साइंस डेस्क: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने बुधवार को सुबह 9:28 मिनट पर कार्टोसैट-3 को लॉन्च किया।लॉन्च के 17 मिनट बाद PSLV c47 ने कार्टोसैट को उसके ऑर्बिट में सफलतापूर्वक प्रक्षेपित कर दिया गया है। आज इसी विषय में जानने की कोशिश करेंगे कार्टोसैट-3 की विशेषता के बारे में की क्यों इस उपग्रह को भारत की आंख कहा जा रहा हैं। तो आइये इसके बारे में जानते हैं विस्तार से।
1 .आपको बता दें की कार्टोसैट-3 तीसरी पीढ़ी का बेहद चुस्त और उन्नत उपग्रह है जिसमें हाई रेजॉलूशन तस्वीर लेने की क्षमता है। इसका भार 1,625 किलोग्राम है और यह बड़े पैमाने पर शहरों की प्लानिंग, ग्रामीण संसाधन और बुनियादी ढांचे के विकास, तटीय जमीन के इस्तेमाल और जमीन के लिए उपभोक्ताओं की बढ़ती मांग को पूरा करेगा।
2 .कार्टोसैट-3 का उपयोग देश की सीमाओं की निगरानी के लिए होगा। साथ ही प्राकृतिक आपदाओं में भी मदद करेगा। पाकिस्तान और उसके आतंकी कैंपों पर नजर रखने के लिए यह मिशन देश की सबसे ताकतवर आंख होगी। यह सीमाओं पर नजर रखेगी। दुश्मन या आतंकियों ने हिमाकत की तो इस आंख की मदद से हमारी सेना उन्हें उनके घर में घुस कर मारेगी।
3 .कार्टोसैट-3 का कैमरा इतना ताकतवर है कि संभवतः अभी तक इतनी सटीकता वाला सैटेलाइट कैमरा किसी देश ने लॉन्च नहीं किया है। अमेरिका की निजी स्पेस कंपनी डिजिटल ग्लोब का जियोआई-1 सैटेलाइट 16.14 इंच की ऊंचाई तक की तस्वीरें ले सकता है।
4 .कार्टोसैट-3 का कैमरा इतना ताकतवर है कि वह अंतरिक्ष में 509 किलोमीटर की ऊंचाई से जमीन पर 9.84 इंच की ऊंचाई तक की स्पष्ट तस्वीर ले सकेगा। यानी आप की कलाई पर बंधी घड़ी पर दिख रहे सही समय की भी सटीक जानकारी देगा। इसलिए इसे भारत का आंख कहा जा रहा हैं।
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