न्यूज डेस्क: आज के वर्तमान समय में भारत साइंस और टेक्नोलॉजी की दुनिया में तेजी के साथ बढ़ रहा हैं। हिन्दुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) ने वर्ष 2027 तक 10 से 12 टन के स्वदेशी लड़ाकू हेलीकॉप्टर बनाने की महत्वकांक्षी और सामरिक रूप से अहम परियोजना पर काम शुरू कर दिया है।
आपको बता दें की एचएएल द्वारा बनाए गए हेलीकॉप्टर बोइंग के अपाचे की तरह दुनिया के बेहतरीन सैन्य हेलीकॉप्टर के टक्कर के होंगे। एचएएल के प्रबंध निदेशक आर माधवन ने कहा कि इस बड़ी योजना का उद्देश्य आने वाले सालों में करीब चार लाख करोड़ रुपए की लागत से तीनों सेनाओं के लिए किए जाने वाले हेलीकॉप्टर के आयात को रोकना है।
माधवन ने ''पीटीआई-भाषा" को दिए गए साक्षात्कार में बताया कि एचएएल ने हेलीकॉप्टर की प्रारंभिक डिजाइन तैयार कर ली है और शुरुआती योजना के तहत कम से कम 500 हेलीकॉप्टर बनाने का लक्ष्य है और अगर सरकार इस साल मंजूरी देती है, तो हेलीकॉप्टर का पहला प्रारूप 2023 में तैयार कर लिया जाएगा। उन्होंने कहा, ''एक अहम योजना जिसपर हम ध्यान केंद्रित कर रहे हैं वह एमआई-17 के बेड़े को बदलने के लिए 10 से 12 टन श्रेणी के हेलीकॉप्टर का निर्माण करना है। यह एक स्वदेशी मंच होगा और करीब 500 हेलीकॉप्टर बनाने की क्षमता होगी। इससे दूसरे देशों से चार लाख करोड़ रुपये के हेलीकॉप्टर आयात करने की जरूरत नहीं होगी।"
वायुसेना के हेलीकॉप्टर बेड़े में एमआई-17 अहम भूमिका निभाते हैं और उन्हें 2032 तक सेवा से हटाने की योजना है। एचएएल ने अब तक हल्के लड़ाकू हेलीकॉप्टर (एलसीएच), बहुपयोगी एडवांस लाइट हेलीकॉप्टर (एएलएच) और चेतक हेलीकॉप्टर को विकसित किया है। भारत दुनिया के सबसे बड़े हथियार और सैन्य साजो सामान का आयातक है। सरकार रक्षा उत्पादन के स्वेदशीकरण का प्रयास कर रही है और इसके लिए रक्षा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) को उदार बनाने सहित कई कदम उठा रही है। भारतीय वायुसेना विमान निर्माण कंपनी बोइंग से अरबों डॉलर में 22 अपाचे गार्जियन लड़ाकू हेलीकॉप्टर खरीद रही है।

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