जरा सोचिए कोरोना वायरस से ये हाल है, जैविक युद्ध हुआ तो क्या होगा?

न्यूज डेस्क: आपको यह भी समझना चाहिए कि कोरोना वायरस के पीछे किसी जैविक हमले (Bio-Terrorism) की साज़िश हो सकती है या नहीं. यह वाकई खतरनाक विचार है, लेकिन ऐसा संभव न हो, दुर्भाग्य से ऐसा है नहीं. हालांकि सच क्या है, अभी कुछ कहा नहीं जा सकता लेकिन थ्योरीज़ कम नहीं हैं. जानिए कि कोविड 19 क्या कोई साज़िश (Conspiracy) है और ये भी कि दुनिया जैविक युद्ध के लिए कितनी तैयार है.
क्या कोरोना वायरस जैविक हमला है?
एक तरफ अमेरिका इस संक्रमण के लिए चीन को कठघरे में खड़ा करने में लगा है, तो दूसरी तरफ चीन कई बार कह चुका है कि चीन में यह वायरस अमेरिकी सेना के ज़रिए पहुंचा. आरोपों के इस दौर में मध्य पूर्व के मीडिया में लगातार ऐसी थ्योरीज़ खबरों और लेखों के रूप में प्रकाशित हो रही हैं, जिनमें इस वायरस को अमेरिका की साज़िश करार दिया जा रहा है.

क्या होता है जैविक युद्ध और क्या है इतिहास?
जीवाणुओं, विषाणुओं, कीटों या फंगस जैसे एजेंटों के ज़रिए खतरनाक किस्म के संक्रमणों को जब हमले के तौर पर इस्तेमाल किया जाए तो इसे जैविक युद्ध माना जाता है. ताज़ा इतिहास देखा जाए तो केन एलिबेक की किताब बायोहैज़ार्ड में उल्लेख है कि रिफ्ट वैली फीवर वायरस, एबोला वायरस, जापानी एनसेफलाइटिस वायरस, माचुपो, मारबर्ग, येलो फीवर और वैरिओला जैसे वायरसों को हथियार के तौर पर इस्तेमाल किया जा चुका है.

एनसीबीआई पोर्टल की एक रिपोर्ट 'द हिस्ट्री ऑफ बायोलॉजिकल वॉरफेयर' के अनुसार पिछली यानी 20वीं सदी में संक्रामक बीमारियों से 50 करोड़ से ज़्यादा मौतें हुईं. इनमें से लाखों मौतों का कारण जान बूझकर किए गए हमले थे. उदाहरण के तौर पर जापानियों ने दूसरे विश्वयुद्ध के दौरान चीन पर जैविक हमले किए थे.

1925 और 1972 में दो बार दो महत्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय संधियां भी हुईं, जिनके तहत जैविक हमलों को गैरकानूनी करार दिया गया लेकिन जैविक हथियारों के बड़े पैमाने पर उत्पादन, उन पर रिसर्च करने से संधि में शामिल देश रुके नहीं.

भारत का नज़रिया क्या है?
भारत जैविक हथियारों की दौड़ में शामिल नहीं है. एनटीए के ही मुताबिक पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम ने साफ कहा था 'भारत जैविक हथियार नहीं बनाएगा क्योंकि यह मानवता के लिए क्रूरता है'. हालांकि भारत के पास ऐसा करने की स्थिति और योग्यता है लेकिन इसके उलट वह उन मेडिकल रिसर्च को प्राथमिकता देता है, जो ऐसे जैविक हमलों से सुरक्षा करने में कारगर हो.

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