एक शोध के मुताबिक "वीर्य" शरीर की ऊर्जा का मूल स्रोत है, और इसके सही संचार को जीवन के स्वास्थ्य, ऊर्जा, और पुनर्नवीनीकरण के लिए आवश्यक माना जाता है। इसलिए पुरुष अपने वीर्य को बिना किसी कारण के नष्ट न करें। ये एक नए जीवन का निर्माण करता हैं।
आयुर्वेद में वीर्य को 'अपान वायु' से जोड़ा गया है, जो शरीर के निचले भाग में संचारित होती है और इसे शरीर की शुद्धता, प्रजनन क्षमता, और जीवन शक्ति के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है। वीर्य के संरक्षण से व्यक्ति को ताजगी, ताकत और शारीरिक संतुलन मिलता है, जबकि अधिक वीर्य नष्ट होने से शारीरिक कमजोरी और मानसिक थकावट हो सकती है।
बता दें की इस संदर्भ में "वीर्य जीवन का स्रोत" के रूप में देखा जाता है, और इसका संरक्षण स्वास्थ्य, दीर्घायु और मानसिक शांति के लिए आवश्यक माना जाता है। एक बूंद वीर्य में एक पूरी अलग ही दुनिया बसी हुई होती है , इसे बर्बाद करने वाला इसकी असीम शक्ति को नही जान पाता है।
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