न्यूज डेस्क: कोरोना वायरस ने पूरी दिया को अपनी चपेट में ले लिया है। भारत में भी यह तेजी से अपने पांव पसार रहा है। ऐसे में रोज सोशल मीडिया पर कोरोना वायरस को लेकर तरह-तरह की बातें सामने आ रही हैं।
1- कोविड-19 संक्रमण जान-बूझकर अमेरिकी या चीनी सेना द्वारा फैलाया गया है।
हकीकत: चीन और अमेरिका के वैज्ञानिकों ने इसे गलत बताया है। वैज्ञानिक अभी भी इस संक्रमण की उत्पत्ति का सही स्रोत जानने की कोशिश कर रहे हैं। हालांकि वैज्ञानिकों ने संकेत दिए हैं कि यह वायरस चमगादड़ों में जन्मा है। बाद में किसी अन्य जीव के जरिये इनसानों तक पहुंचा है। ठीक इसी तरह 2003 में इस वायरस केपविार के एक वायरस की वजह से सार्स संक्रमण फैला था।
2- बच्चों को कोविड-19 संक्रमण नहीं हो सकता। यह वयस्कों को ही अपनी चपेट में लेता है।
हकीकत: सेंटर ऑफ डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के अनुसार, कोविड-19 संक्रमण किसी भी उम्र के इनसान को हो सकता है। संक्रमण के ज्यादातर मामलों की पुष्टि वयस्कों में हुई है। बच्चे भी इसकी चपेट में आए हैं। हालांकि इससे बुजुर्गों और अस्वस्थ लोगों को ज्यादा खतरा है। इसलिए ऐसा मान कर असावधानी न बरतें कि यह संक्रमण बच्चों को नहीं होता। बच्चों के मामले में पूरा एहतियात बरतें।
3- कोविड-19 से संक्रमित होने के बाद आदमी बचता नहीं है।
हकीकत: यह तथ्य एकदम गलत है। कोविड-19 संक्रमण के कुल मामलों में से सिर्फ 4-4.5 फीसदी मामलों में ही मृत्यु हुई है। इम्पीरियल कॉलेज ऑफ लंदन के अनुसार, यह दर 80 साल से अधिक उम्र के लोगों में दस गुना ज्यादा है। इसके बावजूद, ज्यादातर बुजुर्गों पर बीमारी का प्रभाव कम और सामान्य स्तर का रहा है। इससे हमें यह नहीं सोचना चाहिए कि युवाओं में इस संक्रमण का असर हल्का है। कोविड-19 संक्रमण के कुछ ऐसे भी मामले आए हैं, जिनमें नौजवानों की मृत्यु भी हुई है।
4- होमियोपैथिक औषधि ‘आर्सेनिक अल्बम 30’ कोविड-19 संक्रमण को खत्म कर देती है, या इससे बचाव करती है।
हकीकत: अभी तक ऐसा कोई वैज्ञानिक अध्ययन सामने नहीं आया है, जिसमें कोरोना वायरस पर होमियोपैथिक दवा आर्सेनिक अल्बम 30 के असर को मापने के लिए इनसानों या जानवरों पर प्रयोग किए गए हों। इसके अलावा, इस बात के कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं मिले हैं या कोई भी ऐसा अध्ययन नहीं सामने आया है, जो कोविड-19 के मामले में इस दवा की क्षमता के बारे में बताता है।
5- कोविड-19 संक्रमण से बचने के लिए निमोनिया का टीका लगवाएं। यह टीका कोविड-19 में मददगार है।
हकीकत: विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, कोरोना वायरस इतना नया और अलग है कि इससे बचाव के लिए इसका खुद का टीका विकसित करने की जरूरत है। निमोकोकल और हेमोफिलस इनफ्लूएंजा टाइप बी वैक्सीन, निमोनिया के इलाज में कारगर हैं, पर ये कोविड-19 से सुरक्षा नहीं देते। फिर भी हमें सांस संबंधित रोगों से बचाव के लिए टीका जरूर लगवाना चाहिए।
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