योगी आदित्यनाथ ने यह भी निर्देश दिया कि 100 दिवसीय सघन टीबी अभियान का विस्तार अब राज्य के सभी जिलों में किया जाए, ताकि टीबी के मरीजों को समय पर पहचानकर उनका उपचार किया जा सके। इस अभियान के तहत आशा कार्यकर्ता (ANM) को महत्वपूर्ण भूमिका दी गई है। आशा कार्यकर्ता अब घर-घर जाकर लोगों की स्वास्थ्य जांच करेंगी और टीबी के संभावित मरीजों की पहचान करेंगी।
आशा वर्करों की महत्वपूर्ण भूमिका
मुख्यमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि आशा कार्यकर्ताओं का योगदान इस अभियान में अहम होगा। वे घर-घर जाकर टीबी के लक्षणों के बारे में जागरूकता फैलाएंगी और संदिग्ध मरीजों की पहचान करेंगी। इसके अलावा, वे मरीजों को उचित इलाज की जानकारी भी देंगी और उन्हें इलाज के लिए प्रेरित करेंगी। आशा वर्करों के माध्यम से राज्य में टीबी के मरीजों की पहचान करना और उनका इलाज शुरू करना सुनिश्चित किया जाएगा।
स्वास्थ्य विभाग को दिए गए निर्देश
योगी आदित्यनाथ ने स्वास्थ्य विभाग को निर्देश दिया कि वे प्रत्येक मरीज के इलाज में किसी प्रकार की लापरवाही न बरतें। टीबी के मरीजों को शुरू से लेकर अंत तक सभी जरूरी दवाइयां और उपचार दिया जाए। उन्होंने यह भी कहा कि टीबी उन्मूलन अभियान की सफलता के लिए हर स्तर पर समन्वय और सतर्कता बनाए रखनी चाहिए।
टीबी उन्मूलन अभियान के उद्देश्य
टीबी उन्मूलन अभियान का मुख्य उद्देश्य राज्य में टीबी के मामलों को नियंत्रित करना और समय पर उपचार के माध्यम से इसे खत्म करना है। इस अभियान में स्वास्थ्य विभाग के साथ-साथ स्थानीय प्रशासन और आशा वर्करों का भी महत्वपूर्ण योगदान होगा। मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि इस अभियान के माध्यम से टीबी के मामलों में कमी लाकर राज्य को एक स्वस्थ और सशक्त प्रदेश बनाया जा सकेगा।
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