न्यूज डेस्क: कोरोनावायरस (Coronavirus) के बढ़ते संक्रमण के कारण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अगले 21 दिनों के लिए पूरे देश को लॉकडाउन कर दिया है। क्या आप अंदाजा लगा सकते हैं कि इन 21 दिनों में इकोनॉमी को कितना नुकसान होगा। इन 21 दिनों के लॉकडाउन में 120 अरब डॉलर यानी करीब 9 लाख करोड़ रुपए का नुकसान होने वाला है। इसका मतलब GDP में करीब 4 फीसदी की कमी आ सकती है।
बुधवार को एनालिस्ट्स ने अपने ग्रोथ के अनुमान में बड़ी कटौती की और आर्थिक पैकेज की जरूरत पर जोर दिया। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) 3 अप्रैल को मॉनेटरी पॉलिसी रिव्यू करने वाला है। एनालिस्ट को उम्मीद है कि RBI 3 अप्रैल को रेपो रेट में बड़ी कटौती कर सकता है। अनुमान है कि सरकार फिस्कल डेफेसिट का टारगेट पार कर सकती है।
देश भर में लॉकडाउन की वजह से आज सुबह शेयर बाजार की शुरुआत भी गिरावट के साथ हुई लेकिन बाद में बाजार संभल गया।
ब्रिटिश ब्रोकरेज हाउस बार्कलेज ने अपने एक नोट में फिस्कल ईयर 2021 के लिए ग्रोथ का अनुमान 1.7 फीसदी घटाकर 3.5 फीसदी कर दिया है। इस नोट में लिखा है, "हमारा अनुमान है कि क्यूमलेटिव स्लोडाउन की वजह से GDP में 4 फीसदी यानी 120 अरब डॉलर का नुकसान हो सकता है।"
बार्कलेज ने यह भी कहा है कि अप्रैल के अपने मॉनेटरी पॉलिसी रिव्यू में RBI 0.65 फीसदी रेट कट कर सकता है। बाद में RBI रेपो रेट में 1 फीसदी की भी कटौती कर सकता है।
डोमेस्टिक ब्रोकरेज एमके ने पॉलिसीमेकर को इस बात की बधाई दी है कि दूसरे देशों के मुकाबले भारत ने जल्दी लॉकडाउन किया है। हालांकि इस बात से आगाह भी किया है कि इसके आर्थिक असर को कम करने का बहुत ज्यादा विकल्प नहीं है।
24 मार्च को फाइनेंस मिनिस्टर निर्मला सीतारमण ने भी इकोनॉमिक के सपोर्ट में कुछ फैसले किए थे। उन्होंने यह संकेत भी दिए कि सरकार राहत पैकेज लेकर आ रही है।
बार्कलेज के एनालिस्ट्स का कहना है कि सरकार फिस्कल ईयर 2021 में फिस्कल प्रूडेंस फ्रेमवर्क के तहत प्राकृतिक आपदा को शामिल किया जा सकता है। इसके साथ ही फिस्कल डेफेसिट 5 फीसदी रह सकता है जबकि बजट में टारगेट 3.5 फीसदी था।
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