न्यूज डेस्क: शास्त्रों की बात करें तो भारत में जितने भी शक्तिपीठ हैं। उनमे से कुछ शक्तिपीठ बिहार में भी स्थित हैं। जहां लोग माता की कृपा से हर इच्छा प्राप्त करते हैं। आज इसी विषय में पुराणों और धर्मग्रंथों के अनुसार जानने की कोशिश करेंगे बिहार के शक्तिपीठ के बारे में की बिहार में कितने शक्तिपीठ हैं। तो आइये इसके बारे में जानते हैं विस्तार से।
1 .बड़ी पटनदेवी
आपको बता दें की पटना के महाराजगंज में स्थित बड़ी पटनदेवी महत्त्वपूर्ण शक्तिपीठों में से एक है। कहा जाता है कि सती के शरीर का दाहिना जंघा महाराजगंज में गिरा था।
2 .छोटी पटनदेवी
हाजीगंज क्षेत्र में छोटी पटनदेवी मंदिर स्थित है। यह भी एक प्रसिद्ध शक्तिपीठ है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार यहां देवी सती का पट और वस्त्र गिरा था।
3 .शीतला मंदिर
बिहारशरीफ से पश्चिम एकंगरसराय पथ पर मघरा गांव में स्थित प्राचीन शीतला मंदिर भी प्रसिद्ध शक्तिपीठ है। कहा जाता है कि यहां सती के हाथ का कंगन गिरा था।
4 .माँ मंगला गौरी मंदिर
गया-बोध गया मार्ग पर स्थित भस्मकुट पर्वत पर माँ मंगला गौरी का मंदिर प्रसिद्ध शक्तिपीठ है। यहां देवी सती का स्तन गिरा था।
5 .चामुंडा मंदिर
नवादा-रोह-कौआकोल मार्ग पर रुपौ गांव में स्थित चामुंडा मंदिर प्रसिद्ध शक्तिपीठ है। मान्यता है कि देवी सती का सिर यहीं कट कर गिरा था।
6 .अंबिका भवानी
छपरा- पटना मुख्य मार्ग पर आमी स्थित अंबिका भवानी मंदिर प्राचीन धार्मिक स्थल है। इसे भी शक्तिपीठ में गिना जाता हैं।
7 .माँ ताराचंडी
सासाराम से 6 किमी कि दूरी पर कैमूर पहाड़ी की गुफा में ताराचंडी माँ का मंदिर है। जो 51 शक्तिपीठों में एक है।
8 .माँ चण्डिका देवी मंदिर
मुंगेर ज़िले में गंगा तट पर स्थित माँ चण्डिका देवी का मंदिर भी प्रसिद्ध शक्तिपीठ है। इस स्थल पर माता सती की दांया आँख गिरी थी।
9 .उग्रतारा स्थान
सहरसा से 17 किमी दूर उग्रतारा शक्तिपीठ है। यहां देवी सती की बायां आँख गिरी थी।
10 .धीमेश्वर स्थान
पूर्णिया से पश्चिम बनमनखी प्रखंड के धीमेश्वर स्थान स्थित छिन्नमस्ता देवी का मंदिर प्राचीन धार्मिक स्थल है। इसे भी शक्तिपीठ में गिना जाता हैं।
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