यूपी में नायब तहसीलदारों के प्रमोशन का रास्ता साफ

लखनऊ: उत्तर प्रदेश में नायब तहसीलदारों के प्रमोशन का रास्ता अब पूरी तरह से साफ हो गया है। 2016 बैच के नायब तहसीलदारों के प्रमोशन के लिए लखनऊ स्थित इलाहाबाद हाईकोर्ट की बेंच ने राज्य सरकार को आदेश दिया है कि वह इन नायब तहसीलदारों की प्रोन्नति पर विचार करे। इस फैसले के साथ ही न्यायालय ने 23 जनवरी 2024 को अपने द्वारा दिए गए उस आदेश को भी समाप्त कर दिया है, जिसमें 2016 बैच के नायब तहसीलदारों की प्रोन्नति पर अंतरिम रोक लगा दी गई थी।

यह निर्णय न्यायमूर्ति आलोक माथुर की एकल पीठ ने, आशुतोष पांडेय व अन्य तथा सिद्धांत पांडेय व अन्य की याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई करते हुए पारित किया। याचियों की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ताओं जेएन माथुर और एलपी मिश्रा ने अदालत में दलील दी कि याचियों ने 11 जनवरी 2016 को प्रकाशित विज्ञापन के आधार पर नायब तहसीलदार भर्ती परीक्षा उत्तीर्ण की थी। हालांकि, राज्य सरकार द्वारा नियुक्ति पत्र जारी करने में हुई देरी के कारण उनकी वरिष्ठता क्रम में गिरावट आई। इसके परिणामस्वरूप 10 नवंबर 2023 को राजस्व परिषद द्वारा भेजी गई प्रोन्नति सूची में इन याचियों के नाम नहीं आए।

इस मामले में राज्य सरकार की ओर से अपर महाधिवक्ता कुलदीपपति त्रिपाठी ने अदालत को बताया कि राज्य में तहसीलदारों की कमी है और वर्तमान में कुल 380 पद खाली हैं। सरकार सभी पात्र नायब तहसीलदारों की प्रोन्नति पर विचार करने के लिए तैयार है। उन्होंने यह भी बताया कि इस संबंध में 17 अक्टूबर 2024 को राजस्व परिषद ने एक प्रस्ताव राज्य सरकार को भेजा था, जिसमें तहसीलदार के पद पर प्रमोशन की शर्तों को लचीला करने की बात कही गई थी। यदि यह प्रस्ताव मंजूर हो जाता है, तो इन याचियों की प्रोन्नति की प्रक्रिया को तेजी से लागू किया जा सकता है।

न्यायालय ने इस मामले में राज्य सरकार को आदेश दिया कि शीघ्र ही इस प्रस्ताव पर निर्णय लिया जाए, ताकि 2016 बैच के नायब तहसीलदारों की प्रमोशन की प्रक्रिया में कोई और देरी न हो। इस आदेश से न केवल 2016 बैच के नायब तहसीलदारों को राहत मिली है, बल्कि यह अन्य कर्मचारियों को भी यह संकेत देता है कि अदालत उनके अधिकारों के प्रति संवेदनशील है और अगर सरकार के द्वारा कोई विलंब होता है, तो न्यायालय उनकी स्थिति पर शीघ्र निर्णय लेकर उनके अधिकारों की रक्षा करेगा।

यह निर्णय न केवल इस बैच के नायब तहसीलदारों के लिए बल्कि समग्र प्रशासनिक प्रक्रिया में गति लाने और कर्मचारियों के अधिकारों के प्रति सरकार की जिम्मेदारी को भी स्पष्ट करता है। अब राज्य सरकार को जल्द से जल्द यह प्रक्रिया पूरी करने के लिए दिशा निर्देश जारी करने होंगे ताकि उन सभी नायब तहसीलदारों को उचित समय पर उनके अधिकार मिल सकें।

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