भारत और चीन के शेयर बाजारों का आकार
अभी के आंकड़ों के मुताबिक, भारत का शेयर बाजार चीन से बड़ा है। हालांकि, इस अंतर में लगातार कमी आ रही है। पिछले कुछ वर्षों में चीन के शेयर बाजार ने तेजी से वृद्धि की है, जिससे निवेशक वहां अपने निवेश की ओर आकर्षित हो रहे हैं। हालांकि, भारत का शेयर बाजार अभी भी चीन के मुकाबले बड़ा है, लेकिन दोनों के बीच का फासला घटता जा रहा है।
भारत और चीन के प्रीमियम और वैल्यूएशन का अंतर
शेयर बाजारों की तुलना प्रीमियम के आधार पर भी की जाती है। प्रीमियम का मतलब है कि भारत के शेयर बाजार की वैल्यू चीन के मुकाबले कितनी ज्यादा है। हाल के आंकड़ों के अनुसार, भारत का प्रीमियम चीन के मुकाबले गिरकर 54.2 फीसदी पर आ गया है, जबकि अगस्त तक यह 82.3 फीसदी था। इसी तरह, सितंबर 2021 में यह रिकॉर्ड 124 फीसदी था। इन आंकड़ों से स्पष्ट होता है कि अंतर घटने के बावजूद, भारत का बाजार अभी भी चीन के मुकाबले 54 प्रतिशत अधिक मूल्यांकन पर है।
भारत और चीन के प्राइस अर्निंग रेश्यो (PE रेश्यो)
प्राइस अर्निंग रेश्यो (PE रेश्यो) एक महत्वपूर्ण संकेतक है, जिसका इस्तेमाल यह निर्धारित करने के लिए किया जाता है कि एक कंपनी के स्टॉक की कीमत उसकी कमाई के मुकाबले कितनी अधिक है। सरल शब्दों में कहें तो PE रेश्यो यह बताता है कि निवेशक कंपनी के एक रुपये की कमाई के लिए कितना अधिक भुगतान करने को तैयार है। चीन के शंघाई कंपोजिट इंडेक्स का PE रेश्यो अगस्त में 13.7 गुना था, जो सितंबर में बढ़कर 17.4 गुना हो गया है। यानी निवेशकों ने अब चीन के शेयरों को अधिक महंगे दामों पर खरीदा। वहीं, भारत के बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) के सेंसेक्स का PE रेश्यो घटकर 24.8 पर आ गया है, जबकि अगस्त में यह 25 था और सितंबर में 25.6 था। यहां महत्वपूर्ण बात यह है कि हालांकि चीन का PE रेश्यो बढ़ रहा है, भारत का PE रेश्यो अभी भी बेहतर स्थिति में है।
भारत और चीन के शेयर बाजारों की इतिहासिक स्थिति
भारत और चीन के शेयर बाजारों की तुलना करें तो 2010 से पहले चीन का शेयर बाजार भारत की तुलना में बड़ा था। लेकिन मई 2010 में भारत ने चीन को इस मामले में पीछे छोड़ दिया। हालांकि, 2015 में कुछ समय के लिए भारत फिर से पिछड़ गया था, लेकिन फिर से भारत ने बढ़त बनाई और वर्तमान में वह चीन के मुकाबले बड़ा बाजार बन गया है।
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