भूमि सर्वेक्षण का महत्व:
भूमि सर्वेक्षण वह प्रक्रिया है जिसके तहत राज्य सरकार अपनी सभी कृषि और गैर-कृषि भूमि का डाटा इकट्ठा करती है। यह सर्वेक्षण भूमि के मालिकों, उनके अधिकारों और भूमि के उपयोग की जानकारी प्रदान करता है। इस प्रक्रिया से भूमि विवादों का समाधान करने, संपत्ति के सही मालिक का निर्धारण करने, और राज्य के भूमि संसाधनों का उचित प्रबंधन सुनिश्चित करने में मदद मिलती है।
बिहार में भूमि सर्वेक्षण की यह प्रक्रिया एक लंबी और महत्वपूर्ण कड़ी है, जो किसानों, ज़मीन मालिकों और राज्य सरकार के लिए फायदेमंद होगी। यह न केवल भूमि रिकॉर्ड को सटीक बनाता है, बल्कि भूमि की वास्तविक स्थिति की जानकारी भी प्रदान करता है, जिससे भविष्य में किसी प्रकार के विवाद से बचा जा सकता है।
31 मार्च तक फॉर्म जमा करना की तिथि तय:
राज्य सरकार ने यह समय सीमा इसलिए तय की है ताकि भूमि सर्वेक्षण का कार्य जल्द से जल्द पूरा किया जा सके। 31 मार्च तक जमीन मालिकों द्वारा ब्यौरा जमा करने से विभाग को वास्तविक जानकारी प्राप्त होगी, जिससे सर्वेक्षण में कोई भी भ्रम या गड़बड़ी न हो।
इसके अलावा, 31 मार्च तक सभी रैयतों को अपनी भूमि का विवरण देने का निर्देश इसलिए दिया गया है ताकि वे किसी भी प्रकार की अफवाहों का शिकार न हों। मंत्री डॉ. दिलीप कुमार जायसवाल ने भूमि मालिकों से अपील की है कि वे सही जानकारी देकर इस प्रक्रिया को सफल बनाएं और अफवाहों से दूर रहें।
फॉर्म ऑनलाइन/ऑफलाइन जमा करने की प्रक्रिया:
राज्य सरकार ने भूमि सर्वेक्षण के फॉर्म को ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरीकों से जमा करने की सुविधा प्रदान की है। इस सुविधा से उन लोगों को भी सहूलियत होगी जो डिजिटल माध्यम से परिचित नहीं हैं। आप राज्य के राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग की आधिकारिक वेबसाइट पर जा कर फॉर्म जमा कर सकते हैं। वहीं सर्वे शिविर में भी फॉर्म जमा किया जा सकता हैं।
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