सरकारी अधिकारियों के अनुसार, शहरी क्षेत्रों में यह सर्वे भारत सरकार द्वारा कराया जाएगा, जबकि पहले चरण में बिहार के छह शहरों—सोनपुर, तारापुर, बक्सर, बांका, राजगीर और डेहरी—में सर्वेक्षण का कार्य शुरू होगा। इस योजना के बारे में अधिक जानकारी देते हुए राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के अपर मुख्य सचिव, दीपक कुमार सिंह ने सोमवार को पत्रकारों से बातचीत की।
उन्होंने बताया कि इस परियोजना के अंतर्गत, बिहार राजस्व सेवा के अधिकारियों की तैनाती जिलों में डीसीएलआर (डिस्ट्रिक्ट कंट्रोलर ऑफ लैंड रेकॉर्ड्स) के 40 से 50 पदों पर की जाएगी। इसके अलावा, अपर मुख्य सचिव ने कहा कि सरकार की कोशिश यह है कि रैयतों (किसानों और भूमि मालिकों) को कोई कठिनाई न हो, इसलिए विशेष भूमि सर्वेक्षण प्रक्रिया में स्वघोषणा पत्र जमा करने की अवधि को 30 दिन से बढ़ाकर 180 दिन कर दिया गया है।
इस कदम से रैयतों को अपने दस्तावेज तैयार करने और सर्वेक्षण में भाग लेने के लिए अधिक समय मिलेगा। यह सर्वेक्षण कार्य भूमि की सही पहचान और रिकॉर्डिंग के लिए अहम साबित होगा, जिससे सरकारी योजनाओं और भूमि अधिकारों में पारदर्शिता आएगी। इसके अलावा, यह बिहार राज्य में भूमि संबंधित विवादों को सुलझाने और एक स्थिर भूमि संरचना स्थापित करने की दिशा में एक बड़ा कदम होगा।
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