न्यूज डेस्क: भारत की महिलाएं आज दुनिया में ऐसी ऐसी मुकाम हासिल कर रही हैं जो देश के लिए गर्व की बात हैं। आज इसी विषय में जानने की कोशिश करेंगे एक ऐसे नेत्रहीन महिला के बारे में जो महिला देश की फली आईएएस ऑफिसर बनी। तो आइये इसके बारे में जानते हैं विस्तार से।
देश की पहली नेत्रहीन महिला आईएएस अफसर का नाम प्रांजल पाटिल हैं। पाटिल की दृष्टि जन्म से ही कमजोर थीं, लेकिन छह वर्ष की उम्र में उनकी दृष्टि पूरी तरह से खत्म हो गई। लेकिन उन्होंने अपनी हिम्मत नहीं हारी और जीवन में कुछ करने की लगन लेकर वे आगे बढ़ती रहीं। उन्होंने अपने पहले ही प्रयास में यूपीएससी की सिविल सेवा परीक्षा में 773वां रैंक हासिल किया है। जो देश के लिए एक गर्व का विषय हैं।
आपको बता दें की प्रांजल ने मुबंई के दादर स्थित श्रीमति कमला मेहता स्कूल से पढ़ाई की है। यह स्कूल प्रांजल जैसे खास बच्चों के लिए था। यहां पढ़ाई ब्रेल लिपि में होती थी। प्रांजल ने यहां से 10वीं तक की पढ़ाई की। फिर चंदाबाई कॉलेज से आर्ट्स में 12वीं की, जिसमें प्रांजल के 85 फीसदी अंक आए। बीए की पढ़ाई के लिए उन्होंने मुंबई के सेंट जेवियर कॉलेज का रुख किया।
ग्रैजुएशन के दौरान प्रांजल और उनके एक दोस्त ने पहली दफा यूपीएससी के बारे में एक लेख पढ़ा। प्रांजल ने यूपीएससी की परीक्षा से संबंधित जानकारियां जुटानी शुरू कर दीं। उस वक्त प्रांजल ने किसी से जाहिर तो नहीं किया लेकिन मन ही मन आईएएस बनने की ठान ली। बीए करने के बाद वह दिल्ली पहुंचीं और जेएनयू से एमए किया।
अभी वर्तमान समय में प्रांजल पाटिल तिरुवनंतपुरम में सब कलेक्टर के तौर पर पदभार संभाल रही हैं। महाराष्ट्र के उल्हासनगर की निवासी प्रांजल केरल कैडर में नियुक्त होने वाली पहली दृष्टि बाधित आईएएस अफसर हैं।

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