1. चीन की मुद्रा (युआन - CNY):
चीन का वैश्विक आर्थिक प्रभुत्व: चीन दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है और यह वैश्विक व्यापार में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। उसकी मुद्रा, युआन (CNY), अंतरराष्ट्रीय व्यापार में बढ़ती हुई स्वीकार्यता देख रही है।
"चीन की आर्थिक शक्ति": चीन ने अपने उत्पादन और निर्यात के क्षेत्र में अपार विकास किया है, जो उसकी मुद्रा की मजबूती का कारण है। चीन का व्यापारिक दबदबा और निवेश भी युआन को वैश्विक मंच पर अधिक प्रासंगिक बना रहे हैं।
युआन की अंतरराष्ट्रीय स्थिति: चीन युआन को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर और भी मजबूत बनाने की दिशा में प्रयासरत है। इसके लिए चीन ने विभिन्न देशों के साथ व्यापारिक समझौतों और कर्ज़ की योजना बनाई है, जिनमें युआन का उपयोग किया जाता है।
2. भारत की मुद्रा (रुपया - INR):
भारत की उभरती अर्थव्यवस्था: भारत की अर्थव्यवस्था दुनिया की तेजी से बढ़ती हुई अर्थव्यवस्थाओं में से एक है। भारत का सकल घरेलू उत्पाद (GDP) और उपभोक्ता बाजार भी तेजी से बढ़ रहे हैं, जिससे रुपया (INR) की महत्वता भी बढ़ी है।
भारत का वैश्विक व्यापार: भारत का विदेशी मुद्रा भंडार भी बढ़ रहा है, जिससे रुपये की स्थिरता में मदद मिल रही है। हालांकि, रुपया डॉलर के मुकाबले उतार-चढ़ाव का सामना करता है, लेकिन भारत के बढ़ते व्यापारिक संबंध और विदेशी निवेश ने इसकी स्थिति को मजबूती दी है।
"आत्मनिर्भर भारत": भारत ने हाल के वर्षों में आत्मनिर्भरता की दिशा में कदम बढ़ाए हैं, जैसे 'मेक इन इंडिया' और 'आत्मनिर्भर भारत' योजनाओं के माध्यम से। इसका प्रभाव भारतीय मुद्रा की स्थिरता और अर्थव्यवस्था पर पड़ रहा है।
भारत के UPI का वैश्विक विस्तार: UPI ने भारतीय वित्तीय प्रणाली में एक क्रांतिकारी बदलाव लाया है, और अब यह अन्य देशों में भी अपनी जगह बना रहा है। UPI के वैश्विक विस्तार से अन्य देशों में बैंकिंग और वित्तीय सेवाओं के लिए नए अवसर उत्पन्न हो सकते हैं, जिससे रुपये की ताकत भी बढ़ेगी।
नोट : वर्तमान में 1 चीनी युआन 11.70 Indian Rupee रुपये के बराबर हैं। इसमें हर दिन उतार-चढ़ाव आते रहते हैं।
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