खबर के अनुसार गर्भावस्था के बाद पहली बार अस्पताल पहुंचने पर महिलाओं के डायबिटीज की जांच की जाएगी। अगर पहली जांच में महिला डायबिटीज से पीड़ित नहीं पाई जाती हैं, तो 24 से 28वें सप्ताह के बीच दोबारा से उसकी जांच की जाएगी।
राज्य स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण संस्थान की निदेशक डॉ. विभा सिंह ने जानकारी देते हुए बताया हैं की गर्भावस्था में शुगर का स्तर बढ़ने से गर्भपात का खतरा बढ़ जाता है। साथ ही साथ समय से पहले प्रसव का खतरा रहता हैं। इसलिए डायबिटीज की जांच जरुरी हैं।
यदि कोई महिला जांच में डायबिटीज से ग्रसित पाई जाती है तो पूरे गर्भावस्था के दौरान उसका प्रबंधन किया जायेगा, ताकि उन्हें किसी तरह की कोई परेशानी ना हो। साथ ही साथ गर्भवती महिला और गर्भ में पल रहे बच्चे की शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य बेहतर हो सकें।
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