न्यूज डेस्क: आज के वर्तमान समय में किसी व्यक्ति को एक सफलता मिलने में भी काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता हैं। लेकिन कुछ लोग अपनी मेहनत से इतिहास लिख देते हैं। आज इसी विषय में जानने की कोशिश करेंगे एक ऐसे छात्र के बारे में जिन्होंने पहले IIT और बाद में IAS टॉपर बनकर पूरी दुनिया में अपनी एक अलग पहचान बनाई।
सफलता की ये कहानी है साल 2018 में यूपीएससी टॉप करने वाले कनिष्क कटारिया की। आपको बता दें की कनिष्क आईआईटी बॉम्बे में पढ़ाई करके विदेश में नौकरी करना चाहते थे। वहीं उनके पिता चाहते थे कि बेटा आईएएस बने, लेकिन कनिष्क ने किसी की एक ना सुनी और विदेश में जाकर नौकरी करने लगे। फिर डेढ़ साल बाद कुछ यूं हुआ कि कनिष्क वापस आए और अनोखे ढंग से यूपीएससी की तैयारी की। फिर पहले ही प्रयास में आईएएस टॉपर बन गए। उनकी ये खाली आज के युवाओं के लिए एक प्रेरणा स्रोत की तरह हैं।
12वीं के बाद कनिष्क ने इंजीनियरिंग कॉलेज में प्रवेश दिलाने वाली जॉइंट एंट्रेंस इग्ज़ाम (जेईई) परीक्षा दी। इसमें उन्होंने ऑल इंडिया 44वीं रैंक हासिल की। इसके बाद उन्होंने आईआईटी बॉम्बे में दाखिला लिया। आईआईटी बॉम्बे में कंप्यूटर साइंस से ग्रेजुएशन के दौरान भी उनका प्रदर्शन काफी अच्छा रहा। यहां से पासआउट होने के बाद वो सीधे साउथ कोरिया में नौकरी करने चले गए।
हालांकि विदेश जाने से पहले उनके पिता ने कहा कि एक बार यूपीएससी की कोशिश कर लो। उन्होंने अपने पिता की बात मानकर सीसैट परीक्षा दी, लेकिन उनका इसमें चयन नहीं हुआ। कनिष्क अपने एक वीडियो इंटरव्यू में बताते हैं कि मेरे पापा ने अपनी तरफ से ही इसका फॉर्म भर दिया था। मैंने बिना तैयारी किए बिना मन के ये परीक्षा दी, क्योंकि मुझे रिजल्ट से फर्क नहीं पड़ता था। मैं तो विदेश में जाकर नौकरी करना चाहता था।
डेढ़ साल नौकरी के बाद भारत लौट आए। फिर यहां आकर बेंगलुरु में सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट कंपनी ज्वाइन कर ली। इन कंपनी में भी कनिष्क ने एक साल नौकरी की। बस यही उनका टर्निंग प्वाइंट बना जब जॉब के दौरान उन्हें भारत और विदेशों के बीच सिस्टम में अंतर दिखा। यहीं से उन्हें सिस्टम का हिस्सा बनने की ललक जागी।
कनिष्क ने उसी वक्त प्लान किया और लाखों रुपये की नौकरी का पैकेज छोड़कर तैयारी के लिए निकल पड़े। सबसे पहले उन्होंने दिल्ली में आकर आईएएस की कोचिंग ज्वाइन की। फिर उसके कुछ ही महीने बाद बेसिक आइडिया की जानकारी लेकर वो जयपुर लौट गए। कनिष्क की तैयारी की कोई खास स्ट्रेटजी नहीं थी। उनके दोस्तों ने अपनी तरह से प्लानिंग की थी, जिसे कनिष्क ने भी कुछ बदलाव करके उसी के हिसाब से तैयारी शुरू कर दी। वो दिन के आठ दस घंटे सेल्फ स्टडी और तैयारी को देने लगे और पहले ही प्रयास में आईएएस बन गएँ।

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