बिहार के पटना, पूर्णिया, सारण, नालंदा समेत इन जिलों में हैं शक्तिपीठ

धर्म डेस्क: बिहार के पटना, पूर्णिया, सारण, नालंदा समेत कई जिलों में माता के शक्तिपीठ मौजूद हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार जिन स्थानों पर माता सती के अंग और आभूषण गिरे, वे ही शक्तिपीठ कहलाए। आज इसी विषय में जानने की कोशिश करेंगे की बिहार में शक्तिपीठ कहां-कहां मौजूद हैं।

बिहार के पटना, पूर्णिया, सारण, नालंदा समेत इन जिलों में हैं शक्तिपीठ?

अंबिका भवानी (सारण) : अंबिका भवानी मंदिर को शक्तिपीठ माना जाता हैं।

मां ताराचंडी (रोहतास) : मां ताराचंडी मंदिर की गिनती देश के 51 शक्तिपीठों में किया जाता हैं।

मां मंगला गौरी मंदिर (गया): गया-बोधगया मार्ग पर मां मंगला गौरी शक्तिपीठ है। यहां देवी सती का स्तन गिरा था।

चामुंडा मंदिर (नवादा) : नवादा-रोह-कौआकोल मार्ग पर रुपौ गांव में चामुंडा शक्तिपीठ है। यहां देवी सती का सिर गिरा था।

धीमेश्वर स्थान (पूर्णिया) : बता दें की पूर्णिया के बनमनखी प्रखंड के धीमेश्वर स्थान में छिन्नमस्ता देवी का मंदिर है। इसे भी शक्तिपीठ माना जाता हैं।

बड़ी व छोटी पटनदेवी (पटना) : पटना के बड़ी पटनदेवी में सती के शरीर से दाहिनी जंघा गिरी थी। जबकि पटना के छोटी पटनदेवी हैं। यहां देवी सती के पट और वस्त्र गिरे थे।

मां चंडिका स्‍थान (मुंगेर) : मुंगेर में गंगा तट पर मां चंडिका देवी के मंदिर हैं। कहते हैं कि यहां माता सती की दांयीं आंख गिरी थी।

उग्रतारा स्थान (सहरसा) : मान्‍यता है यहां देवी सती की बायीं आंख गिरी थी। इसलिए इसकी गिनती एक शक्तिपीठ के रूप में होती हैं।

मां शीतला मंदिर (नालंदा) : बिहारशरीफ से पश्चिम एकंगरसराय पथ पर मघरा गांव में प्राचीन शीतला मंदिर हैं। यहां सती के हाथ से कंगन गिरा था।

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