न्यूज डेस्क: आपको बता दें की महाराष्ट्र में एनसीपी कोटे से अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री नवाब मलिक ने मुस्लिमों को लेकर बड़ा एलान किया था। उन्होंने कहा था कि सरकार ने मुस्लिमों को आरक्षण देने का प्रस्ताव रखा है। इसके बाद राज्य की राजनीति में गर्माहट आ गयी थी।
राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फणडवीस ने इसकी आलोचना की थी और उन्होंने कहा था की धर्म के नाम पर आरक्षण नहीं मिलना चाहिए। उद्धव ठाकरे की पार्टी शिवसेना के कम्युनिकेशन सेल की तरफ से जवाब आया है की 5 फीसद आरक्षण का प्रस्ताव विचाराधीन नहीं है।
आपको बता दें की विश्व हिंदू परिषद ने शनिवार को एक ट्वीट कर सरकार के धार्मिक आधार पर आरक्षण देने के फैसले पर सवाल उठाया था। विश्व हिंदू परिषद ने मुस्लिमों को आरक्षण देने पर चिंता जताते हुए कहा था, "शिवसेना से मुस्लिम तुष्टिकरण की उम्मीद नहीं की जा सकती। रविवार की सुबह शिवसेना ने ट्वीट का जवाब देते हुए कहा, "इस तरह का फैसला विचाराधीन नहीं है."
अब देखना होगा की क्या सरकार में शामिल घटक दल आरक्षण के मुद्दे पर एक बार फिर आमने-सामने होंगे ? या आरक्षण सिर्फ सियासी स्टंट बनकर रह जाएगा ?

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