यूपी में शिक्षा मित्रों का मानदेय नहीं बढ़ाएगी सरकार

लखनऊ: उत्तर प्रदेश में शिक्षा मित्रों के मानदेय में वृद्धि न करने का निर्णय सरकार ने लिया है, जिससे प्रदेश के लाखों शिक्षा मित्रों के हक में एक और निराशा का पल आया है। बता दें की उत्तर प्रदेश विधानसभा में समाजवादी पार्टी (सपा) के विधायक राकेश वर्मा के एक सवाल के जवाब में सरकार ने स्पष्ट किया कि शिक्षा मित्रों के मानदेय में कोई बढ़ोतरी करने का विचार नहीं है।

शिक्षा मित्रों की स्थिति

उत्तर प्रदेश में शिक्षा मित्रों का मानदेय फिलहाल 10,000 रुपए प्रति माह है। यह राशि न केवल राज्य के अन्य सरकारी कर्मचारियों से कम है, बल्कि न्यूनतम मजदूरी से भी कम मानी जाती है। शिक्षा मित्रों की मुख्य जिम्मेदारी बच्चों को शिक्षा देना है और वे अक्सर प्राथमिक विद्यालयों में शिक्षा की नींव रखने का काम करते हैं। लेकिन उनके मानदेय और सम्मान में कमी उनके प्रति राज्य सरकार की उपेक्षात्मक नीति को प्रदर्शित करती है।

सपा विधायक का आरोप

सपा विधायक राकेश वर्मा ने सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि शिक्षा मित्रों को बंधुआ मजदूर बना दिया गया है। उनका कहना था कि सरकार ने शिक्षा मित्रों के मानदेय में कोई सुधार नहीं किया और उन्हें न्यूनतम मजदूरी से भी कम भुगतान किया जा रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि मंत्री के यहां कुत्ता घुमाने वाले को 30,000 रुपए मिलते हैं, लेकिन जिन लोगों ने बच्चों के भविष्य को गढ़ने का जिम्मा लिया है, उन्हें उपेक्षित किया जा रहा है।

भाजपा विधायकों का हंगामा

विधायक राकेश वर्मा के इस बयान पर भाजपा विधायकों ने हंगामा शुरू कर दिया। बेसिक शिक्षा मंत्री संदीप सिंह ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि विपक्षी दल पहले भी शिक्षा मित्रों की तुलना जानवर से कर चुके हैं और विधायक को सदन में माफी मांगनी चाहिए। हालांकि, यह बयान राजनीति से प्रेरित प्रतीत हुआ और सरकार ने मामले की गंभीरता को कम करने की कोशिश की।

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