ऑपरेशन शक्ति का परिचय
पोखरण में किए गए इस परीक्षण में कुल पांच भूमिगत परमाणु परीक्षण किए गए थे। तीन परीक्षण 11 मई को और दो परीक्षण 13 मई को किए गए। इन परीक्षणों के बाद, भारतीय प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने घोषणा की थी कि भारत ने पोखरण में सफलतापूर्वक तीन अंडरग्राउंड न्यूक्लियर टेस्ट किए हैं, जिससे भारत ने परमाणु शक्ति के रूप में अपनी स्थिति को स्थापित किया।
भारत ने अमेरिका को कैसे चकमा दिया?
अमेरिका की खुफिया एजेंसी सीआईए उस समय भारत पर काफी कड़ी निगरानी रख रही थी। उन्होंने भारतीय सीमा पर अपने सैटेलाइट भेजे थे, ताकि किसी भी तरह के परमाणु परीक्षण की गतिविधि को पहले ही पकड़ लिया जाए। लेकिन भारत ने सीआईए को चकमा देने के लिए विशेष रणनीति अपनाई थी। भारतीय सेना के इंजीनियरों ने अमेरिका के सैटेलाइट को भ्रमित करने के लिए सैन्य यूनिफॉर्म पहनी थी, ताकि सैटेलाइट पर यह छाप पड़े कि ये भारतीय सैनिक हैं, और किसी तरह के परमाणु परीक्षण की योजना नहीं है।
इसके अलावा, पोखरण में परीक्षण के दौरान, जब भी सैटेलाइट का आवागमन होता था, सभी यंत्रों और मशीनरी को रेत और बोरे से ढक दिया जाता था, ताकि कोई असामान्य गतिविधि न दिखे। भारतीय वैज्ञानिक और इंजीनियरों ने इस परीक्षण को इस तरह से डिजाइन किया था कि अमेरिका को इसकी भनक न लगे।
पोखरण का महत्व
पोखरण का चयन परीक्षण स्थल के रूप में कई कारणों से किया गया था। सबसे महत्वपूर्ण कारण यह था कि यह इलाका भारत के दूरदराज़ क्षेत्र में स्थित था, जहां पर पर्यावरणीय परिस्थितियाँ और सुरक्षा के लिहाज से परीक्षण करने के लिए आदर्श थे। यहां पर परीक्षण करते समय सुरक्षा की दिशा में कई तरह के उपाय किए गए थे, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि परीक्षण में कोई विघ्न न आए और इसकी जानकारी किसी बाहरी एजेंसी को न हो।
विजय की घोषणा
ऑपरेशन शक्ति के सफल परीक्षण के बाद, भारत ने दुनिया को यह संदेश दिया कि वह अब एक परमाणु शक्ति बन चुका है। यह भारत की शक्ति और आत्मनिर्भरता का प्रतीक बन गया। प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने इस ऐतिहासिक सफलता को पूरे देश के लिए गर्व का विषय बताया। इस परीक्षण के परिणामस्वरूप भारत को वैश्विक राजनीति में एक नई पहचान मिली और उसने अपनी सुरक्षा के दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण कदम उठाए।
अमेरिका और सीआईए की प्रतिक्रिया
भारत द्वारा परमाणु परीक्षण करने के बाद, अमेरिका समेत अन्य देशों ने इस पर अपनी प्रतिक्रियाएँ दीं। अमेरिका की खुफिया एजेंसी सीआईए हैरान थी, क्योंकि उसने भारत की गतिविधियों पर कड़ी नजर रखी थी और इस तरह के किसी भी परीक्षण की आशंका नहीं जताई थी। हालांकि, अमेरिका ने इस परीक्षण का विरोध किया और भारत पर अंतर्राष्ट्रीय दबाव डालने की कोशिश की, लेकिन भारत ने अपनी स्वतंत्रता और सुरक्षा के हित में यह कदम उठाया था।
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