मुकदमा दर्ज किया गया। इन पांचों ने बिजली के अवैध कनेक्शन लेकर चोरी से बिजली का उपयोग किया था। इसके अलावा, 134 उपभोक्ताओं के कनेक्शन काटकर 10.75 लाख रुपये की वसूली की गई। विभाग की कार्रवाई से यह साफ हो गया कि अब बिजली चोरी करने वालों के खिलाफ सख्त कदम उठाए जाएंगे।

यूपी में सख्त कार्रवाई की आवश्यकता

बिजली चोरी न केवल राज्य की बिजली आपूर्ति को प्रभावित करती है, बल्कि यह राज्य के वित्तीय नुकसान का भी कारण बनती है। विद्युत वितरण कंपनियों को बिजली चोरी से लाखों रुपये का नुकसान होता है, जो कि अंततः आम जनता पर अतिरिक्त बोझ डालता है। यही कारण है कि अधिकारियों ने बिजली चोरी रोकने के लिए सख्त कार्रवाई की चेतावनी दी है। उन्होंने कहा कि अगर लोग बिजली चोरी करने से बाज नहीं आए, तो उनके खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

अहमदाबाद: Assistant Engineer समेत 248 पदों पर भर्ती

अहमदाबाद: Assistant Engineer समेत 248 पदों पर भर्ती निकली हैं। इसके लिए Gujarat Public Service Commission (GPSC) द्वारा नोटिश जारी किया गया हैं। इच्छुक और योग्य उम्मीदवार प्रकाशित नोटिफिकेशन को अच्छी तरह से पढ़ें और आवेदन को पूरा करें।

पद का नाम : Assistant Engineer, State Tax Inspector & Other Vacancy

पदों की संख्या : कुल 248 पद। 

योग्यता : इन पदों पर आवेदन करने के लिए उम्मीदवारों की योग्यता पदों के अनुसार Bachelors Degree, B.Sc, B.Tech/B.E, Post Graduate, CA, ICWA, M.Com, MBA/PGDM, PG Diploma (Relevant Fields) निर्धारित किया गया हैं। 

आवेदन शुल्क : General (Unreserved) category के लिए आवेदन शुल्क 100/- रुपया, For Rreserved categories and Economically Weaker Section of Gujarat State, Exserviceman and Person with Disability के लिए NIL.

चयन प्रक्रिया : भर्ती नोटिफिकेशन के अनुसार इन पदों पर उम्मीदवारों का चयन टेस्ट और इंटरव्यू के माध्यम से किया जायेगा। 

आवेदन प्रक्रिया : इच्छुक और योग्य उम्मीदवार Gujarat Public Service Commission (GPSC) की वेबसाइट पर जा कर नोटिश को पढ़ें और आवेदन करें। 

आधिकारिक वेबसाइट : https://gpsc-ojas.gujarat.gov.in/AdvtList.aspx?type=lCxUjNjnTp8=

आवेदन की अंतिम तिथि : 15 मार्च 2025

चयनित उम्मीदवारों का वेतन : नियमानुसार।

मार्च में 14 दिन बंद रहेंगे बैंक, देखें छुट्टियों की लिस्ट

नई दिल्ली: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने मार्च 2025 के लिए बैंक अवकाश की सूची जारी की है, जिसमें इस महीने कुल 14 दिन बैंक बंद रहेंगे। ये अवकाश साप्ताहिक छुट्टियों, सार्वजनिक अवकाशों और कुछ राज्यों में क्षेत्रीय त्योहारों के कारण होंगे। अगर आपको मार्च में बैंकिंग कार्य निपटाना है, तो आपको इन छुट्टियों का ध्यान रखना होगा, ताकि कोई असुविधा न हो।

हालांकि, डिजिटल माध्यम से बैंकिंग कार्य आसानी से किए जा सकते हैं, लेकिन अगर आपको चेक जमा करना या नकद लेन-देन करना है, तो आपको यह ध्यान रखना होगा कि बैंक बंद होने पर इन सेवाओं का उपयोग नहीं किया जा सकता। इसलिए, यदि मार्च में आपको कोई महत्वपूर्ण काम करना है, तो आपको पहले ही इसकी योजना बना लेनी चाहिए और बैंक अवकाश के बारे में जानकारी रखना महत्वपूर्ण है।

मार्च 2025 में बैंक अवकाश की लिस्ट:

मार्च 2 (रविवार) – साप्ताहिक अवकाश

मार्च 7 (शुक्रवार) – चापचार कुट (मिजोरम में बैंक बंद)

मार्च 8 (दूसरा शनिवार) – साप्ताहिक अवकाश

मार्च 9 (रविवार) – साप्ताहिक अवकाश

मार्च 13 (गुरुवार) – होलिका दहन और अट्टुकल पोंगाला (उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, झारखंड और केरल में बैंक बंद)

मार्च 14 (शुक्रवार) – होली (अधिकांश राज्यों में अवकाश, कुछ राज्यों को छोड़कर)

मार्च 15 (शनिवार) – होली अवकाश (अगरतला, भुवनेश्वर, इम्फाल और पटना में बैंक बंद)

मार्च 16 (रविवार) – साप्ताहिक अवकाश

मार्च 22 (चौथा शनिवार) – साप्ताहिक अवकाश और बिहार दिवस

मार्च 23 (रविवार) – साप्ताहिक अवकाश

मार्च 27 (गुरुवार) – शब-ए-कद्र (जम्मू में बैंक बंद)

मार्च 28 (शुक्रवार) – जुमा-तुल-विदा (जम्मू और कश्मीर में बैंक बंद)

मार्च 30 (रविवार) – साप्ताहिक अवकाश

मार्च 31 (सोमवार) – ईद-उल-फितर (अधिकांश राज्यों में अवकाश, मिजोरम और हिमाचल प्रदेश को छोड़कर)

बैंक अवकाश के दौरान लेन-देन के विकल्प

बैंक बंद होने पर भी आपके पास डिजिटल बैंकिंग सेवाओं का उपयोग करने के कई विकल्प हैं। कई बैंक अपने ग्राहकों को नेट बैंकिंग, मोबाइल बैंकिंग, यूपीआई, और एटीएम जैसी सुविधाएं प्रदान करते हैं, जिनसे आप आसानी से पैसे भेज सकते हैं, बिल भुगतान कर सकते हैं, या खाता बैलेंस चेक कर सकते हैं। इन सेवाओं का उपयोग करने के लिए आपको केवल इंटरनेट कनेक्टिविटी की जरूरत होगी।

यूपी के 1700 गांवों में चकबंदी प्रक्रिया का आगाज

लखनऊ: उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्य के 1700 गांवों में चकबंदी प्रक्रिया को तेज़ी से आगे बढ़ाने की योजना बनाई है। यह कदम किसानों के लिए महत्वपूर्ण साबित हो सकता है, क्योंकि चकबंदी से न केवल भूमि के वितरण में पारदर्शिता आएगी, बल्कि भूमि से जुड़े विवादों का समाधान भी आसानी से किया जा सकेगा। आगामी अप्रैल से शुरू होने वाले इस अभियान में विशेष रूप से उन्हीं गांवों को शामिल किया जाएगा, जहां 50% से अधिक किसान पहले ही चकबंदी के लिए अपनी सहमति दे चुके हैं।

चकबंदी का महत्व

चकबंदी, या भूमि पुनर्वितरण, एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके तहत खेतों के आकार को सुधारा जाता है और यह सुनिश्चित किया जाता है कि किसानों के पास पर्याप्त और सुलभ भूमि हो। इसका उद्देश्य भूमि के छोटे-छोटे टुकड़ों को जोड़कर एक बड़ा खेत बनाना है, जिससे खेती में सुधार हो सके और उत्पादन बढ़े। इसके अलावा, चकबंदी से किसानों को अधिक से अधिक सुविधा मिलती है, जैसे बेहतर सिंचाई, मशीनों के उपयोग में आसानी और भूमि से जुड़े विवादों का समाधान।

जिलाधिकारियों को दिए गए निर्देश

चकबंदी निदेशालय ने सभी जिलाधिकारियों को समय रहते इस अभियान के लिए आवश्यक तैयारियां पूरी करने का निर्देश दिया है। यह निर्देश इस बात की ओर इशारा करता है कि अभियान के दौरान किसी भी प्रकार की रुकावट न हो और यह प्रक्रिया सुचारू रूप से पूरी हो सके। इसके अलावा, अभियान की प्रगति की नियमित समीक्षा करने के लिए यह तय किया गया है कि हर महीने की 10 तारीख तक जिलाधिकारी को चकबंदी आयुक्त को एक समीक्षा रिपोर्ट भेजनी होगी। यह रिपोर्ट चकबंदी प्रक्रिया की गति और परिणामों पर निगरानी रखने में मदद करेगी।

सभी विवादों का भी होगा समाधान

किसानों की भूमि से संबंधित विवादों का निष्पक्ष और पारदर्शी समाधान सुनिश्चित करने के लिए चकबंदी प्रक्रिया में कई महत्वपूर्ण कदम उठाए गए हैं। इन कदमों में भूचित्र का पुनरीक्षण, भूमि की पड़ताल, विनिमय प्रारूप का निर्धारण, चकबंदी योजना का प्रकाशन, अवशेष वादों का विवरण, कब्जा परिवर्तन, आपत्तियों और अपीलों का समाधान तथा अंतिम अभिलेख की तैयारी जैसी प्रक्रिया शामिल है। यह सुनिश्चित करने के लिए कि किसी भी किसान को नुकसान न हो, इन प्रक्रियाओं को पूरी पारदर्शिता के साथ किया जाएगा।

मसल्स बनाने के लिए खाएं ये 7 हाई प्रोटीन फूड्स

हेल्थ डेस्क: मसल्स बनाने के लिए एक सही आहार योजना का पालन करना बेहद जरूरी है। प्रोटीन का सेवन विशेष रूप से मसल्स के निर्माण और उनकी मरम्मत के लिए महत्वपूर्ण है। प्रोटीन शरीर के विकास और मजबूती के लिए आवश्यक एक महत्वपूर्ण पोषक तत्व है। अगर आप मसल्स बनाने की कोशिश कर रहे हैं तो आपको ऐसे खाद्य पदार्थों का चुनाव करना चाहिए जो प्रोटीन से भरपूर हों। 

1. बादाम

बादाम एक बेहतरीन प्रोटीन स्रोत है और इसमें हेल्दी फैट्स, विटामिन और मिनरल्स भी होते हैं जो मसल्स के लिए फायदेमंद होते हैं। इनमें अच्छे फैटी एसिड होते हैं जो शरीर के लिए ऊर्जा का बेहतरीन स्रोत होते हैं। बादाम में प्रोटीन, फाइबर और एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं जो मसल्स की रिकवरी और ग्रोथ में मदद करते हैं।

2. अंडे

अंडे प्रोटीन का सबसे अच्छा स्रोत माने जाते हैं। इसमें सभी आवश्यक अमीनो एसिड होते हैं जो मसल्स बनाने में सहायक होते हैं। अंडे की सफेदी में खासतौर पर प्रोटीन की मात्रा अधिक होती है, जो मसल्स रिपेयर और ग्रोथ के लिए महत्वपूर्ण है।

3. पनीर 

पनीर एक हाई प्रोटीन डेली उत्पाद है, जो कैल्शियम और अन्य पोषक तत्वों से भरपूर होता है। यह मसल्स के निर्माण के लिए आवश्यक प्रोटीन प्रदान करता है। पनीर का सेवन करने से आपकी मसल्स स्ट्रेंथ बढ़ सकती है और रिकवरी तेज होती है।

4. मसूर दाल

मसूर दाल एक बेहतरीन शाकाहारी प्रोटीन स्रोत है। इसमें पर्याप्त मात्रा में आयरन, फाइबर और प्रोटीन पाया जाता है, जो मसल्स बनाने के लिए आवश्यक है। मसूर दाल आपके शरीर को ऊर्जा देती है और मसल्स को मजबूत करती है।

5. सोया प्रोडक्ट्स

सोया प्रोटीन के बेहतरीन स्रोत होते हैं और यह शाकाहारी लोगों के लिए एक आदर्श विकल्प है। सोया के उत्पाद जैसे टोफू, सोया दूध, और सोया चंक्स प्रोटीन से भरपूर होते हैं। सोया प्रोटीन शरीर में मसल्स को बनाने और उनकी रिकवरी में मदद करता है।

6. पपीता

पपीता विटामिन सी और प्रोटीन का अच्छा स्रोत है। इसमें एंटीऑक्सीडेंट्स और फाइबर भी होते हैं, जो मसल्स बनाने के लिए सहायक होते हैं। पपीता मसल्स की ग्रोथ को बढ़ावा देने के अलावा, शरीर को ऊर्जा भी प्रदान करता है। पपीता को सलाद, स्मूदी, या सीधे फ्रूट के रूप में खा सकते हैं।

7. सेब

सेब में फाइबर, विटामिन सी और प्राकृतिक शुगर होती है, जो शरीर को ऊर्जा देती है। हालांकि यह सीधे तौर पर प्रोटीन का स्रोत नहीं है, लेकिन यह शरीर को अन्य पोषक तत्व प्रदान करता है जो मसल्स के विकास में सहायक होते हैं।

NTPC में 80 पदों के लिए भर्ती, नोटिश हुआ जारी

नई दिल्ली: नेशनल थर्मल पावर कॉरपोरेशन (NTPC), भारत की प्रमुख ऊर्जा निर्माण कंपनी, ने अपनी 2025 की भर्ती योजना के तहत 80 कार्यकारी पदों के लिए अधिसूचना जारी की है। यह भर्ती उन उम्मीदवारों के लिए एक सुनहरा अवसर प्रस्तुत करती है, जो CA (चार्टर्ड अकाउंटेंट) और CMA (कॉस्ट अकाउंटिंग) की डिग्री धारक हैं।

NTPC भर्ती 2025: महत्वपूर्ण तिथियां

NTPC में कार्यकारी पदों के लिए आवेदन करने की प्रक्रिया 5 मार्च 2025 से शुरू होगी और अंतिम तिथि 19 मार्च 2025 है। इस अवधि के भीतर आवेदन किया जा सकता है। उम्मीदवारों को इस अवधि में आवेदन करने का पूरा ध्यान रखना होगा, क्योंकि इस समय सीमा के बाद आवेदन स्वीकार नहीं किए जाएंगे।

पदों की संख्या और पदनाम

NTPC में कुल 80 कार्यकारी पदों के लिए भर्ती की जा रही है। यह पद विभिन्न विभागों में हो सकते हैं और इन पदों के लिए उम्मीदवारों से आवेदन आमंत्रित किए गए हैं।

आवेदन प्रक्रिया

NTPC में कार्यकारी पदों के लिए आवेदन पूरी तरह से ऑनलाइन किया जाएगा। उम्मीदवारों को NTPC की आधिकारिक वेबसाइट पर जाकर आवेदन फॉर्म भरना होगा। आवेदन प्रक्रिया में किसी भी प्रकार की गलती से बचने के लिए, उम्मीदवारों को सभी आवश्यक दस्तावेजों और विवरणों को ठीक से भरने की सलाह दी जाती है।

आवेदन के लिए कदम:

1 .NTPC की आधिकारिक वेबसाइट (https://ntpc.co.in/) पर जाएं।

2 .वेबसाइट के होमपेज पर "Careers" या "Job Openings" सेक्शन पर क्लिक करें।

3 .कार्यकारी पदों के लिए भर्ती अधिसूचना देखें और "Apply Online" लिंक पर क्लिक करें और आवेदन की प्रक्रिया को पूरा करें।

यूपी सरकार ने शिक्षामित्रों को दी 1 बड़ी खुशखबरी

लखनऊ: उत्तर प्रदेश सरकार ने शिक्षामित्रों के लिए एक बड़ी राहत की घोषणा की है, जिससे राज्य के लाखों शिक्षामित्रों को अपनी नौकरी से जुड़े कई महत्वपूर्ण निर्णय लेने में आसानी होगी। राज्य के बेसिक शिक्षा मंत्री संदीप सिंह ने यह ऐलान किया कि अगले शिक्षा सत्र से हर शिक्षामित्र को उनकी पसंद के स्कूल में तबादला मिल सकेगा। यह निर्णय शिक्षामित्रों के लिए एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगा, जिससे उन्हें अपने कार्य स्थल के चुनाव में अधिक स्वतंत्रता मिलेगी।

शिक्षामित्रों की स्थिति:

शिक्षामित्रों का काम उत्तर प्रदेश के स्कूलों में शिक्षा का स्तर सुधारने के लिए बेहद अहम है। वे सरकारी स्कूलों में शिक्षा देने के साथ-साथ छात्रों को शैक्षिक गतिविधियों और सामाजिक गतिविधियों के माध्यम से एक समग्र विकास का अवसर प्रदान करते हैं। हालांकि, शिक्षामित्रों की स्थिति हमेशा से ही चुनौतीपूर्ण रही है। लंबे समय तक उनके मानदेय में वृद्धि की मांग उठती रही है, लेकिन सरकार के पास उस पर तत्काल निर्णय लेने के लिए संसाधन और प्राथमिकताएँ अलग रही हैं।

तबादला नीति का महत्व

अगले शिक्षा सत्र से हर शिक्षामित्र को अपनी पसंद के स्कूल में तबादला लेने का अधिकार मिलेगा। यह निर्णय शिक्षामित्रों के लिए एक नई उम्मीद का संचार करेगा। पहले शिक्षामित्रों को तबादला नीति के तहत कई बार अपनी इच्छा के खिलाफ स्कूलों में कार्य करना पड़ता था। अब उन्हें अपनी पसंद के स्कूल में काम करने का अवसर मिलेगा, जिससे वे न केवल अपने कार्यस्थल में संतुष्ट होंगे, बल्कि शिक्षा के प्रति उनका समर्पण भी बढ़ेगा।

शिक्षामित्रों के परिवार पर सकारात्मक प्रभाव

जब शिक्षामित्र अपनी पसंद के स्कूल में काम करने के लिए तबादला ले सकेंगे, तो इसका उनके परिवार पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। वे अब अपने परिवार के पास रहकर काम करने का निर्णय ले सकेंगे, जिससे पारिवारिक जीवन में संतुलन बना रहेगा। यह कदम उत्तर प्रदेश में शिक्षामित्रों की जीवन गुणवत्ता को भी सुधार सकता है।

बिहार में शिक्षकों के ट्रांसफर को लेकर 1 बड़ी खबर

पटना: बिहार के सरकारी स्कूलों के शिक्षकों के लिए एक अहम खबर सामने आई है। राज्य के शिक्षा विभाग ने शिक्षकों के तबादले के लिए दूसरे चरण की सूची जारी कर दी है। इस सूची में कैंसर से पीड़ित कुल 180 शिक्षकों के नाम हैं, जिन्हें राज्य सरकार जल्द ही उनके नए स्कूल में नियुक्त करेगी। इसके साथ ही, इस प्रक्रिया के पहले चरण में कैंसर से पीड़ित 35 शिक्षकों का तबादला किया गया था। यह निर्णय उन शिक्षकों के लिए राहत का कारण बना है, जो स्वास्थ्य समस्याओं के चलते कार्यस्थल में बदलाव की उम्मीद कर रहे थे।

शिक्षा विभाग की प्रक्रिया

बिहार राज्य में तबादला प्रक्रिया एक बारीकी से चल रही है, जिसमें कैंसर से पीड़ित शिक्षकों के बाद अन्य गंभीर बीमारियों से जूझ रहे शिक्षकों का तबादला भी किया जाएगा। राज्य के शिक्षा विभाग ने बीपीएससी परीक्षा के माध्यम से चयनित शिक्षकों के लिए तबादला प्रक्रिया को शुरू किया है। पहले चरण में 35 शिक्षकों के नाम का चयन किया गया था, जबकि दूसरे चरण में 180 शिक्षकों को तबादला की सूची में शामिल किया गया है।

इन 180 शिक्षकों का चयन बीपीएससी द्वारा नियुक्त किए गए शिक्षकों के आधार पर किया गया है। इन शिक्षकों को विभिन्न जिलों में उनके स्वास्थ्य के आधार पर स्कूल आवंटित किए जाएंगे। विभाग ने स्कूल आवंटन के लिए जिलों से रिपोर्ट भी प्राप्त कर ली है, और अब केवल विभाग की कमेटी की मंजूरी बाकी है।

आगे की प्रक्रिया

इस पूरे तबादला प्रक्रिया में अब तक 400 से ज्यादा शिक्षकों के आवेदन की जांच की जा चुकी है। गौरतलब है कि बिहार में कुल 1 लाख 90 हजार शिक्षकों ने तबादले के लिए आवेदन किया है। शिक्षा विभाग ने इन आवेदनों को कई श्रेणियों में बांटा है, जिसमें सबसे पहले कैंसर से पीड़ित शिक्षकों के तबादले का कार्य प्राथमिकता पर रखा गया है। इसके बाद, गंभीर बीमारियों से पीड़ित अन्य शिक्षकों के तबादले पर ध्यान दिया जाएगा।

यह प्रक्रिया शिक्षकों के लिए एक सकारात्मक कदम साबित हो सकती है, क्योंकि यह स्वास्थ्य कारणों से प्रभावित शिक्षकों को कार्यस्थल में बदलाव की सहूलियत प्रदान करेगा। इसके माध्यम से शिक्षक अपने स्वास्थ्य के हिसाब से अधिक सुविधाजनक स्थान पर काम कर सकेंगे।

अहमदाबाद: Senior Manager समेत 518 पदों पर भर्ती

अहमदाबाद: Senior Manager समेत 518 पदों पर भर्ती निकली हैं। इसके लिए Bank of Baroda की आधिकारिक वेबसाइट पोर्टल पर नोटिश जारी किया गया हैं। इच्छुक और योग्य उम्मीदवार प्रकाशित नोटिफिकेशन को अच्छी तरह से पढ़ें और आवेदन को पूरा करें।

पद का नाम : Senior ManagerDeveloper, Manager-Developer, Officer-Developer, Manager - Security,  Manager- Finacle Developer, अन्य पद। 

पदों की संख्या : कुल 518 पद। 

योग्यता : इन पदों पर आवेदन करने के लिए उम्मीदवारों की योग्यता पदों के अनुसार Any Graduate, B.Tech/ B.E, Any Masters Degree, CA, M.Sc, M.E/ M.Tech, MBA/ PGDM, MCA (Relevant Field) आदि निर्धारित किया गया हैं। 

आवेदन शुल्क : General, EWS & OBC candidates के लिए Rs.600/- रुपया, जबकि  SC, ST, PWD & Women के लिए Rs.100/- रुपया निर्धारित किया गया हैं। 

चयन प्रक्रिया : भर्ती नोटिफिकेशन के अनुसार इन पदों पर उम्मीदवारों का चयन टेस्ट और इंटरव्यू के माध्यम से किया जायेगा। 

आवेदन प्रक्रिया : इच्छुक और योग्य उम्मीदवार Bank of Baroda की आधिकारिक वेबसाइट पोर्टल पर जा कर नोटिश को पढ़ें और आवेदन करें। 

आधिकारिक वेबसाइट : https://bankapps.bankofbaroda.co.in/

आवेदन की अंतिम तिथि : 11 मार्च 2025

पुरुषों की ताकत बढ़ाएंगे 3 शक्तिशाली बीज, थकान को अलविदा!

हेल्थ डेस्क: आजकल की भाग-दौड़ भरी जिंदगी में पुरुषों को मानसिक और शारीरिक दोनों ही प्रकार की थकान का सामना करना पड़ता है। इसके अलावा, लंबे समय तक शारीरिक मेहनत करने से सांस फूलना, कमजोरी और ऊर्जा की कमी जैसी समस्याएं भी आम हो जाती हैं। ऐसे में, सही आहार और जीवनशैली का पालन करना बेहद जरूरी हो जाता है।

1. हलीम के बीज (Fenugreek Seeds)

हलीम के बीज पुरुषों की ताकत और सहनशक्ति बढ़ाने में बहुत मददगार होते हैं। यह बीज पुरुषों के हार्मोनल स्वास्थ्य को संतुलित करने में मदद करते हैं और टेस्टोस्टेरोन के स्तर को बढ़ाने में सहायक होते हैं। इसके अलावा, हलीम के बीज में फाइबर, प्रोटीन, और आयरन जैसे महत्वपूर्ण पोषक तत्व पाए जाते हैं जो शारीरिक कमजोरी और थकान को दूर करने में सहायक होते हैं। हलीम के बीज का सेवन रक्त परिसंचरण को बेहतर बनाता है, जिससे शारीरिक क्षमता और सहनशक्ति बढ़ती है।

2. अलसी के बीज (Flax Seeds)

अलसी के बीज पोषक तत्वों से भरपूर होते हैं और पुरुषों की ताकत बढ़ाने के लिए यह एक बेहतरीन विकल्प हैं। इसमें ओमेगा-3 फैटी एसिड, फाइबर, प्रोटीन, और एंटीऑक्सिडेंट्स होते हैं, जो न सिर्फ शरीर की ताकत को बढ़ाते हैं, बल्कि हार्ट हेल्थ को भी बेहतर करते हैं। अलसी के बीज शरीर के ऊर्जा स्तर को बढ़ाते हैं और सूजन को कम करते हैं, जिससे थकान और कमजोरी का अनुभव नहीं होता। यह बीज पुरुषों के लिए विशेष रूप से फायदेमंद हैं, क्योंकि यह उनके हार्मोनल संतुलन को भी बेहतर बनाते हैं।

3. चिया के बीज (Chia Seeds)

चिया के बीज, जो कि एक सुपरफूड के रूप में प्रसिद्ध हैं, पुरुषों की ताकत और सहनशक्ति को बढ़ाने में मदद करते हैं। इन बीजों में प्रोटीन, फाइबर, ओमेगा-3 फैटी एसिड, और आवश्यक खनिज जैसे कैल्शियम, आयरन और मैग्नीशियम होते हैं। चिया के बीज शरीर को लंबे समय तक ऊर्जा प्रदान करते हैं और थकान से राहत दिलाते हैं। इन बीजों का नियमित सेवन करने से शरीर में तरलता बनी रहती है और मांसपेशियों की रिकवरी तेज होती है, जिससे शारीरिक शक्ति में इजाफा होता है।

बिहार में B.Tech/M.Tech के लिए भर्ती, पढ़ें नोटिश

पटना: बिहार में B.Tech/M.Tech के लिए भर्ती निकली हैं। ये भर्ती Indian Institute of Technology Patna (IIT Patna) के द्वारा निकाली गई हैं। इसके लिए नोटिश भी जारी किया गया हैं। इच्छुक और योग्य उम्मीदवार प्रकाशित नोटिफिकेशन को अच्छी तरह से पढ़ें और आवेदन करें।

पद का नाम : Junior Research Fellow

पदों की संख्या : नोटिश देखें। 

योग्यता : इन पदों पर आवेदन करने के लिए उम्मीदवारों की योग्यता किसी मान्यता प्राप्त संस्थान से पदों के अनुसार B.Tech/M.Tech पास होनी चाहिए। 

आयु सीमा : भर्ती नोटिफिकेशन के अनुसार इन पदों पर आवेदन करने के लिए उम्मीदवारों की अधिकतम आयु सीमा 32 वर्ष निर्धारित किया गया हैं। 

चयन प्रक्रिया : इन पदों पर उम्मीदवारों का चयन इंटरव्यू के द्वारा होगा। इसके बारे में अधिक जानकारी के लिए नोटिश को पढ़ें। 

आवेदन प्रक्रिया : इच्छुक और योग्य उम्मीदवार Indian Institute of Technology Patna (IIT Patna) की वेबसाइट पर जा कर नोटिश को पढ़ें और आवेदन करें। 

आवेदन की तिथि : इन पदों पर आवेदन करने के लिए अंतिम तिथि 8 मार्च 2025 तक निर्धारित किया गया हैं। इसके बाद आवेदन समाप्त हो जायेगा। 

आधिकारिक वेबसाइट : https://iitp.ac.in/

चयनित उम्मीदवारों का वेतन : 37000 प्रतिमाह।

भविष्य के 5 अद्भुत हथियार, जो बदल देंगे युद्ध की तस्वीर!

न्यूज डेस्क: आजकल तकनीकी विकास के साथ युद्ध की प्रकृति और उसकी शैली में भी भारी बदलाव आ रहे हैं। वर्तमान समय में, जहाँ पारंपरिक युद्ध साधन और हथियार उपयोग किए जाते हैं, वहीं भविष्य में नए और अत्याधुनिक हथियार युद्ध के परिप्रेक्ष्य को पूरी तरह से बदलने की क्षमता रखते हैं। आइए जानते हैं कुछ ऐसे हथियारों के बारे में जो भविष्य में युद्ध की तस्वीर को बदल सकते हैं:

1. लेजर हथियार (Laser Weapons)

लेजर हथियार विज्ञान और प्रौद्योगिकी में एक बड़ी छलांग हैं। ये अत्यधिक सटीक और तेज़ हथियार होते हैं, जो प्रकाश की गति से लक्ष्य को भेद सकते हैं। भविष्य में, इन हथियारों का उपयोग मिसाइल रक्षा, ड्रोन को नष्ट करने, और दुश्मन की इलेक्ट्रॉनिक प्रणाली को नष्ट करने के लिए किया जा सकता है। चूंकि लेजर हथियारों का कोई शारीरिक प्रक्षेपण नहीं होता, इसलिए इनकी नज़र से बच पाना लगभग असंभव होगा। इसके अलावा, ये कम खर्चीले होते हैं।

2. AI फाइटर जेट (AI-Powered Fighter Jets)

मानव पायलटों की जगह अब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) द्वारा संचालित फाइटर जेट की कल्पना की जा रही है। AI पायलटों को हर जटिल स्थिति का सामना करने के लिए प्रशिक्षित किया जा सकता है, जिससे युद्ध की गति और रणनीति में बदलाव आएगा। इन जेट्स की गति और सटीकता को बिना किसी मानवीय गलती के बढ़ाया जा सकता है। इसके अलावा, ये ड्रोन जेट्स बिना किसी व्यक्ति के रिस्क के उच्च-जोखिम वाले मिशनों को पूरा कर सकते हैं। AI संचालित फाइटर जेट्स से न केवल युद्ध की लागत में कमी आएगी, बल्कि यह युद्ध के मैदान में तेज़ निर्णय लेने की क्षमता भी प्रदान करेगा।

3. AI रोबोट आर्मी (AI Robot Army)

भविष्य में, AI रोबोटों की एक पूरी सेना तैयार की जा सकती है, जो मनुष्यों की जगह युद्ध में भाग लेगी। इन रोबोटों का प्रमुख लाभ यह होगा कि वे बिना थके और बिना डर के युद्ध में शामिल हो सकते हैं। AI द्वारा नियंत्रित रोबोट्स के पास तेजी से निर्णय लेने, ताकतवर हथियारों का उपयोग करने, और दुश्मन के खिलाफ विभिन्न रणनीतियों को लागू करने की क्षमता होगी। इस प्रकार के रोबोटों का प्रयोग युद्ध में लड़ी जाने वाली लड़ाइयों में कारगर साबित हो सकता है। इसके अलावा, ये युद्ध के मैदान में मानवीय जीवन को बचाने का एक तरीका हो सकते हैं।

4. हाइपरसोनिक हथियार (Hypersonic Weapons)

हाइपरसोनिक हथियार वे हथियार हैं जो ध्वनि की गति से भी तेज़ गति से चलते हैं। इन हथियारों की गति इतनी तेज़ होती है कि कोई भी मिसाइल रक्षा प्रणाली इनका सामना नहीं कर सकती। हाइपरसोनिक हथियारों का उपयोग लंबी दूरी पर स्थित लक्ष्य को नष्ट करने के लिए किया जा सकता है, और ये दुश्मन के रडार सिस्टम से बचने में सक्षम होते हैं। यह अत्यधिक सटीक, तेज़ और खतरनाक हो सकते हैं। भविष्य में इन हथियारों के इस्तेमाल से युद्ध का तरीका पूरी तरह से बदल सकता है।

5. AI ड्रोन (AI Drones)

AI ड्रोन युद्ध के मैदान में सबसे खतरनाक और प्रभावी हथियार हो सकते हैं। ये ड्रोन बिना मानव नियंत्रण के पूरे मिशन को अंजाम दे सकते हैं, जिसमें दुश्मन के ठिकानों की पहचान, निगरानी, और हमला करना शामिल हो सकता है। इन ड्रोन में अत्याधुनिक AI और सेंसर्स होते हैं, जो उन्हें युद्ध क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने में मदद करते हैं। ये ड्रोन हवा में उड़ने से लेकर ज़मीन पर हिट करने तक, किसी भी प्रकार के मिशन को पूरा कर सकते हैं। AI ड्रोन की मदद से, हम अधिक सटीक और त्वरित हमलों की योजना बना सकते हैं, जो युद्ध की धार को पूरी तरह से बदल सकते हैं।

बिहार के सभी 38 जिलों में जमीन सर्वे का सर्वर चालू

पटना: बिहार सरकार ने राज्य के सभी 38 जिलों में जमीन सर्वे का सर्वर चालू कर दिया है, जिससे अब भूमि सर्वेक्षण प्रक्रिया में एक नया डिजिटल बदलाव देखने को मिलेगा। यह कदम न केवल प्रशासनिक कार्यों में पारदर्शिता लाएगा, बल्कि किसानों और आम नागरिकों को भूमि दस्तावेजों और वंशावली के अपलोडिंग प्रक्रिया को सरल भी बनाएगा। इस बदलाव के साथ राज्य में भूमि सर्वेक्षण का काम और भी तेज़ और व्यवस्थित तरीके से होगा।

सर्वर का डिजिटलीकरण और फायदें

सर्वे निदेशालय की तकनीकी शाखा ने यह सुनिश्चित किया है कि अब प्रत्येक जिले का सर्वर पूरी तरह से अलग-अलग कार्य करेगा। इसके माध्यम से डिजिटाइज्ड और स्कैन किए गए डेटा को संग्रहित करने में कोई समस्या नहीं होगी। पहले कई जिलों में डेटा संग्रहण की प्रक्रिया में जटिलताएँ थीं, लेकिन अब यह समस्या खत्म हो गई है। जिलों के लिए नया विकल्प उपलब्ध होगा, जिससे यूजर्स अपनी जानकारी उस विशेष प्रमंडल के सर्वर में अपलोड कर सकते हैं, और उनका डेटा सुरक्षित रूप से संरक्षित हो जाएगा।

बंदोबस्त पदाधिकारियों से संवाद

भू-अभिलेख एवं परिमाप निदेशक, कमलेश कुमार सिंह ने शास्त्री नगर स्थित सर्वे भवन से ऑनलाइन माध्यम से सभी 38 जिलों के बंदोबस्त पदाधिकारियों से संवाद किया। इस बैठक में उन्होंने यह सुनिश्चित किया कि सर्वर के अलग-अलग कार्य करने के बावजूद, जमीन सर्वेक्षण से संबंधित कोई भी तकनीकी समस्या बची है या नहीं। सभी पदाधिकारियों ने यह पुष्टि की कि अब कोई समस्या नहीं है और सर्वर प्रणाली के कार्य करने से डेटा अपलोड और डिजिटाइजेशन की प्रक्रिया में तेजी आएगी।

भूमि सर्वे में पारदर्शिता और सटीकता

इस नए बदलाव से न केवल प्रशासनिक पारदर्शिता बढ़ेगी, बल्कि यह भी सुनिश्चित होगा कि सभी भूमि दस्तावेज़ पूरी तरह से सही और सुरक्षित रूप से डिजिटली उपलब्ध हों। यह कदम किसानों के लिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि अब उन्हें अपने भूमि दस्तावेजों को सुरक्षित रखने और भविष्य में किसी भी कानूनी समस्या से बचने के लिए बार-बार भटकने की आवश्यकता नहीं होगी। इसके अलावा, राज्य सरकार के लिए यह सुनिश्चित करना भी आसान होगा कि भूमि रिकॉर्ड सही और अद्यतन हैं।

यूपी में B.Sc, B.Tech/ B.E, M.Sc के लिए वैकेंसी

लखनऊ: यूपी में B.Sc, B.Tech/ B.E, M.Sc के लिए वैकेंसी निकली हैं। इसके लिए Rani Lakshmi Bai Central Agricultural University (RLBCAU) द्वारा नोटिश जारी किया गया हैं। इच्छुक और योग्य उम्मीदवार प्रकाशित नोटिफिकेशन को अच्छी तरह से पढ़ें और आवेदन करें।

पद का नाम :   पदों की संख्या। 

Project Assistant: कुल 01 पद।

JRF/ Project Associate: कुल 01 पद।

Young Professional-I: कुल 05 पद।

Young Professional-II: कुल 02 पद।

योग्यता : इन पदों पर आवेदन करने के लिए उम्मीदवारों की योग्यता पदों के अनुसार B.Sc, B.Tech/ B.E, M.Sc, M.E/ M.Tech (Relevant Fields) आदि निर्धारित किया गया हैं। 

चयन प्रक्रिया : इन पदों पर उम्मीदवारों का चयन इंटरव्यू के द्वारा होगा। इसके बारे में और अधिक जानकारी के लिए नोटिश देखें। 

आयु सीमा : इन पदों पर आवेदन करने के लिए उम्मीदवारों की न्यूनतम आयु सीमा 21 वर्ष, जबकि अधिकतम आयु सीमा 45 वर्ष निर्धारित किया गया हैं। 

आवेदन प्रक्रिया : इच्छुक और योग्य उम्मीदवार Rani Lakshmi Bai Central Agricultural University (RLBCAU) की वेबसाइट पर जा कर नोटिश को पढ़ें और आवेदन करें। 

आधिकारिक वेबसाइट : https://rlbcau.ac.in/

चयनित उम्मीदवारों का वेतन : नियमानुसार।

ये हैं वो 5 टेक्नोलॉजी, जो बदल देंगी पूरी दुनिया!

नई दिल्ली: आज के समय में विज्ञान और प्रौद्योगिकी में हर दिन कुछ नया और क्रांतिकारी हो रहा है। तकनीकी विकास ने न सिर्फ हमारे जीवन को आसान किया है, बल्कि भविष्य के लिए नई संभावनाओं का द्वार भी खोला है। आने वाले समय में कुछ ऐसी टेक्नोलॉजी हैं, जो हमारे जीवन को पूरी तरह से बदल सकती हैं। इनमें से 5 प्रमुख तकनीकें हैं – आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI), क्वांटम कंप्यूटिंग, क्वांटम चिप्स, AI रोबोटिक्स, और नैनो तकनीक शामिल हैं।

1. आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI)

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) वह तकनीक है जो मानव मस्तिष्क की तरह सोचने और सीखने की क्षमता रखती है। AI अब हमारे जीवन का अभिन्न हिस्सा बन चुका है, जैसे स्मार्टफोन, ऑनलाइन सर्च इंजन, और वॉयस असिस्टेंट्स का उपयोग। भविष्य में, AI न केवल हमें डाटा के विश्लेषण और निर्णय लेने में मदद करेगा, बल्कि यह चिकित्सा, शिक्षा, और कृषि जैसे क्षेत्रों में भी क्रांति ला सकता है। AI का उपयोग चिकित्सा क्षेत्र में रोगों का पहले से पता लगाने, सटीक उपचार योजना बनाने और मरीजों की देखभाल को बेहतर बनाने में किया जा सकता है। 

2. क्वांटम कंप्यूटिंग

क्वांटम कंप्यूटिंग, पारंपरिक कंप्यूटिंग से कहीं अधिक शक्तिशाली है। इसमें क्वांटम बिट्स (qubits) का उपयोग होता है, जो पारंपरिक बाइनरी बिट्स की तुलना में बहुत अधिक जानकारी को संकलित करने में सक्षम होते हैं। क्वांटम कंप्यूटिंग भविष्य में समस्याओं का हल बहुत तेजी से और अधिक सटीकता से कर सकता है, जैसे कि जटिल गणनाएँ, क्रिप्टोग्राफी, और दवाओं के निर्माण में नए मार्गों की खोज। यह तकनीक, एआई और बिग डेटा के साथ मिलकर, मेडिकल रिसर्च, मौसम विज्ञान, और साइबर सुरक्षा के क्षेत्र में नए मुकाम हासिल कर सकती है।

3. क्वांटम चिप

क्वांटम चिप्स, क्वांटम कंप्यूटिंग के एक महत्वपूर्ण हिस्से हैं। ये चिप्स पूरी तरह से नए तरीके से काम करते हैं और पारंपरिक कंप्यूटर चिप्स से कई गुना तेज होते हैं। इनकी गति और क्षमता उच्चतम स्तर की होती है, जो पारंपरिक चिप्स से कई अधिक कार्यों को एक साथ संभालने में सक्षम बनाती है। इनका उपयोग अगले स्तर के कंप्यूटिंग सिस्टम्स, कृत्रिम इंटेलिजेंस, और एनालिटिक्स में किया जा सकता है। उदाहरण के लिए, सुपर-फास्ट डेटा प्रोसेसिंग के लिए इनका इस्तेमाल बड़े पैमाने पर हो सकता है।

4. AI रोबोटिक्स

AI रोबोटिक्स का भविष्य न केवल फैक्ट्री और औद्योगिक क्षेत्रों में, बल्कि हमारे दैनिक जीवन में भी है। AI आधारित रोबोट्स मशीनों को इंसान की तरह सोचने, समझने और कार्य करने की क्षमता प्रदान करते हैं। ये रोबोट्स विभिन्न क्षेत्रों में, जैसे चिकित्सा, कृषि, निर्माण, और परिवहन में मददगार साबित हो सकते हैं। AI रोबोटिक्स का उपयोग सर्जरी में, स्वचालित ड्राइविंग कारों में, और खतरनाक कार्यों को करने वाले रोबोट्स में किया जा सकता है। यह न केवल मानव जीवन को सुरक्षित बनाएगा, बल्कि कार्यों की गति और सटीकता को भी बढ़ाएगा।

5. नैनो तकनीक

नैनो तकनीक एक और क्षेत्र है जो दुनिया को बदलने की क्षमता रखता है। यह तकनीक सामग्री, उपकरण और प्रक्रियाओं को नैनो स्तर (1 से 100 नैनोमीटर) तक नियंत्रित करने में सक्षम होती है। इसका उपयोग चिकित्सा, बायोटेक्नोलॉजी, इलेक्ट्रॉनिक्स, और ऊर्जा क्षेत्रों में किया जा सकता है। उदाहरण के लिए, नैनो तकनीक के माध्यम से शरीर में दवाइयों को लक्षित स्थानों तक पहुंचाने के लिए सटीक और प्रभावी उपकरण विकसित किए जा सकते हैं। इसके अलावा, नैनो-मटीरियल्स का उपयोग अधिक मजबूत, हल्के और टिकाऊ उत्पादों के निर्माण में भी किया जा सकता है।

यूपी में प्राइवेट स्कूल के शिक्षकों को ये 3 सुविधाएं

लखनऊ: उत्तर प्रदेश में शिक्षा के क्षेत्र में एक अहम बदलाव देखने को मिल रहा है, खासकर प्राइवेट स्कूलों में कार्यरत शिक्षकों के लिए। राज्य सरकार ने एक बड़ा कदम उठाया है, जिसके तहत प्राइवेट स्कूलों के शिक्षकों को कर्मचारी भविष्य निधि (EPF) और जीवन बीमा जैसी महत्वपूर्ण सुविधाएँ देने का निर्देश दिया है। यह कदम न केवल शिक्षकों के जीवन को सुरक्षित बनाएगा, बल्कि उनके आर्थिक भविष्य को भी मजबूत करेगा।

प्राइवेट स्कूलों में शिक्षक

उत्तर प्रदेश के कई प्राइवेट स्कूलों में शिक्षकों का शोषण एक गंभीर समस्या बनकर सामने आई है। जहां कई स्कूलों में शिक्षकों को न्यूनतम वेतन भी नहीं दिया जाता है, वहीं उनकी अन्य सुविधाओं का भी नकारा किया जाता है। सबसे बड़ी समस्या यह है कि कई स्कूलों में शिक्षकों को ईपीएफ और जीवन बीमा जैसी बुनियादी सुविधाओं से वंचित रखा जाता है। इसके अलावा, उन्हें नकद वेतन दिया जाता है, और उनके कार्य के घंटे भी अनियंत्रित होते हैं।

बता दें की शिक्षा विभाग ने अब इस मामले में सख्त निर्देश दिए हैं कि सभी जिलों के निजी स्कूलों की जांच करने को कहा हैं, ताकि यह सुनिश्चित किया जाए कि शिक्षकों को न्यूनतम वेतन और अन्य सुविधाएँ दी जाएं। जिससे की उन्हें किसी तरह की कोई परेशानी न हो।

कुशल श्रमिकों को दिए जाने वाले मानदेय की अनिवार्यता

शिक्षा विभाग ने स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि निजी स्कूलों में शिक्षकों को कुशल श्रमिकों के लिए निर्धारित न्यूनतम मानदेय, यानी 13,186 रुपये, से कम वेतन नहीं दिया जा सकता। इसके बावजूद कई स्कूलों में यह पाया गया कि शिक्षकों को कम वेतन दिया जा रहा है और उन्हें जरूरी सुविधाएँ भी नहीं मिल रही हैं। यही नहीं, कुछ स्कूलों में शिक्षकों से अत्यधिक काम लिया जा रहा है, जबकि उनका वेतन उनके कार्य के अनुरूप नहीं होता। अब विभाग जांच करने की तैयारी में हैं।

बिहार के भागलपुर और बांका में बनेंगे ये 18 सड़क

न्यूज डेस्क: बिहार राज्य सरकार ने ग्रामीण सड़कों के सुधार और निर्माण पर विशेष ध्यान देना शुरू कर दिया है। यह कदम राज्य के विकास में महत्वपूर्ण बदलाव ला सकता है, खासकर उन क्षेत्रों में जहां सड़क सुविधाओं की कमी रही है। अब भागलपुर और बांका जिलों को लेकर एक बड़ी खुशखबरी सामने आई है, जिसके तहत इन जिलों की ग्रामीण सड़कों को नया रूप दिया जाएगा। कुल मिलाकर, इन दो जिलों में 18 सड़कों का निर्माण किया जाएगा, जिससे दोनों जिलों के ग्रामीण इलाकों की कनेक्टिविटी बेहतर होगी।

सड़क निर्माण की योजना और लागत

इस परियोजना के तहत भागलपुर और बांका जिले में 589 किलोमीटर लंबी ग्रामीण सड़कों का निर्माण होगा। इसके लिए बिहार सरकार ने 414.92 करोड़ रुपये की राशि मंजूर की है। इनमें से 170.81 करोड़ रुपये भागलपुर जिले के लिए और 244.11 करोड़ रुपये बांका जिले के लिए निर्धारित किए गए हैं। इस राशि में सड़क निर्माण के अलावा ऑपरेशन और मैनेजमेंट खर्च भी शामिल है।

टेंडर प्रक्रिया और एजेंसी की जिम्मेदारी

सड़क निर्माण की प्रक्रिया को लेकर विभाग ने टेंडर जारी कर दिया है। इन टेंडरों की तकनीकी बोली 26 मार्च को खोली जाएगी, और टेंडर में भाग लेने की अंतिम तिथि भी वही निर्धारित की गई है। यह परियोजना छह साल तक चयनित एजेंसी द्वारा देखी जाएगी। यानी, सड़क निर्माण के बाद एजेंसी की जिम्मेदारी होगी कि वह सड़क की सही देखरेख और रखरखाव सुनिश्चित करे।

बांका में बननी वाली सड़कों का विवरण

बांका जिले में 8 प्रमुख ग्रामीण सड़कों का निर्माण किया जाएगा, जिनकी कुल लंबाई 420 किलोमीटर है। इस परियोजना पर 244.11 करोड़ रुपये खर्च होंगे। बांका जिले के जिन प्रमुख प्रखंडों में सड़कें बनाई जाएंगी, वे हैं: अमरपुर, बांका, बेलहर, फुल्लीडुमर, शंभूगंज, बाराहाट, बौंसी और रजौन। 

भागलपुर में बननी वाली सड़कों का विवरण

भागलपुर जिले में 10 प्रमुख ग्रामीण सड़कों का निर्माण किया जाएगा, जिनकी कुल लंबाई 169 किलोमीटर है। इन सड़कों का निर्माण 170.81 करोड़ रुपये की लागत से किया जाएगा। जिन प्रमुख प्रखंडों में ये सड़कें बनाई जाएंगी, उनमें शामिल हैं: गोराडीह, जगदीशपुर, नाथनगर, शाहकुंड, सुलतानगंज, सबौर, सन्हौला, बिहपुर, इस्माइलपुर और नवगछिया।

बिहार बोर्ड 12वीं परीक्षा की उत्तर कुंजी जारी, यहां देखें

पटना: बिहार स्कूल एग्जामिनेशन बोर्ड (BSEB) ने 12वीं परीक्षा के लिए उत्तर कुंजी जारी की है, जो परीक्षा में शामिल सभी छात्रों के लिए एक महत्वपूर्ण सूचना है। अब छात्र आसानी से बोर्ड की वेबसाइट से उत्तर कुंजी डाउनलोड कर सकते हैं और अपनी परीक्षा की तैयारी में सुधार कर सकते हैं।

उत्तर कुंजी जारी करने की घोषणा

BSEB ने 12वीं परीक्षा के सभी छात्रों के लिए उत्तर कुंजी जारी की है। ये उत्तर कुंजी वस्तुनिष्ठ प्रश्नों (Objective Questions) के लिए है, जो इस बार की परीक्षा में शामिल थे। बिहार बोर्ड ने आधिकारिक रूप से बताया कि यदि किसी छात्र को उत्तर कुंजी में कोई आपत्ति हो, तो वह 5 मार्च तक अपनी आपत्ति दर्ज करा सकता है। छात्रों को यह आपत्ति बोर्ड की वेबसाइट पर जाकर 'Register Objection Concerning Answer Key Inter Exam 2025' लिंक पर क्लिक करके दर्ज करनी होगी।

आपत्ति दर्ज करने की प्रक्रिया

बिहार बोर्ड ने स्पष्ट किया है कि उत्तर कुंजी पर किसी भी प्रकार की आपत्ति केवल 5 मार्च 2025 तक ही दर्ज की जा सकेगी। इसके बाद बोर्ड इस पर विचार करेगा और फिर अंतिम उत्तर कुंजी जारी करेगा। छात्रों को अपनी आपत्ति को उचित और सटीक तरीके से दर्ज करना होगा ताकि बोर्ड उसे सही से जांच सके।

परिणाम कब आएगा?

Bihar Board 12th के परिणाम की घोषणा को लेकर काफी समय से चर्चा हो रही है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, बिहार बोर्ड 12वीं का परिणाम 25 मार्च से 31 मार्च 2025 के बीच घोषित किया जा सकता है। इसके अलावा, 10वीं के परिणाम के बारे में कहा गया है कि यह अप्रैल के पहले सप्ताह में घोषित हो सकता है। छात्रों को सलाह दी जाती है कि वे परिणाम से संबंधित सभी अपडेट्स के लिए बोर्ड की आधिकारिक वेबसाइट पर नजर रखें।

यूपी के इस जिले में महंगी होगी जमीन की रजिस्ट्री

गोरखपुर: उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले में रजिस्ट्री शुल्क में एक बड़ा बदलाव होने जा रहा है। रजिस्ट्री विभाग ने सर्किल रेट में कोई बदलाव किए बिना ही स्टॉम्प शुल्क को बढ़ाने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। इससे संपत्तियों, जैसे फ्लैट और प्लॉट की रजिस्ट्री महंगी हो जाएगी। इसके अलावा, विभिन्न क्षेत्रों में लागू होने वाले अतिरिक्त शुल्क में 50 से 100 प्रतिशत तक का इजाफा हो सकता है।

नया शुल्क ढांचा और उसके प्रभाव

गोरखपुर में प्रस्तावित शुल्क संरचना में कई महत्वपूर्ण बदलाव किए गए हैं, जिनका असर आम नागरिकों पर पड़ सकता है। अधिकारी और कर्मचारी इस पर विचार कर रहे हैं कि कहां-कहां और कितना स्टॉम्प शुल्क बढ़ाना चाहिए। जहां ज्यादा शुल्क बढ़ाया गया है, उसे कम करने का भी विचार किया जा रहा है। एक बार प्रस्तावित दरें जिला प्रशासन द्वारा मंजूरी पा लेने के बाद, ये शुल्क बढ़ोतरी तुरंत प्रभाव से लागू हो जाएंगे।

फ्लैट और प्लॉट की रजिस्ट्री महंगी

नए सामान्य निर्देश के लागू होने पर, फ्लैट और प्लॉट खरीदने वालों को सबसे अधिक महंगाई का सामना करना पड़ेगा। विशेष रूप से उन संपत्तियों पर, जिनकी सीमाओं में एक से अधिक मार्ग होते हैं, उनकी न्यूनतम मूल्य की गणना में 20 प्रतिशत का इजाफा किया जाएगा। वर्तमान में यह दर 10 प्रतिशत है। इसके अलावा, 12 मीटर से अधिक चौड़े मार्ग के किनारे स्थित भूमि पर शुल्क 30 प्रतिशत बढ़ जाएगा, जो वर्तमान में 20 प्रतिशत है। इसका मतलब यह है कि जिन जगहों पर ज्यादा विकास हुआ है, वहां भूमि की कीमत और रजिस्ट्री शुल्क भी बढ़ेगा।

कृषि भूमि पर भी बढ़ेगा शुल्क

इसके अलावा, नगरीय अर्द्धनगरीय और ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि भूमि के अंतरण की स्थिति में, विशेष रूप से 50 मीटर की त्रिज्या में प्लॉटिंग और कॉलोनाइजेशन के काम होने पर, कृषि भूमि दर से 60 प्रतिशत अधिक शुल्क जमा किया जाएगा। अभी यह दर 50 प्रतिशत है। यह कदम मुख्य रूप से उन क्षेत्रों के लिए है जहां भूमि का उपयोग विकास कार्यों के लिए किया जा रहा है और जहां से किसानों को भूमि अधिग्रहण के बाद कम मुआवजा मिलता है।

सर्किल रेट में बढ़ोतरी की मांग

दरअसल गोरखपुर में सर्किल रेट में आखिरी बार 2016 में बदलाव किया गया था। इसके बाद से सर्किल रेट में कोई वृद्धि नहीं की गई है, जबकि इससे पहले 2014 और 2015 में सर्किल रेट में बदलाव किए गए थे। कुछ किसान, विशेषकर भटहट क्षेत्र के वे किसान जिनकी ज़मीन रिंग रोड परियोजना से प्रभावित हो रही है, सर्किल रेट में बढ़ोतरी की मांग कर रहे हैं। 

यूपी में स्टांप चोरी पर कड़ी नज़र, सभी जिलों में जांच शुरू

लखनऊ: उत्तर प्रदेश में स्टांप घोटालों की जांच के दायरे को बढ़ाया गया है, जिससे यह साबित होता है कि सरकार इस गंभीर समस्या को हल करने के लिए कड़ी कार्रवाई करने का संकल्प ले चुकी है। प्रदेश के स्टांप और निबंधन मंत्री, श्री रवींद्र जायसवाल के आदेश पर पूरे राज्य में स्टांप घोटाले की जांच की प्रक्रिया शुरू हो गई है। इस फैसले से यह स्पष्ट हो गया है कि राज्य में बढ़ते स्टांप चोरी और कर चोरी के मामलों पर सख्त निगरानी रखी जाएगी, जिससे वित्तीय नुकसान को रोका जा सके।

जिलावार रिपोर्ट की मांग

मंत्री के आदेश के बाद, अब सभी जिलों के डीएम (जिला मजिस्ट्रेट), एडीएम (उप जिला अधिकारी), एआईजी (असिस्टेंट इंस्पेक्टर जनरल) और डीआईजी (डिप्टी इंस्पेक्टर जनरल) को आदेश जारी कर दिए गए हैं। इन अधिकारियों को निर्देश दिया गया है कि वे वित्तीय वर्ष 2024-2025 के दौरान कम से कम पांच दस्तावेजों के मामले की जांच करें। इसके अलावा, उन दस्तावेज लेखकों और विधि व्यवसायियों का भी ब्योरा तैयार करने का आदेश दिया गया है, जो फर्जी स्टांप या कर चोरी में लिप्त पाए गए हैं।

हर जिले से इन मामलों का रिकॉर्ड, जिनमें फर्जी स्टांप इस्तेमाल हुए हों, मांगा गया है। जिलेवार ब्योरा तैयार करके उन लोगों के नाम, पते और रजिस्ट्रेशन नंबर की जानकारी दी जाएगी। यह जानकारी मुख्यमंत्री कार्यालय तक पहुंचाई जाएगी, ताकि समय रहते कार्रवाई की जा सके और घोटाले की जड़ तक पहुंचा जा सके।

मंत्री का बयान और कार्रवाई का महत्व

मंत्री रवींद्र जायसवाल ने कहा कि यह मामला बहुत ही गंभीर है और राज्य की आर्थिक स्थिति पर इसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है। उन्होंने कहा कि स्टांप चोरी से जुड़े मामलों की जांच में विधिक पेशेवरों और दस्तावेज लेखकों की भूमिका की भी गहनता से जांच की जाएगी। यह सुनिश्चित किया जाएगा कि किसी भी व्यक्ति या समूह को इस गैरकानूनी काम में संलिप्त होने पर बख्शा न जाए।

यूपी में ये राशन कार्ड होंगे बंद, नहीं मिलेंगे फ्री राशन

लखनऊ: उत्तर प्रदेश सरकार ने मार्च माह से राशन वितरण प्रणाली में एक अहम बदलाव की घोषणा की है, जो राज्य के लाखों राशन कार्ड धारकों को प्रभावित करेगा। अब यदि राशन कार्ड में दर्ज परिवार के सभी सदस्य अपनी ई-केवाइसी (इलेक्ट्रॉनिक-केवाईसी) नहीं कराते हैं, तो उन्हें मार्च के बाद मुफ्त राशन प्राप्त नहीं होगा। इस कदम के जरिए सरकार राशन वितरण की पारदर्शिता और प्रामाणिकता सुनिश्चित करना चाहती है, साथ ही यह कदम राशन कार्डों में किसी भी तरह की अनियमितता को रोकने के लिए उठाया गया है।

ई-केवाइसी क्या है?

ई-केवाइसी (इलेक्ट्रॉनिक-केवाईसी) एक डिजिटल प्रक्रिया है, जिसमें राशन कार्ड धारक को अपनी व्यक्तिगत जानकारी ऑनलाइन सिस्टम में अपडेट करनी होती है। इसमें परिवार के सभी सदस्य, उनकी उम्र, पहचान और निवास संबंधी विवरण शामिल होते हैं। यह प्रक्रिया न केवल सरकार के लिए जानकारी को सही और अपडेट रखने में मदद करती है, बल्कि यह भ्रष्टाचार को भी कम करने में सहायक होती है।

किसे होगा इसका असर?

मार्च से पहले, जिन राशन कार्ड धारकों ने अपनी और परिवार के सभी सदस्यों की ई-केवाइसी नहीं कराई, उन्हें राशन मिलना बंद हो जाएगा। इसके अलावा, ऐसे परिवारों के राशन कार्ड से संबंधित सदस्यों के नाम भी हटा दिए जाएंगे। इसका मतलब है कि जिन लोगों ने इस प्रक्रिया को नजरअंदाज किया है, उन्हें मुफ्त राशन और अन्य सरकारी लाभों से वंचित किया जा सकता है।

क्यों जरूरी है ई-केवाइसी?

ई-केवाइसी के माध्यम से सरकार यह सुनिश्चित करती है कि हर राशन कार्ड धारक के पास सही जानकारी हो, ताकि किसी भी धोखाधड़ी या भ्रष्टाचार की संभावना को रोका जा सके। यह प्रक्रिया यह सुनिश्चित करती है कि राशन और अन्य सरकारी योजनाओं का लाभ सही पात्र व्यक्तियों तक पहुंचे। इससे सरकार को यह पता चलता है कि किस परिवार के पास कितने सदस्य हैं और उनकी वास्तविक जरूरतें क्या हैं।

अहमदाबाद: 10वीं-12वीं के लिए 300 पदों पर भर्ती

अहमदाबाद: 10वीं-12वीं पास के लिए 300 पदों पर भर्ती निकली हैं। ये भर्ती Join Indian Coast Guard (ICG) के द्वारा निकाली गई हैं। इसके लिए आधिकारिक वेबसाइट पर नोटिश जारी किया गया हैं। इच्छुक और योग्य उम्मीदवार प्रकाशित नोटिफिकेशन को पढ़ें और आवेदन को पूरा करें।

पद का नाम :  पदों की संख्या। 

Navik General Duty GD: कुल 260 पद।

Navik Domestic Branch DB: कुल 40 पद। 

योग्यता : इन पदों पर आवेदन करने के लिए उम्मीदवारों की योग्यता किसी मान्यता प्राप्त संस्थान से पदों के अनुसार 10वीं, 12वीं पास होनी चाहिए। 

आयु सीमा : इन पदों पर आवेदन करने के लिए उम्मीदवारों की न्यूनतम आयु सीमा 18 वर्ष और अधिकतम आयु सीमा 22 वर्ष निर्धारित हैं। आयु में छूट की जानकारी के लिए नोटिश देखें। 

आवेदन शुल्क : UR / OBC  / EWS के लिए 300/- रुपया, जबकि SC / ST के लिए आवेदन शुल्क 0/- रुपया निर्धारित किया गया हैं। 

चयन प्रक्रिया : इन पदों पर उम्मीदवारों का चयन टेस्ट और शारीरिक योग्यता के अनुसार होगा। अधिक जानकारी के लिए नोटिश देखें। 

आवेदन प्रक्रिया : इच्छुक उम्मीदवार Join Indian Coast Guard (ICG) की वेबसाइट पर जा कर नोटिश को पढ़ें और आवेदन को पूरा करें। 

आधिकारिक वेबसाइट : https://cgept.cdac.in/icgreg/candidate/login

आवेदन की अंतिम तिथि : 3 मार्च 2025

बिहार में 2500 पदों पर भर्ती, 10वीं पास को मौका

नालंदा: बिहार में बेरोजगारी के स्तर को कम करने और युवाओं को रोजगार के अवसर प्रदान करने के लिए बिहार सरकार ने एक बड़ी पहल की है। श्रम संसाधन विभाग के तहत नालंदा जिले में एक विशेष नियोजन सह व्यवसायिक मार्गदर्शन मेला आयोजित किया जा रहा है, जो 3 मार्च 2025 को आयोजित होगा। इस मेले का उद्देश्य जिले के बेरोजगार युवाओं को रोजगार के अवसर उपलब्ध कराना और उन्हें विभिन्न उद्योगों के बारे में जानकारी देना है।

मेले का आयोजन और स्थल

यह एक दिवसीय मेला संयुक्त श्रम भवन, जिला नियोजनालय नालंदा बिहारशरीफ (बिहारशरीफ प्रखंड कार्यालय कैम्पस के निकट) में आयोजित किया जाएगा। जिला प्रशासन द्वारा जारी विज्ञप्ति के अनुसार, इस मेले में बिहार के विभिन्न क्षेत्रों से बड़ी कंपनियां भाग लेंगी, जिससे नालंदा जिले के बेरोजगार युवाओं के लिए एक सुनहरा अवसर प्राप्त होगा।

प्रमुख कंपनियों की भागीदारी

इस मेले में कई प्रमुख कंपनियां अपनी भागीदारी दिखाएंगी, जिनमें MRF, होटल ममता इंटरनेशनल, लेनोवो ग्रुप, ग्रीन मैक्स सिस्टम, अरवन इन्फोसॉफ्ट, निमसन हर्बल, हिंदुस्तान कंस्ट्रक्शन, क्वेस कॉर्प लिमिटेड, टाटा मोटर्स, और टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स शामिल हैं। इन कंपनियों के साथ-साथ अन्य स्थानीय और बाहरी निजी कंपनियां भी इस मेले में भाग लेंगी।

पदों और क्षेत्रों की विस्तृत जानकारी

मेले में आने वाली कंपनियां विभिन्न क्षेत्रों में पदों की भर्ती करेंगी, जिनमें रिटेल, हेल्थकेयर, अकाउंटिंग, डिलीवरी सर्विसेज, हॉस्पिटैलिटी, और सिक्योरिटी सर्विसेज शामिल हैं। कुल मिलाकर करीब 2,500 पदों पर भर्ती की प्रक्रिया चलने वाली है। इन पदों के लिए आवेदन करने के लिए न्यूनतम योग्यता 10वीं पास रखी गई है, जिससे युवाओं के लिए एक बेहतरीन मौका है।

यूपी के 5 नई इकाइयों से शुरू होगा बिजली उत्पादन

लखनऊ: उत्तर प्रदेश के लिए आगामी महीनों में एक सकारात्मक ऊर्जा परिवर्तन की ओर एक महत्वपूर्ण कदम बढ़ने जा रहा है। राज्य में पांच नई तापीय विद्युत उत्पादन इकाइयों का उद्घाटन होने वाला है, जो बिजली उत्पादन में महत्वपूर्ण वृद्धि का कारण बनेगा। 

बता दें की इन इकाइयों से कुल 3300 मेगावाट बिजली का उत्पादन होगा, जिसमें से 2754 मेगावाट बिजली विशेष रूप से उत्तर प्रदेश को प्रदान की जाएगी। इस विकास के परिणामस्वरूप राज्य में बिजली की उपलब्धता में सुधार होगा, जिससे बाधारहित बिजली आपूर्ति सुनिश्चित हो सकेगी और राज्य के बिजली संकट को काफी हद तक हल किया जा सकेगा।

उत्तर प्रदेश में बिजली संकट का समाधान

उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्य में बिजली की मांग हमेशा ऊंची रहती है, खासकर गर्मी के मौसम में। अधिकतर समय, राज्य को पावर एक्सचेंज से महंगी दरों पर बिजली खरीदनी पड़ती थी, जिससे विद्युत आपूर्ति की लागत बढ़ जाती थी और बिजली के उपभोक्ताओं को उच्च दरों पर भुगतान करना पड़ता था। लेकिन अब इन नई तापीय इकाइयों के चालू होने से राज्य को इस समस्या से राहत मिलेगी। राज्य की बिजली आपूर्ति में वृद्धि होने से यह महंगी दरों पर बिजली खरीदने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी और ऊर्जा लागत कम होगी।

नई इकाइयों की संरचना और उत्पादन क्षमता

इन पांच नई तापीय विद्युत उत्पादन इकाइयों का निर्माण विभिन्न स्थानों पर किया जा रहा है, जिनमें हर इकाई की क्षमता 660 मेगावाट है। इन इकाइयों का परिचालन क्रमशः 2025 के शुरुआती महीनों में शुरू होने वाला है, जिससे धीरे-धीरे उत्पादन में वृद्धि होगी और राज्य में ऊर्जा आपूर्ति की स्थिरता सुनिश्चित होगी।

1 .जवाहरपुर इकाई (660 मेगावाट) - यह इकाई मार्च 2025 से उत्पादन शुरू कर देगी, जिससे राज्य की ऊर्जा आपूर्ति में महत्वपूर्ण योगदान मिलेगा।

2 .पनकी इकाई (660 मेगावाट) - यह इकाई अप्रैल 2025 से चालू हो जाएगी और राज्य को अतिरिक्त ऊर्जा प्रदान करेगी।

3 .ओबरा-सी इकाई (660 मेगावाट) - मई 2025 से यह इकाई राज्य को बिजली की अतिरिक्त आपूर्ति देगी। इसकी तैयारी चल रही हैं।

4 .घाटमपुर इकाई (660 मेगावाट) - जून 2025 से इस इकाई से बिजली उत्पादन शुरू हो जाएगा, जिससे राज्य की विद्युत आपूर्ति में और बढ़ोतरी होगी।

5 .खुर्जा इकाई (660 मेगावाट) - जून 2025 में इस इकाई से भी बिजली उत्पादन शुरू होगा। इसकी तैयारी तेजी से की जा रही हैं

यूपी में निजी स्कूलों के शिक्षकों के लिए 3 नए निर्देश

लखनऊ: उत्तर प्रदेश के शिक्षा विभाग ने सभी शिक्षकों के लिए तीन महत्वपूर्ण निर्देश जारी किए हैं, जो शिक्षा क्षेत्र में सुधार और शिक्षकों के अधिकारों की सुरक्षा की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम हैं। यह निर्णय उत्तर प्रदेश के पर्यटन मंत्री जयवीर सिंह के पत्र के बाद लिया गया, जिसमें निजी स्कूलों में शिक्षकों के शोषण और उनके अधिकारों की अनदेखी पर चिंता जताई गई थी।

इन निर्देशों के तहत सबसे प्रमुख पहलू है कि अब उत्तर प्रदेश में निजी स्कूलों के शिक्षकों के लिए ईपीएफ (कर्मचारी भविष्य निधि) और जीवन बीमा की सुविधा अनिवार्य कर दी गई है। इसके अलावा, शिक्षकों को कुशल श्रमिकों को दिए जाने वाले मानदेय से कम वेतन नहीं दिया जा सकता है और उनका वेतन बैंक खाते में भेजे जाने की व्यवस्था की जाएगी। इन पहलुओं का उद्देश्य शिक्षकों के जीवन स्तर को सुधारना और उनकी सामाजिक सुरक्षा को सुनिश्चित करना है।

1. ईपीएफ और जीवन बीमा:

ईपीएफ और जीवन बीमा जैसी सामाजिक सुरक्षा योजनाओं को निजी स्कूलों में लागू किया जाना एक स्वागत योग्य कदम है। यह ना केवल शिक्षकों के भविष्य को सुरक्षित करता है, बल्कि उनके परिवारों को भी सुरक्षा प्रदान करता है। ईपीएफ (कर्मचारी भविष्य निधि) एक तरह से पेंशन योजना है, जो शिक्षक के संन्यास के बाद उनके जीवन को आसान बनाएगी। इसके साथ ही जीवन बीमा की सुविधा उन्हें अप्रत्याशित परिस्थितियों में आर्थिक मदद देने का एक जरिया बनेगी।

2. मानदेय में सुधार की आवश्यकता

माध्यमिक शिक्षा निदेशक डॉ. महेन्द्र देव द्वारा जारी निर्देश के अनुसार, अब किसी भी शिक्षक को कुशल श्रमिकों को मिलने वाले मानदेय से कम वेतन नहीं दिया जाएगा। वर्तमान में कई निजी स्कूलों में शिक्षकों को बहुत कम वेतन दिया जा रहा है, जो कि उनके कार्य के अनुरूप नहीं है। इसका नतीजा यह होता है कि शिक्षकों को अपने परिवार की देखभाल करने में मुश्किलें आती हैं और वे अपनी पूरी क्षमता से काम नहीं कर पाते हैं।

वर्तमान में, कुशल श्रमिकों के लिए न्यूनतम मानदेय 13,186 रुपये मासिक निर्धारित किया गया है। लेकिन कई निजी विद्यालयों में यह मानदेय बहुत कम दिया जा रहा है। इस दिशा में शिक्षा विभाग द्वारा लिया गया यह कदम शिक्षकों के सम्मान और उनके कार्य की उचित सराहना के लिए जरूरी था।

3. सभी जिलों में होगी जांच और निगरानी

माध्यमिक शिक्षा विभाग ने यह सुनिश्चित करने के लिए कि सभी स्कूलों में इन नए निर्देशों का पालन हो रहा है, जिलों में जांच कराने का निर्णय लिया है। यह जांच यह सुनिश्चित करेगी कि सभी निजी स्कूलों में शिक्षकों को उचित मानदेय और सामाजिक सुरक्षा सुविधाएं मिल रही हैं।

इसके अलावा, सभी जिला विद्यालय निरीक्षकों को निर्देश दिए गए हैं कि वे 10 अगस्त 2001 को जारी शासनादेश का कड़ाई से पालन कराएं, ताकि कोई भी निजी स्कूल शिक्षक के शोषण और उनके अधिकारों की अनदेखी न कर सके।

बिहार में 900 सर्वे कर्मचारियों ने छोड़ी दी नौकरी!

पटना: बिहार में भूमि सर्वेक्षण प्रक्रिया में एक महत्वपूर्ण मोड़ आया है, जब लगभग 900 सर्वे कर्मचारियों ने अपनी नौकरी से इस्तीफा दे दिया। इस घटनाक्रम ने न केवल प्रशासनिक तंत्र को प्रभावित किया है, बल्कि बिहार भूमि सर्वेक्षण विभाग के समक्ष कई चुनौतियाँ भी खड़ी कर दी हैं।

इस्तीफे का बड़ा कारण

बिहार में भूमि सर्वेक्षण की प्रक्रिया में सुधार के लिए कई कदम उठाये गए हैं, इसके बावजूद, राज्य में 900 सर्वे कर्मचारियों ने इस्तीफा दे दिया है। इन कर्मचारियों में से अधिकांश ने जूनियर इंजीनियर के पद पर चयन होने के बाद सर्वे कर्मी के पद से इस्तीफा दिया है। इनमें गया जिले में 42 और मधुबनी में 26 सर्वे कर्मी शामिल हैं। इन इस्तीफों के कारणों को लेकर प्रशासन ने तेजी से जांच शुरू की है और सभी इस्तीफों और अनापत्ति के मुद्दों को शीघ्र निदेशालय को अवगत कराने का आदेश दिया गया है।

नौकरी छोड़ने का कारण

सर्वे कर्मचारियों के इस्तीफे की सबसे बड़ी वजह उनका जूनियर इंजीनियर के पद पर चयन होना बताया जा रहा है। इन कर्मचारियों ने जो सर्वे कर्मी के रूप में काम किया, अब उन्हें अधिक वेतन और स्थिरता के लिए जूनियर इंजीनियर की नौकरी मिल गई है। जूनियर इंजीनियर का पद न केवल एक उच्च दर्जा है, बल्कि इसमें मिलने वाली सुविधाएं और लाभ भी सर्वे कर्मी के मुकाबले अधिक हैं। ऐसे में इन कर्मचारियों के लिए यह निर्णय स्वाभाविक था, क्योंकि वे अपने भविष्य को लेकर अधिक सुरक्षित महसूस कर रहे थे।

प्रशासनिक चुनौतियाँ

900 कर्मचारियों का इस्तीफा विभाग के लिए एक बड़ी चुनौती साबित हो सकता है। यह इस्तीफे भूमि सर्वेक्षण कार्यों की गति को धीमा कर सकते हैं, और इससे भूमि विवादों के समाधान में देरी हो सकती है। खासकर, बिहार जैसे राज्य में जहां भूमि से संबंधित समस्याएं प्रायः जटिल होती हैं, वहां कर्मचारियों की कमी प्रशासन के लिए अतिरिक्त दबाव उत्पन्न कर सकती है।

बिहारवासियों को मिलेगी राहत, सस्ती होगी बिजली!

पटना: बिहार में बिजली संकट को समाप्त करने और बिजली की दरों में राहत देने के लिए राज्य सरकार ने एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। अब बिहारवासियों को सस्ती और गुणवत्तापूर्ण बिजली मिल सकेगी। इसके लिए पीरपैंती में 800 मेगावाट की तीन थर्मल पावर यूनिट्स स्थापित की जाएंगी, जिनमें 21,400 करोड़ रुपए का निवेश किया जाएगा। यह परियोजना बिहार के ऊर्जा क्षेत्र के लिए एक मील का पत्थर साबित होने वाली है।

पीरपैंती में नया निवेश:

बिहार में निजी क्षेत्र में अब तक का सबसे बड़ा निवेश होने जा रहा है। पीरपैंती में प्रस्तावित यह थर्मल पावर स्टेशन बिहार राज्य के बिजली उत्पादन में क्रांतिकारी बदलाव लाएगा। यह परियोजना मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की ऊर्जा नीति का परिणाम है, जिसमें राज्य में ऊर्जा उत्पादन को बढ़ाकर स्वावलंबन की दिशा में कदम बढ़ाए जा रहे हैं।

बिजली दरों में कमी और गुणवत्तापूर्ण आपूर्ति:

इस थर्मल पावर स्टेशन के बन जाने से बिहार के लोगों को न केवल सस्ती बिजली मिलेगी, बल्कि बिजली की गुणवत्ता में भी सुधार होगा। ऊर्जा मंत्री बिजेेंद्र प्रसाद यादव ने कहा कि इस परियोजना के पूरा होने के बाद राज्य में बिजली की दरों में कमी आएगी और बिजली की निरंतर आपूर्ति सुनिश्चित होगी। इसके साथ ही राज्य के औद्योगिकीकरण को भी एक नया रुख मिलेगा, क्योंकि बिजली की आपूर्ति के साथ उद्योगों को प्रोत्साहन मिलेगा।

निवेशकों के लिए आकर्षण का केंद्र बनेगा बिहार:

यह परियोजना बिहार को निवेशकों के लिए एक आकर्षक केंद्र बना देगी। राज्य सरकार ने बिहार राज्य बिजली उत्पादन कंपनी लिमिटेड को नोडल एजेंसी के रूप में नियुक्त किया है, ताकि इस प्रोजेक्ट को सफलतापूर्वक लागू किया जा सके। कोल इंडिया लिमिटेड के तहत कोल लिंकेज प्रस्तावित है, और इस परियोजना के लिए 1020.60 एकड़ जमीन का अधिग्रहण भी किया जा चुका है।

एक बड़ा कदम बिहार के औद्योगिकीकरण की ओर:

इस पावर प्लांट के निर्माण से बिहार में औद्योगिक विकास के लिए आवश्यक ऊर्जा की उपलब्धता सुनिश्चित होगी। इससे राज्य के कई क्षेत्रों में औद्योगिकीकरण को बढ़ावा मिलेगा, जिससे रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे और बिहार की आर्थिक स्थिति मजबूत होगी। इस परियोजना का निविदा प्रबंधन एसबीआई कैपिटल मार्केट लिमिटेड, मुंबई द्वारा किया जा रहा है, जो कि इस परियोजना को समय पर और गुणवत्ता के साथ लागू करने की जिम्मेदारी निभाएगा।

यूपी में सरकारी कर्मचारियों के लिए 1 बड़ी खबर

लखनऊ: उत्तर प्रदेश राज्य सरकार ने सरकारी कर्मचारियों के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। राज्य कर्मियों को अपनी संपत्तियों का विवरण मानव संपदा पोर्टल पर दर्ज करने के लिए 10 मार्च तक का अतिरिक्त समय प्रदान किया गया है। पहले इस विवरण को 28 फरवरी 2025 तक पूरा करना था, लेकिन अब इस तिथि को बढ़ाकर 10 मार्च कर दिया गया है। यह कदम कर्मचारियों को राहत देने के उद्देश्य से उठाया गया है, ताकि वे समय पर अपना संपत्ति विवरण दर्ज कर सकें।

मानव संपदा पोर्टल का महत्व

मानव संपदा पोर्टल एक ऑनलाइन प्लेटफॉर्म है, जहां राज्य के कर्मचारियों को अपनी संपत्तियों की जानकारी दर्ज करनी होती है। यह प्रक्रिया राज्य सरकार की पारदर्शिता और कर्मचारी प्रबंधन प्रणाली को मजबूत करने के लिए की जा रही है। पोर्टल पर दर्ज की जाने वाली जानकारी में कर्मचारियों की भूमि, भवन, वाहन और अन्य संपत्तियाँ शामिल होती हैं। यह कदम भ्रष्टाचार को रोकने और सरकारी कर्मचारियों की संपत्ति के बारे में सही जानकारी रखने के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।

कर्मचारियों का जवाबदेही

प्रदेश के 8,29,819 सरकारी कर्मचारियों में से अब तक 7,08,588 कर्मचारी यानी करीब 85 प्रतिशत कर्मचारियों ने अपनी संपत्तियों की जानकारी ऑनलाइन पोर्टल पर दे दी है। इस आंकड़े से यह स्पष्ट होता है कि एक बड़ी संख्या में कर्मचारी सरकार के आदेश का पालन कर रहे हैं। हालांकि, शेष 15 प्रतिशत कर्मचारी अभी तक अपनी संपत्तियों का विवरण नहीं दे पाए हैं। सरकार ने इसे गंभीरता से लिया है और निर्देश दिया है कि 10 मार्च तक जो कर्मचारी संपत्ति विवरण नहीं देंगे, उनका वेतन अप्रैल 2025 में रोक लिया जाएगा।

समय सीमा का विस्तार

इस आदेश से पहले, कर्मचारियों को संपत्ति विवरण 28 फरवरी तक देना था, लेकिन अब सरकार ने इसे बढ़ाकर 10 मार्च कर दिया है। यह फैसला कर्मचारियों को और अधिक समय देने के उद्देश्य से लिया गया है ताकि वे अपने दस्तावेज़ ठीक से तैयार कर सकें और किसी प्रकार की कठिनाई का सामना न करें। यह निर्णय राज्य के कर्मचारियों के हित में लिया गया है और इससे कर्मचारियों को अपनी जिम्मेदारी पूरी करने का एक और मौका मिला है।

वेतन रोकने की सख्त चेतावनी

इस शासनादेश में एक महत्वपूर्ण निर्देश यह भी है कि जो कर्मचारी निर्धारित समय सीमा तक संपत्तियों का विवरण नहीं देंगे, उनका वेतन अगले महीने यानी अप्रैल में रोक दिया जाएगा। यह कदम सरकार ने कर्मचारियों को समय पर कार्य करने के लिए प्रेरित करने के लिए उठाया है। सरकार का उद्देश्य है कि सभी कर्मचारी नियमों का पालन करें और अपनी संपत्तियों का सही तरीके से विवरण पोर्टल पर दर्ज करें।

यूपी सरकार का बड़ा कदम: युवाओं को 5 लाख की मदद!

लखनऊ: उत्तर प्रदेश सरकार ने युवाओं के लिए एक महत्वपूर्ण पहल की है, जिसका नाम है "मुख्यमंत्री युवा उद्यमी विकास अभियान". इस अभियान के तहत, प्रदेश सरकार युवा उद्यमियों को उद्योग और सेवा क्षेत्र में अपना कारोबार स्थापित करने के लिए वित्तीय सहायता प्रदान कर रही है। यह योजना विशेष रूप से स्वरोज़गार को बढ़ावा देने और बेरोज़गारी की समस्या को कम करने के उद्देश्य से शुरू की गई है।

मुख्यमंत्री युवा उद्यमी विकास अभियान:

इस योजना के तहत, युवाओं को 5 लाख रुपये तक के ब्याज मुक्त ऋण प्रदान किए जाते हैं, ताकि वे अपने व्यापार की शुरुआत कर सकें। सरकार ने यह सुनिश्चित किया है कि इस योजना के तहत मिलने वाले ऋण के लिए ब्याज की कोई राशि नहीं होगी, जिससे युवाओं को वित्तीय दबाव से मुक्त किया जा सके। साथ ही, परियोजना लागत का 10% मार्जिन मनी अनुदान के रूप में दिया जाता है, जो उद्यमी को अपने प्रोजेक्ट को सफल बनाने के लिए अतिरिक्त सहायता प्रदान करता है।

लंबित मामलों का समाधान: एक सप्ताह 

मुख्यमंत्री युवा उद्यमी विकास अभियान के तहत एक महत्वपूर्ण कदम उठाया गया है, जिसमें योजना से संबंधित लंबित मामलों का निस्तारण एक सप्ताह के भीतर करने का निर्णय लिया गया है। अभी तक कुल 56,398 मामले लंबित हैं, जिनमें से 44,391 मामले विभाग के स्तर पर स्वीकृति के लिए हैं और 12,007 मामले बैंकों के स्तर पर ऋण वितरण के लिए हैं। सरकार का यह कदम योजनाओं के त्वरित निष्पादन और युवाओं के लिए आर्थिक सहायता सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण साबित होगा।

किसे मिलेगा इस योजना का लाभ?

मुख्यमंत्री युवा उद्यमी विकास अभियान का लाभ वे युवा उठा सकते हैं जिनकी उम्र 21 से 40 साल के बीच है। इसके साथ ही, ऐसे युवा जिन्होंने किसी मान्यता प्राप्त संस्थान से कौशल प्रशिक्षण प्राप्त किया है, वे भी इस योजना में आवेदन कर सकते हैं। यह योजना खासतौर पर उन युवाओं के लिए है जो ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में रोजगार की तलाश में हैं और अपना व्यवसाय शुरू करने की इच्छा रखते हैं।

अमेरिका-9, चीन-59, भारत-122...GDP की ये कैसी रैंक?

नई दिल्ली: अर्थव्यवस्था की ताकत को मापने के कई तरीके होते हैं, लेकिन दो महत्वपूर्ण मानक हैं जिनसे यह तय होता है कि कोई देश कितने मजबूत आर्थिक स्थिति में है—पहला, उस देश की कुल सकल घरेलू उत्पाद (GDP) और दूसरा, प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद (Per Capita GDP)। जीडीपी के आंकड़ों से यह साफ दिखता है कि कुछ देशों की अर्थव्यवस्था भले ही बड़ी हो, लेकिन उनके नागरिकों का जीवनस्तर उतना बेहतर नहीं होता। वर्ल्ड बैंक द्वारा जारी किए गए प्रतिवर्षि जीडीपी के आंकड़े इसे साबित करते हैं।

अमेरिका (USA) की स्थिति

अमेरिका दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में से एक है, और यह 9वें स्थान पर स्थित है जब हम प्रति व्यक्ति जीडीपी के आधार पर आंकलन करते हैं। अमेरिका की प्रति व्यक्ति जीडीपी $82,769 (करीब 82,800 डॉलर) है। यह एक बहुत बड़ी राशि है और इसका मतलब है कि वहां रहने वाले लोग औसतन उच्च जीवन स्तर का आनंद ले रहे हैं। इसके पीछे एक प्रमुख कारण है वहाँ की मजबूत औद्योगिक संरचना, उच्च तकनीकी विकास, बेहतर शिक्षा व्यवस्था और बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं हैं। अमेरिका में उच्च तकनीकी उद्योगों जैसे कि सॉफ्टवेयर, जैव प्रौद्योगिकी, और अंतरिक्ष तकनीकी की बड़ी कंपनियां हैं, जो देश की समृद्धि को बढ़ाती हैं।

चीन: उभरती हुई शक्ति

चीन की अर्थव्यवस्था ने पिछले कुछ दशकों में अभूतपूर्व वृद्धि की है और आज यह दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गई है। चीन की प्रति व्यक्ति जीडीपी 12,783 डॉलर (लगभग 12,800 डॉलर) है, जो दुनिया के अधिकांश देशों से काफी ऊपर है। हालांकि, यह अमेरिका की तुलना में काफी कम है, लेकिन यह किसी भी विकासशील देश की तुलना में अच्छा आंकड़ा कह सकते है। चीन ने अपनी मजबूत निर्माण और निर्यात उद्योगों के द्वारा खुद को एक आर्थिक महाशक्ति के रूप में स्थापित किया है। बावजूद इसके, चीन की विशाल जनसंख्या की वजह से इसकी प्रति व्यक्ति जीडीपी कहीं न कहीं प्रभावित होती है, क्योंकि देश में बहुत बड़ी संख्या में लोग आज भी विकासशील स्तर पर जीते हैं।

भारत: विकास की दिशा

अब आते हैं भारत पर, जो आज दुनिया की पाँचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है, लेकिन प्रति व्यक्ति जीडीपी के हिसाब से यह 122वें स्थान पर है। भारत की प्रति व्यक्ति जीडीपी लगभग 10,166 डॉलर है। यह आंकड़ा भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए चिंता का कारण है, खासकर जब हम उसे चीन और अमेरिका के मुकाबले देखें।

भारत की विशाल जनसंख्या और उसकी विविधता एक बड़े कारण के रूप में सामने आते हैं। देश में एक बड़ी संख्या में लोग कृषि क्षेत्र से जुड़े हुए हैं, और यहां तक कि भारत के महानगरों में भी कई लोग गरीबी में जी रहे हैं। इसी कारण से, जबकि देश की कुल जीडीपी बहुत बड़ी है, लेकिन प्रति व्यक्ति जीडीपी कम है। हालांकि, भारत ने पिछले कुछ वर्षों में काफी आर्थिक सुधार किए हैं, लेकिन अब भी बहुत बड़ी संख्या में लोग रोजगार, शिक्षा, और स्वास्थ्य जैसी बुनियादी जरूरतों की तलाश में स्ट्रगल कर हैं।

यूपी में पुलिसकर्मियों को 1 हफ्ते की छुट्टी और बोनस

प्रयागराज: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने महाकुंभ 2025 के समापन पर पुलिसकर्मियों के लिए एक बड़ी और सराहनीय पहल की घोषणा की है। महाकुंभ में तैनात पुलिसकर्मियों और अन्य सुरक्षा बलों को सम्मानित करने और उनकी कड़ी मेहनत का मोल चुकाने के लिए मुख्यमंत्री ने उन्हें एक सप्ताह की छुट्टी, बोनस, और अन्य सम्मान देने का ऐलान किया। यह कदम न केवल पुलिसकर्मियों के लिए एक सराहना है, बल्कि इससे उनका मनोबल भी बढ़ेगा और वे भविष्य में ऐसे बड़े आयोजनों में बेहतर तरीके से अपनी जिम्मेदारियां निभा सकेंगे।

महाकुंभ में पुलिसकर्मियों की भूमिका

महाकुंभ, जिसे दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक आयोजन माना जाता है, में लाखों लोग भाग लेते हैं। इस आयोजन में सुरक्षा, व्यवस्था बनाए रखने और श्रद्धालुओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने में पुलिसकर्मियों का अहम योगदान रहता है। उत्तर प्रदेश पुलिस, पीएसी, अर्धसैनिक बलों, होमगार्ड्स और अन्य सुरक्षा बलों के जवानों ने महाकुंभ के दौरान अपनी जान जोखिम में डालकर असंख्य श्रद्धालुओं की सुरक्षा की और व्यवस्थाएं बनाईं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इन सभी कर्मठ पुलिसकर्मियों की बहुमूल्य सेवा की सराहना करते हुए उन्हें पुरस्कार देने की घोषणा की।

सीएम योगी की घोषणाएं: पुलिसकर्मियों के लिए सम्मान और लाभ

सीएम योगी ने महाकुंभ में सेवा देने वाले 75,000 पुलिसकर्मियों और अन्य सुरक्षा बलों के जवानों को महाकुंभ सेवा मेडल और प्रशस्ति पत्र देने का ऐलान किया। यह मेडल उन पुलिसकर्मियों के योगदान को मान्यता देने का एक महत्वपूर्ण तरीका है, जिन्होंने इस महान धार्मिक आयोजन में अपनी सेवाएं दीं। इसके अलावा, अराजपत्रित पुलिसकर्मियों को दस हजार रुपए का स्पेशल बोनस भी दिया जाएगा, जो उनके कठिन काम के लिए एक वित्तीय पुरस्कार है।

इसके अलावा, सभी पुलिसकर्मियों को एक सप्ताह की छुट्टी देने की घोषणा की गई है। सीएम योगी ने यह स्पष्ट किया कि यह छुट्टी एक साथ नहीं दी जाएगी, बल्कि इसे फेज वाइज तरीके से दिया जाएगा। यह निर्णय कार्यभार को संतुलित करने और सभी पुलिसकर्मियों को समय-समय पर आराम देने के उद्देश्य से लिया गया है।

यूपी में DL के नियम हुए सख्त, नई गाइडलाइंस लागू

लखनऊ: उत्तर प्रदेश में अब ड्राइविंग लाइसेंस (DL) बनाने की प्रक्रिया को लेकर नए दिशा-निर्देश लागू किए गए हैं, जिनसे फर्जीवाड़े की संभावनाएं समाप्त हो जाएंगी। यह कदम राज्य सरकार ने उठाया है ताकि सिर्फ योग्य व्यक्ति ही स्थाई लाइसेंस प्राप्त कर सकें और सिस्टम में होने वाले भ्रष्टाचार पर रोक लग सके।

बिना गाड़ी चलाए नहीं मिलेगा लाइसेंस

अब तक यूपी में ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने के लिए कई लोग बिना गाड़ी चलाए ही टेस्ट पास कर लेते थे। यह प्रक्रिया दलालों द्वारा संचालित होती थी, जो आवेदकों से मोटी रकम लेकर बिना टेस्ट के लाइसेंस बनवा देते थे। लेकिन अब नई व्यवस्था के तहत ड्राइविंग टेस्ट की वीडियो रिकॉर्डिंग की जाएगी, जिससे अगर भविष्य में कोई शिकायत या संदेह उत्पन्न होता है, तो विभाग उसे रिकॉर्डिंग के जरिए सत्यापित कर सकेगा।।

वीडियो रिकॉर्डिंग: पारदर्शिता का एक कदम

नई व्यवस्था के तहत ड्राइविंग टेस्ट की वीडियो रिकॉर्डिंग का मुख्य उद्देश्य पारदर्शिता सुनिश्चित करना है। अगर कोई आवेदक नियमों का पालन नहीं करता है या टेस्ट के दौरान किसी तरह की धांधली की जाती है, तो वह वीडियो में कैद हो जाएगी। इस रिकॉर्डिंग को देखकर एआरटीओ अधिकारी किसी भी शिकायत की जांच कर सकते हैं और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई कर सकते हैं।

यूपी में स्थाई लाइसेंस के लिए टेस्ट की प्रक्रिया

लर्निंग लाइसेंस मिलने के छह महीने बाद आवेदक स्थाई लाइसेंस के लिए आवेदन कर सकता है। स्थाई लाइसेंस के लिए आवेदन को एआरटीओ कार्यालय जाकर ड्राइविंग टेस्ट देना होता है। पहले लोग केवल दो पहिया वाहन चलाकर यह टेस्ट पास कर लेते थे और उन्हें चार पहिया वाहन चलाने का लाइसेंस भी मिल जाता था। अब इस प्रक्रिया को कड़ा कर दिया गया है और टेस्ट की वीडियो रिकॉर्डिंग से किसी भी तरह की अनियमितता को पकड़ा जा सकेगा। इस व्यवस्था के लागू होने से ये उम्मीद की जा रही है कि राज्य में ड्राइविंग लाइसेंस से जुड़े भ्रष्टाचार और धोखाधड़ी की घटनाओं में कमी आएगी।

ICBM तकनीक में क्रांति: 4 देशों के पास सबसे तेज ICBM?

नई दिल्ली: आज की दुनिया में ICBM (Intercontinental Ballistic Missiles) तकनीक ने वैश्विक सुरक्षा और सैन्य शक्ति में एक नया आयाम जोड़ दिया है। ये मिसाइलें सिर्फ लंबी दूरी तक मार करने वाली नहीं होतीं, बल्कि इनकी रफ़्तार भी अत्यधिक होती है, जो इन्हें बेहद खतरनाक और प्रभावी बनाती है। 

1. DF-41 (चीन)

चीन की DF-41 मिसाइल सबसे आधुनिक और तेज़ ICBM में से एक मानी जाती है। इसकी रफ़्तार 30,625 किलोमीटर प्रति घंटा (लगभग 25 मैक) तक पहुँच सकती है, जिससे यह दुनिया की सबसे तेज़ ICBM बन जाती है। DF-41 की खासियत यह है कि यह एक ही महाद्वीप पर कई टारगेट्स पर हमला करने में सक्षम है, जिससे यह एक महत्वपूर्ण रणनीतिक हथियार बनता है। इस मिसाइल का डिज़ाइन इसे लंबी दूरी (12,000 किमी तक) तक मार करने की क्षमता प्रदान करता है, और यह परमाणु हथियारों को ले जाने में सक्षम है।

2. UGM-133 Trident II (अमेरिका)

UGM-133 Trident II अमेरिका की पनडुब्बी से लॉन्च होने वाली बैलिस्टिक मिसाइल है। इसकी रफ़्तार 29,400 किलोमीटर प्रति घंटा (24 मैक) है, और यह समुद्र में स्थित पनडुब्बियों से दागी जा सकती है। Trident II के पास कई लक्ष्य पर हमला करने की क्षमता है, और यह परमाणु हथियारों से लैस हो सकती है। यह एक ऐसी मिसाइल है जो किसी भी अप्रत्याशित युद्ध परिस्थिति में भी प्रभावी ढंग से काम कर सकती है, विशेषकर समुद्र से स्थित पनडुब्बियों के माध्यम से।

3. अग्नि-5 (भारत)

भारत की अग्नि-5 एक अत्याधुनिक ICBM है जो 29,400 किलोमीटर प्रति घंटे (लगभग 24 मैक) की रफ़्तार से उड़ सकती है। यह तीन चरणों वाली, ठोस ईंधन वाली, सड़क पर चलने वाली मिसाइल है, जो भारत की रणनीतिक रक्षा क्षमताओं को एक नई दिशा देती है। अग्नि-5 की रेंज लगभग 5,000 किलोमीटर तक है, और यह परमाणु और पारंपरिक दोनों प्रकार के हथियारों को ले जाने में सक्षम है। यह मिसाइल भारत को अपनी सीमाओं से बाहर के टारगेट पर प्रभावी हमला करने की क्षमता प्रदान करती है।

4 . RS-28 Sarmat (रूस)

रूस की RS-28 Sarmat को "सार्मट" के नाम से भी जाना जाता है, और यह रूस की सबसे प्रभावशाली ICBM मिसाइलों में से एक है। इसकी अधिकतम रफ़्तार 25,000 किलोमीटर प्रति घंटा (24 मैक) तक पहुँच सकती है। यह मिसाइल खासकर अपनी शक्ति और रेंज के लिए प्रसिद्ध है, और इसकी मारक क्षमता 18,000 किलोमीटर तक हो सकती है। सार्मट को रूस ने नए प्रकार की लंबी दूरी की मिसाइल रक्षा प्रणाली के तहत विकसित किया है, और यह एक अत्यधिक सटीक और शक्तिशाली वारहेड प्रणाली से लैस है। इस मिसाइल को कई प्रकार के परमाणु और पारंपरिक हथियारों से लैस किया जा सकता है, और यह किसी भी महाद्वीप पर हमला करने में सक्षम है।