दिसंबर 2024 में आईएमएफ और यूएस ट्रेज़री के आंकड़ों के मुताबिक, दुनिया पर कुल कर्ज़ 102 ट्रिलियन डॉलर था। इस कर्ज़ का एक बड़ा हिस्सा कुछ प्रमुख देशों पर केंद्रित है, जिनमें अमेरिका, चीन, जापान, और भारत जैसे देश शामिल हैं।
अमेरिका - सबसे बड़ा कर्ज़दार
अमेरिका दुनिया का सबसे बड़ा कर्ज़दार देश है, जो कुल वैश्विक कर्ज़ का 34.6% हिस्सा उठाए हुए है। दिसंबर 2024 तक, अमेरिका पर लगभग 35 ट्रिलियन डॉलर का कर्ज़ था। यह कर्ज़ मुख्य रूप से सरकार द्वारा विभिन्न कल्याण योजनाओं, रक्षा खर्चों और बुनियादी ढांचे के विकास के लिए लिया गया है। हालांकि अमेरिकी अर्थव्यवस्था दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है, फिर भी इतना भारी कर्ज़ अमेरिका की वित्तीय स्थिति पर दबाव बना रहा है। इससे ब्याज भुगतान के लिए भारी राशि खर्च हो रही है, जो एक बड़ी चुनौती बन गई है।
चीन - तेजी से बढ़ता कर्ज़ का दायरा
दूसरे नंबर पर चीन है, जिस पर वैश्विक कर्ज़ का 16.1% हिस्सा है। चीन की सरकार ने अपने विकास को बढ़ावा देने के लिए भारी मात्रा में कर्ज़ लिया है। इसके कारण चीन की अर्थव्यवस्था तेज़ी से बढ़ी, लेकिन अब यह कर्ज़ उनके लिए एक चुनौती बन चुका है। चीनी सरकार ने कई बड़ी बुनियादी ढांचा परियोजनाओं को वित्तपोषित करने के लिए कर्ज़ लिया, खासकर बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) जैसी योजनाओं के तहत। हालांकि, उच्च कर्ज़ का स्तर चीन की वित्तीय स्थिति को अस्थिर बना सकता है, और इसके वैश्विक अर्थव्यवस्था पर भी नकारात्मक प्रभाव हो सकते हैं।
जापान - एक लंबा इतिहास और बढ़ते ऋण
जापान का कर्ज़ भी बहुत भारी है और तीसरे स्थान पर है। जापान पर कुल 10.8 ट्रिलियन डॉलर का कर्ज़ है। जापान की सरकार ने मुख्य रूप से अपने समाज कल्याण कार्यक्रमों और बुनियादी ढांचे के विकास के लिए कर्ज़ लिया। जापान की जनसंख्या में वृद्धावस्था बढ़ने के कारण सरकार को पेंशन और स्वास्थ्य योजनाओं पर बहुत अधिक खर्च करना पड़ता है। यह बढ़ता हुआ सरकारी खर्च जापान के लिए कर्ज़ चुकाने में कठिनाई पैदा कर रहा है।
ब्रिटेन, फ्रांस जैसे देश पर भी भारी कर्ज हैं
ब्रिटेन और फ्रांस जैसे विकसित देशों का कर्ज़ भी बड़ा है। ब्रिटेन पर कर्ज़ 3.6% है और फ्रांस पर 3,354 बिलियन डॉलर का कर्ज़ है। ये देश विभिन्न क्षेत्रों में सरकार द्वारा की गई निवेश योजनाओं और सामाजिक कल्याण कार्यक्रमों के कारण कर्ज़ में दबे हुए हैं।
भारत - बढ़ते कर्ज़ के बीच विकास की चुनौती
भारत का नाम भी इस सूची में आता है, जो कुल वैश्विक कर्ज़ का 3.05 ट्रिलियन डॉलर का हिस्सा उठाए हुए है। भारत के कर्ज़ में हाल के वर्षों में काफी वृद्धि हुई है, विशेष रूप से महामारी के बाद। सरकार ने विभिन्न कल्याण योजनाओं, शिक्षा, स्वास्थ्य, और बुनियादी ढांचे के विकास के लिए भारी कर्ज़ लिया है। हालांकि, भारत की अर्थव्यवस्था में तेज़ी से वृद्धि हो रही है, लेकिन कर्ज़ का स्तर भी लगातार बढ़ रहा है। भारतीय सरकार के लिए यह एक चुनौती है क्योंकि कर्ज़ पर ब्याज का भुगतान आर्थिक विकास की गति को प्रभावित कर सकता है।
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