1. डायबिटीज टाइप-1 (Type 1 Diabetes): टाइप 1 डायबिटीज को इंसुलिन-निर्भर मधुमेह कहा जाता था। इसमें शरीर का अग्न्याशय (पैंक्रियास) बहुत कम या बिल्कुल भी इंसुलिन का उत्पादन नहीं करता। इस कारण शरीर में शर्करा का स्तर बढ़ जाता है।
लक्षण: थकान, अत्यधिक प्यास लगना, बार-बार पेशाब आना, वजन कम होना, और घावों का धीरे-धीरे ठीक होना।
2. डायबिटीज टाइप-2 (Type 2 Diabetes): टाइप 2 डायबिटीज में शरीर का पेंक्रियास इंसुलिन का पर्याप्त उत्पादन नहीं कर पाता, या शरीर इंसुलिन का सही तरीके से उपयोग नहीं कर पाता। यह आमतौर पर वयस्कों में होता है, लेकिन अब यह बच्चों में भी बढ़ रहा है।
लक्षण: अत्यधिक प्यास लगना, बार-बार पेशाब आना, थकान, धुंधला दिखना, और घावों का धीरे-धीरे ठीक होना।
3. डायबिटीज टाइप-3 (Type 3 Diabetes): टाइप 3 डायबिटीज को विशेष रूप से अल्जाइमर रोग से जोड़कर देखा जाता है। इसे "ब्रेन डायबिटीज" भी कहा जाता है। इसमें इंसुलिन का असर मस्तिष्क पर पड़ता है, जिससे मस्तिष्क की कार्यप्रणाली और याददाश्त कमजोर होती जाती है।
लक्षण: याददाश्त में कमी, मानसिक भ्रम, और अन्य मानसिक और तंत्रिका संबंधी समस्याएं हो सकती हैं।
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