न्यूज डेस्क: आपको बता दें की फ्रांस सरकार ने विदेशी इमाम और मुस्लिम शिक्षकों के देश में आने पर रोक लगा दी है। राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने बुधवार (19 फरवरी) को कहा कि यह फैसला कट्टरपंथ और अलगाववाद रोकने के लिए लिया है। अब फ्रांस में इमाम को आना मना हो जायेगा।
राष्ट्रपति मैक्रों ने पूर्वी फ्रांस के मुस्लिम बाहुल्य मुलहाउस शहर का दौरा किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि हम विदेशी इमामों और मुस्लिम शिक्षकों के प्रवेश पर प्रतिबंध लगा रहे हैं। इनकी वजह से देश में कट्टरपंथ और अलगाववाद का खतरा बढ़ा है। इसके अलावा विदेशी दखलंदाजी भी नजर आती है। दिक्कत तब होती है, जब मजहब के नाम पर कुछ लोग खुद को अलग समझने लगते हैं और देश के कानून का सम्मान नहीं करते।
पिछले साल फ्रांस की कुल जनसंख्या करीब 6.7 करोड़ थी। इसमें करीब 65 लाख मुस्लिम हैं। फ्रांस का वर्ष 1977 में चार देशों से एक समझौता किया था, जिसके तहत अल्जीरिया, ट्यूनीशिया, मोरक्को और तुर्की फ्रांस में इमाम, मुस्लिम शिक्षक भेज सकते हैं। समझौते में यह भी शर्त थी कि फ्रांस में अधिकारी इन इमामों या शिक्षकों के काम की निगरानी नहीं करेंगे। हर साल 300 इमाम करीब 80 हजार छात्रों को शिक्षा देने फ्रांस आते थे। वर्ष 2020 के बाद समझौता खत्म हो जाएगा। सरकार ने फ्रेंच मुस्लिम काउंसिल को आदेश दिया है कि वह इमामों को स्थानीय भाषा सिखाए और किसी पर इस्लामिक विचार न थोपे जाएं।
मैक्रों के कहा हम इस्लामिक कट्टरपंथ के खिलाफ हैं। बच्चों की शिक्षा, मस्जिदों को मिलने वाली आर्थिक मदद और इमामों के प्रशिक्षण पर ध्यान देंगे। लेकिन बाहर से किसी भी इमाम या मौलाना को अपने देश में आने की इजाजत नहीं देंगे।
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