बता दें की इस विमान के परीक्षण में स्वदेशी एस्ट्रा बियॉन्ड-विजुअल-रेंज (BVR) मिसाइल, इलेक्ट्रॉनिक युद्ध सूट और इजराइली एल्टा रडार का परीक्षण शामिल है, जो भारतीय वायुसेना के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण है। इन परीक्षणों का उद्देश्य विमान की युद्धक क्षमता, रडार प्रणाली, और मिसाइलों की प्रभावशीलता की जांच करना है।
प्रमुख परीक्षण और तकनीकी सुधार
एलसीए एमके-1ए को खासतौर पर भारतीय वायुसेना की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए डिजाइन किया गया है। इस विमान में भारतीय तकनीक से बने एस्ट्रा BVR मिसाइल, जो लक्ष्य से बाहर होने के बावजूद निशाने को सटीकता से साधने में सक्षम है, का परीक्षण किया जाएगा। इसके अलावा, इसमें इलेक्ट्रॉनिक युद्ध सूट भी शामिल है, जो रडार चेतावनी रिसीवर और एडवांस सेल्फ-प्रोटेक्शन जैमर जैसी आधुनिक प्रणालियों से लैस है।
मार्च 2025 तक पहले विमान की डिलीवरी का लक्ष्य
एचएएल के अधिकारियों के मुताबिक, एलसीए एमके-1ए की पहली यूनिट भारतीय वायुसेना को 31 मार्च 2025 तक सौंप दी जाएगी, बशर्ते सभी आवश्यक सर्टिफिकेशन और परीक्षणों को सफलतापूर्वक पूरा किया जाए। इस प्रक्रिया में अमेरिकी कंपनी जीई एयरोस्पेस के साथ एफ404 इंजन की डिलीवरी की गति को बढ़ाने के लिए बातचीत चल रही है।
भारत की रणनीतिक शक्ति में एक महत्वपूर्ण वृद्धि
एलसीए एमके-1ए प्रोजेक्ट न केवल भारतीय वायुसेना के लिए एक मील का पत्थर है, बल्कि यह देश की स्वदेशी रक्षा क्षमता के लिए भी एक महत्वपूर्ण कदम है। यह विमान वायुसेना की लड़ाकू क्षमता में बढ़ोतरी करेगा और दुश्मन के विमानों से मुकाबला करने में भारत को मजबूती प्रदान करेगा। इसके साथ ही, यह भारत को रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने की दिशा में एक बड़ा कदम भी होगा।
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