भारत का पीछा करने में हांफ रहा चीन, पढ़ें रिपोर्ट

नई दिल्ली: भारत और चीन की आर्थिक विकास दर में इस समय बड़ा अंतर दिखाई दे रहा है, और यह ट्रेंड आने वाले वर्षों में और बढ़ सकता है। 2023 में भारत की औसत विकास दर 7.5% से ज्यादा रही, जबकि चीन की विकास दर 5.2% रही, जो दिखाता है कि भारत अपनी अर्थव्यवस्था में तेज़ी से बढ़ोतरी कर रहा है, जबकि चीन अपेक्षाकृत धीमा विकास कर रहा है।

एक रिपोर्ट के मुताबिक पिछले कुछ सालों से चीन भारत की विकास दर का पीछा करने में हांफ रहा हैं। भारत और चीन की आर्थिक दौड़ में 2023 से भारत का पलड़ा भारी नजर आता है। भारत की विकास दर तेजी से बढ़ रही है, जबकि चीन धीमे विकास का सामना कर रहा है। अगर यही स्थिति बनी रहती है, तो भारत की अर्थव्यवस्था आने वाले वर्षों में चीन को टक्कर दे सकती हैं।

भारत और चीन की विकास दर का अंतर

2023 में विकास दर: भारत की 2023 में जीडीपी वृद्धि 7.5% से ज्यादा रही, जो इसे दुनिया की सबसे तेज़ बढ़ती बड़ी अर्थव्यवस्था बनाती है। वहीं, चीन की विकास दर 5.2% रही, जो पिछले वर्षों से कम है।

आने वाले वर्षों में भारत का विकास: भारत की विकास दर आने वाले पांच वर्षों में भी चीन से अधिक रहने का अनुमान है। बार्कलेज का अनुमान है कि भारत की जीडीपी 2026 तक 7% तक पहुंच सकती है, जबकि चीन की विकास दर 4.6% तक सीमित रहने की संभावना है।

चीन का धीमा विकास: चीन की विकास दर धीमी होने की कई वजहें हैं, जैसे कि उसकी जनसंख्या में गिरावट, श्रमिकों की संख्या में कमी, और संरचनात्मक समस्याएं, जैसे की अत्यधिक कर्ज और संपत्ति बाजार का संकट। चीन की विकास दर को धीमा कर रहा हैं।

भारत की बढ़ती वैश्विक भूमिका: भारत की तेज़ी से बढ़ती अर्थव्यवस्था न सिर्फ देश के लिए, बल्कि वैश्विक स्तर पर भी महत्वपूर्ण बदलाव ला सकती है। भारत का विकास वैश्विक जीडीपी में उसकी हिस्सेदारी को बढ़ाएगा, जिससे यह एक प्रमुख आर्थिक और व्यापारिक ताकत बन सकता है।

आठ ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था: बार्कलेज के मुताबिक, 2028 तक भारत की अर्थव्यवस्था आठ ट्रिलियन डॉलर तक पहुंच सकती है। इसका मतलब है कि भारत की अर्थव्यवस्था अगले कुछ वर्षों में तेजी से बढ़ेगी, और यह एक महत्वपूर्ण वैश्विक शक्ति के रूप में उभरेगा।

0 comments:

Post a Comment