यूपी में 10% EWS आरक्षण को लेकर 6 बड़ी बातें!

लखनऊ: यूपी में 10% आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (EWS) के लिए आरक्षण दी जाती है। यह आरक्षण विशेष रूप से उन व्यक्तियों को दिया जाता है जो सामान्य वर्ग (सामान्य श्रेणी) में आते हैं, लेकिन उनकी आर्थिक स्थिति कमजोर होती है। 

बता दें की EWS आरक्षण का उद्देश्य आर्थिक दृष्टि से पिछड़े व्यक्तियों को शिक्षा, सरकारी नौकरियों और अन्य सरकारी योजनाओं में अवसर प्रदान करना है। इस आरक्षण को 103वें संविधान संशोधन के तहत लागू किया गया था, जो 2019 में लागू हुआ था। 

इसके तहत सामान्य वर्ग के उन परिवारों को जो सरकारी नौकरी, भूमि, और आय के दृष्टिकोण से कमजोर माने जाते हैं, उन्हें 10% आरक्षण दिया गया। उत्तर प्रदेश में भी इस नीति के तहत सरकारी नौकरियों और शिक्षा संस्थानों में 10% आरक्षण की व्यवस्था की गई है।

यूपी में 10% EWS आरक्षण को लेकर 6 बड़ी बातें!

1 .वार्षिक आय की सीमा: ईडब्ल्यूएस सर्टिफिकेट के लिए आवेदन करने वाले व्यक्तियों की वार्षिक आय ₹8 लाख या उससे कम होनी चाहिए। इसमें सैलरी, कृषि, व्यवसाय और अन्य पेशे से आय शामिल है।

2 .गांव में रहने वाले लोग: उनके पास पांच एकड़ से कम आवासीय भूमि होनी चाहिए, और 200 वर्ग मीटर से अधिक आवासीय भूमि नहीं होनी चाहिए।

3 .शहरी क्षेत्रों में रहने वाले लोग: उनके पास 200 वर्ग मीटर से अधिक आवासीय भूमि नहीं होनी चाहिए। तभी इसके पात्र होंगे।

4 .आय और संपत्ति प्रमाण पत्र: ईडब्ल्यूएस आरक्षण का लाभ उठाने के लिए पात्र व्यक्ति को 'आय और संपत्ति प्रमाण पत्र' की आवश्यकता होती है। यह प्रमाण पत्र तहसीलदार या राजपत्रित अधिकारी द्वारा जारी किया जाता है और इसकी वैधता एक साल तक होती है।

5 .आवासीय संपत्ति: ईडब्ल्यूएस सर्टिफिकेट के लिए परिवार के पास 1,000 वर्ग फुट से ज़्यादा का आवासीय फ्लैट नहीं होना चाहिए।

6 .सर्टिफिकेट का लाभ: ईडब्ल्यूएस सर्टिफिकेट प्राप्त करने के बाद, व्यक्ति को सरकारी नौकरियों और शिक्षा संस्थानों में 10% आरक्षण का लाभ मिलता है, जिससे आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग को समान अवसर मिलते हैं।

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